देना था 500 में सिलेंडर , दे दिया मदिरा में छूट..
ट्रैक सीजी सुकमा
राजेश नाग ने छत्तीसगढ़ के बजट को दिशाहीन व निराशाजनक सहित जिले के लिए फिर से झुनझुना बताया है। उन्होने कहा है कि बजट से समाज के सभी वर्गों में घोर निराशा है। सिर्फ जुमला पत्र तैयार किया गया है, प्रदेश के साथ साथ सुकमा जिले को भी इस बार फिर से झुनझुना ही दिया, ट्रिपल इंजन वाली सरकार द्वारा इसमें मोदी की गारंटी को पूरा करने का कोई संकल्प नजर नहीं आता।
बजट केवल वित्त मंत्री की जुमलेबाजी तक सीमित हो गए है। मंत्री द्वारा पिछले साल बजट में ज्ञान (GYAN) की डींगे हांकी गई थी। एक साल बाद गरीब, युवा, किसान अन्नदाता व नारी का सम्मान जिक्र करने की बजाय गति की बात कही जा रही है। वित्त मंत्री ओपी चौधरी को बताना चाहिए की पिछले बजट की कौन सी बात कितनी लागू की गई है?
जब दिल्ली का चुनाव था तो भाजपाई केंद्र सरकार के बजट का बखान करते घूम रहे थे, केंद्र के बजट में जिस मिडिल क्लास को सब्जबाग दिखाया गया था, उसके सामने हकीकत अब आ रही है। मंहगाई का उल्लेख करने से भाजपा के लोग कतरा रहे हैं। आम जनता रोज जिस मंहगाई से पिस रही है उस पर मरहम रखने में राज्य का बजट नाकाम साबित हुआ है। गृहणियों को 500 रुपये का गैस सिलेंडर देने का वादा जुमला साबित हुआ है। छत्तीसगढ़ का बजट कर्मचारियों के लिए भी निराशाजनक साबित हुआ है। उनकी मांगों की अनदेखी की गई है।
राजेश नाग ने कहा है कि सुकमा जिले के लोगों ने बजट से जो उम्मीदें लगाई थीं उससे निराशा ही हाथ लगी है। सत्ता मिलने से पहले भाजपा जिस गांव, गरीब और किसान की बात करते थे, वे सब भाजपा को जान गए हैं कि यह जुमला फेंकने के अलावा कुछ नहीं करती है।
सुकमा जिला अस्पताल को स्पेशलिस्ट बनाना चाहिए था जो वर्तमान में रिफर सेंटर बना है विशेषज्ञ डाक्टरो की भर्ती होनी चाहिए,जिला अस्पताल सुकमा दवाईयां की कमी से जूझ रहा है अतिसंवेदनशील क्षेत्र के तर्ज पर सर्वसुविधायुक्त बनाना चाहिए। यहां पर स्कूलों की छत की अति आवश्यकता है आज भी कुछ जगहों पर बच्चे झोपडियो में पढ़ने को मजबूर हैं। शिक्षकों की अति आवश्यकता है जिससे बच्चों का शिक्षा में असर पड़ रहा है।
सुकमा जैसे क्षेत्र जो अतिसंवेदनशील माना जाता है स्थानीय युवाओं और युवतियां को प्राथमिकता दिया जाना चाहिए
पर्यटन के क्षेत्र में सुकमा का तुंगलबांध को बढ़ावा देना चाहिए
सुकमा जिले का अनेक कार्यों शुरु होने का इन्तजार कर रहा हैं। बजट ने युवाओं, महिलाओं, किसानों, बेरोजगारों, कर्मचारियों समेत समाज के सभी वर्गों को दुखी व निराश किया है। इसमें क्षेत्रीय असन्तुलन को दूर करने की पहल भी नहीं की गई है। भाजपा जब से राज्य की सत्ता में आई है तब से केवल आश्वासन देना व कांग्रेस को कोसना ही उसका काम रह गया है। राज्य सरकार को बजट में मोदी की तमाम गारंटियों को पूरा करने पर जोर देना था जो नजर नहीं आता। सिर्फ जुमला पत्र तैयार कर उसे किसी उत्सव की तरह पढ़ा गया।
इस बजट में प्रदेश के आदिवासी समाज के लिए बजट में कुछ नहीं है। शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य के लिए, बजट में कुछ भी नया नहीं है। मजदूरों और गरीबों की आमदनी बढ़ाने के लिए बजट में कुछ नहीं है। प्रदेश के वित्त मंत्री ने राज्य के वनोपजो पर आधारित उद्योगों, वनोपजो उत्पादों की खरीदी पर कोई बात नहीं की गयी है।
स्थानीय रोजगार के लिए फंड का अभाव: बस्तर में स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के लिए इस बजट में कोई विशेष फंड नहीं रखा गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के लिए कोई स्थायी नीति या योजना लागू करने के लिए तैयार नहीं है।
दरभा घाट के विकास के लिए इस बजट में सड़कों टनल निर्माण की कोई योजना नहीं है, जबकि यह क्षेत्र से गुजरने वाले यात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है। NH 30सुकमा से जगदलपुर सड़क जल्द निर्माण हो जिससे क्षेत्रीय यातायात के साथ स्वास्थ्य समस्या में सुधार हो सकता था, लेकिन सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है।
*प्रदेश के शासकीय कार्यालयों में कार्यरत अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण/स्थायीकरण, निकाले गए कर्मचारियों की बहाली, न्यून मानदेय कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन दिए जाने, अंशकालीन कर्मचारियों को पूर्णकालीन करने, आउट सोर्सिंग/ठेका/सेवा प्रदाता/समूह-समिति के माध्यम से नियोजन सिस्टम बंद करने के सम्बन्ध में बजट 2025 में किसी प्रकार के प्रावधान नहीं है।