समाज की मांग को सरकार नजरंदाज कर निर्दोषों की रिहाई नहीं करने से नाराज समाज ने न्यायपालिका का लिया सहारा
महासमुंद ट्रैक सीजी गौरव चंद्राकर
बलौदाबाजार कलेक्टर कार्यालय परिसर में हुई आगजनी कांड के आरोप में महासमुंद से गिरफ्तार प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज युवा प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष दिनेश बंजारे व जिलाध्यक्ष दाऊ विजय बंजारे को हाईकोर्ट से जमानत में रिहाई होने पर सतनामी समाज, सर्व अजा समाज,एससी एसटी संघ, छत्तीसगढ़िया सर्व समाज महासंघ के पदाधिकारियों व सदस्यों द्वारा बिठोबा टाकिज से अंबेडकर चौक तक आतिशबाजी व फुल माला के साथ स्वागत कर लाया गया तथा संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर के स्टैच्यू पर माल्यार्पण कर संविधान की जयकारा कर जश्न मनाई।
ज्ञात हो कि महकोनी गिरौदपुरी धाम स्थित जैत खाम को काटे जाने पर वास्तविक अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए सीबीआई जांच की मांग को लेकर सतनामी समाज ने 10 जुन को बलौदा बाजार में धरना-प्रदर्शन किया तथा कुछ असामाजिक षड्यंत्रकारीयो द्धारा कलेक्टर कार्यालय परिसर में तोड़फोड़ व आगजनी की घटना को अंजाम दिया गया।जिसके बाद प्रदेश भर के सामाजिक पदाधिकारियों व युवाओं के साथ अन्य 187 लोगों की गिरफ्तारी की गई थी। तथा समाज के निर्दोष लोगों को जबरन पकड़ कर मार-पीट व पुलिसिया अत्याचार किया गया।जिस पर समाज द्वारा सरकार से मिलकर निर्दोष लोगों की निशर्त रिहाई व दोषियों के ऊपर कार्यवाही की मांग करते रहे। परंतु सरकार द्वारा समाज के लोगों को अलग-अलग समय में छोड़ने की झुठी वादा करते रहे। तब समाज के लोगों ने सरकार से नाराज होकर कानुनविदो के राय अनुसार न्यायपालिका के शरण में गए और सुप्रीम कोर्ट से नारायण मिरी के जमानत के बाद हाईकोर्ट ने 43 मामलों में 14 लोगों को जमानत दी है।अब आगे भी सभी गिरफ्तार लोगों की रिहाई भी न्यायालय के माध्यम कराने के लिए समाज के अधिवक्ता व मुखिया गण लगें हुए हैं।
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जेल से रिहाई के बाद दिनेश बंजारे व विजय बंजारे ने संयुक्त रूप कहा कि आगजनी की घटना सतनामी समाज के लोगों ने नहीं किया है। बल्कि किसी बाहरी असामाजिक तत्वों ने अंजाम दिया है। परंतु पुलिस ने असली अपराधी को पकड़ने व सुक्ष्म जांच करने की बजाय सतनामी समाज के निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर मार-पीट के साथ ही अमानवीय व्यवहार किया गया। कई लोगों को गंभीर चोटें आई परन्तु प्रशासन ने चोटिल लोगों को दुरस्त जेलों में भेजकर धारा 144 लगाकर जेल में मेल-मुलाकात को बंद कर दिया। ताकि पुलिसिया अत्याचार जनता और मिडिया के सामने ना आ पाए। पुलिस प्रशासन जानबूझकर घटना करने वालो को छुट दी गई। बीस तीस हजार के भीड़ होने पर भी पुलिस की व्यवस्था बहुत ही लचर रही। पुलिस अपनी नाकामी छुपाने के समाज के एक-एक पदाधिकारी के ऊपर दो से सात एफआईआर दर्ज कर केस बनाई। फिर भी शांति प्रिय समाज के लोग सहन करते रहे।इसके बावजूद बलौदा बाजार में बंद समाज के लोगों को मानसिक शारीरिक व आर्थिक रूप से परेशान करने के लिए बलौदा बाजार जेल से सैकड़ों किलोमीटर दूर जगदलपुर व अंबिकापुर के जेलों में ट्रांसफर किया गया।सतनामी समाज सत्य अहिंसा को मानने के साथ भारतीय संविधान पर अटुट विश्वास रखतीं हैं। इसलिए न्यायपालिका पर पुरा विश्वास है कि पुलिस द्वारा बनाए गए झुठी कहानी वाली केस की पर्दाफाश होगी और हमारे समाज को न्याय मिलेगी।
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