महासमुंद ट्रैक सीजी गौरव चंद्राकर
संयुक्त मंच के बैनर तले आज महासमुंद जिले के पांचों ब्लॉक की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने अपनी 16 सूत्रीय मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने ज्ञापन में कहा है कि आई सी डी एस छह सेवाओं और पांच उद्देश्यों को लेकर पूरे देश में संचालित हो रहा है। लेकिन जिस प्रकार से हमारे ऊपर विभागीय और गैर विभागीय कार्य लादा जा रहा है उतना कर पाना अवास्तविक और असम्भव है। हमारी मांग यह है कि विभागीय कार्यों में आने वाली तमाम समस्याओं को तत्काल दूर किया जाए और गैर विभागीय कार्य करवाना तत्काल बंद करवाया जाए।
1, मोबाइल में पोषण ट्रैकर एप में आए दिन बदलाव हो रहा है और इसके लिए कार्यकर्ता को किसी भी प्रकार की प्रशिक्षण नहीं मिला है। कई रजिस्टर ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन भी भरना होता है। रोज की सभी गतिविधियां जैसे आंगनबाड़ी खोलना, अनौपचारिक शिक्षण, नाश्ता, खाना एवं गृहभेंट आदि की फोटो अपलोड करनी होती है।
2) पोषण ट्रैकर ऐप में नया अपडेट हआ है जिसके अनुसार हितग्राहीगण गर्भवती माता, शिशुवती माता, 6 माह से 3 वर्ष के बच्चे एवं किशोरी बालिका जिन्हें रेडी टू इट टेक होम राशन दिया जाता है, पहले उनके परिवार से कोई भी आकर लेकर जाता था लेकिन अब परिवार से किसी एक ही सदस्य का फोटो रजिस्टर्ड करना है और इसी व्यक्ति को टेक होम राशन देना होगा और उसी फोटो अपलोड करना होगा। परिवार के किसी दूसरे सदस्य की फोटो अपलोड नहीं हो सकेगी। लेकिन ऐसा नहीं होता है कि परिवार से केवल एक ही व्यक्ति आकर राशन ले जाए। अतः यह अवास्तविक है, इसमें बहुत समस्या हो रही है, यह तार्किक भी नहीं है और न्याय संगत भी नहीं है।
3) पोषण ट्रैकर ऐप के नए वर्जन में जितने भी हितग्राही है उनके आधार नंबर, मोबाइल नंबर के साथ में EKYC करना अनिवार्य किया गया है। इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि कई बच्चों का आधार कार्ड ही नहीं बना है, उनका मोबाइल नंबर गलत होता है या किसी और का होता है या वह काम नहीं कर रहा होता है। ऐसी स्थिति में हितग्राहियों का एवं बच्चों का ईकेवाईसी EKYC संभव नहीं है। ना उनका जन्म प्रमाण पत्र मिलता है और ना आधार कार्ड। आधार कार्ड बनाने के लिए पुराना जन्म प्रमाण पत्र नहीं माना जा रहा है नया अलग जन्म प्रमाण पत्र बनाना होगा।
इतनी सारी प्रक्रियाएं ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों में किस प्रकार संभव है? यह नहीं किया जाए तो हितग्राहियों का नाम खारिज हो जाएगा। अर्थात, आंगनबाड़ी के मुख्य उद्देश्य को खतरे में डालकर सिर्फ टेक्निकल एवं मोबाइल ऐप को प्राथमिकता दी जा रही है।
4) राज्य में सबको मोबाइल नहीं मिला है। जिन लोगों को पहले का मोबाइल मिला है वह मोबाइल खराब होता जा रहा है और काम नहीं कर रहा है। ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या है और एक साथ देश भर में इसी एप में काम करते समय एप कई बार काम नहीं करता है। इसके साथ-साथ मोबाइल के जरिए गैर विभागीय कार्य भी करने का भारी दबाव रहता है। यह सभी जानते हैं कि मोबाइल वर्जन हर चार-पांच साल में बदल जाते हैं और मोबाइल पांच साल से अधिक काम नहीं कर पाता है। पिछली महतारी वंदन योजना के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नेटवर्क पाने के लिए रात को 12:00 बजे से 4:00 बजे तक रोज काम करना पड़ा था। इन समस्याओं को सुलझाए बगैर आंगनबाड़ी उद्देश्यपूर्ण ढंग से संचालित करना संभव नहीं है।
5) सुपोषण चौपाल, मोबाइल इंसेंटिव तथा इंटरनेट चार्ज प्रति माह नहीं दिया जाता है, 4-6 महीने में एक बार दिया जाता है। यह भी एक बहुत बड़ी समस्या है।
6) ईंधन की राशि 1 रुपया प्रति हितग्राही प्रतिदिन दी जाती है जो बहुत ही कम है। अगर गैस सिलेंडर है तो उसे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को अपने पैसे से भरवाना होता है। चावल की मात्रा बच्चों के हिसाब से बहुत कम दी जाती है। इन समस्याओं का हल करना आवश्यक है।
B) साथ ही दुख की बात है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर गैर विभागीय कार्य का भी असहनीय व असंभव बोझ लादा जा रहा है। पहले ही आंगनबाड़ी का कार्य बहुत बढ़ गया है और ऑनलाइन हो जाने के कारण काम दुगुने से ज्यादा हो गया है। कार्यकर्ता इस काम को करने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं है।
7) महतारी वंदन योजना को क्रियान्वित करने के लिए रात-रात भर जागकर कार्यकर्ताओं ने फॉर्म को भरा था एवं निजी स्तर 5 विभिन्न कंप्यूटर सेंटरों से भी फार्म भरे गए थे। इसके लिए विभाग से या सरकार से हमें कुछ भी नहीं मिला।
अब नए फरमान के अनुसार तमाम फॉर्म को दोबारा जांच करना है। पता करना है कि मृत्यु तो नहीं हुई है और इनकम टैक्स के दायरे में तो नहीं है आदि आदि। धमकी दी जा रही है कि गड़बड़ी पाए जाने पर हितग्राही को मिलने वाला पैसा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के तनख्वाह से काटा जाएगा। पहले ही बस्तर की एक कार्यकर्ता को गलत तरीके से बर्खास्त कर दिया गया है। हम मांग करते हैं कि यह गैरविभागीय कार्य बंद करवाया जाए।
C) सरकार के द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं से सरकारी कर्मचारियों से अधिक वर्कलोड दिया जा रहा है। अपने अलावा दूसरे विभागों के तमाम कार्य एवं तमाम सामाजिक एवं अन्य कार्य करवाए जाते हैं। और इन सब कार्यों को करवाने के लिए प्रशासन का रवैया तानाशाहीपूर्ण रहता है। लेकिन सरकार यह क्यों नहीं याद रखती है कि इन्हीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट के ग्रेच्युटी के आदेश को लागू करना कैसे भूल जाती है। यह क्यों याद नहीं रहता कि रिटायरमेंट के बाद कार्यकर्ता सहायिकाओं को भीख मांगने के लिए छोड़ दिया जाता है। हमारी वर्षों से लंबित न्याय संगत मांगों पर विचार क्यों नहीं किया जाता, उन्हें क्यों नहीं माना जाता।
बॉक्स
१) पोषण ट्रैकर ऐप के नए वर्जन में आधार कार्ड, फोन नंबर एवं ईकेवाईसी आदि तत्काल बंद करवाया जाए।
२) प्रत्येक गतिविधि का अनावश्यक फोटो अपलोड बंद करवाया जाए। हितग्राही के किसी एक ही सदस्य का रजिस्ट्रेशन फोटो बंद करवा कर पहले की तरह करवाया जाए।
३) सभी को सभी कार्यकर्ताओं को अच्छे स्तर का 5G मोबाइल खरीदने के लिए ₹20000 प्रति कार्यकर्ता दिया जाए।
४) सुपोषण चौपाल, मोबाइल इंसेंटिव तथा इंटरनेट चार्ज प्रति माह दिया जाए। इंटरनेट चार्ज 350 रुपया प्रतिमाह दिया जाए। ईंधन की राशि बढ़ाई जाए या गैस सिलेंडर के का लिए प्रति माह कार्यकर्ता के खाते में पैसा जमा किया जाए। चावल की मात्रा प्रति बच्चा 100 ग्राम किया जाए।
५) गैर विभागीय कार्य करवाना तत्काल बंद किया जाए। महतारी वंदन योजना का बल यह कार्य करवाना बंद करवाया जाए। अगर बंद नहीं किया गया तो हम इसका
बहिष्कार करेंगे।
६) बड़े शहरी क्षेत्र में आंगनबाड़ी भवन किराया ₹7000, छोटे शहरों में ₹5000 और ग्रामीण क्षेत्रों में ₹3000 प्रतिमाह दिया जाए।
७) प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र को प्रतिमाह ₹500 आकस्मिक निधि प्रदान की जाए।
८) गुजरात हाईकोर्ट के निर्णय अनुसार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाए।
९) सुप्रीम कोर्ट के निर्णयानुसार ग्रेच्युटी का कानून आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाओं पर लागू किया जाए।
१०) शासकीय कर्मचारी घोषित किये जाने तक श्रम कानून के तहत न्यूनतम का पारिश्रमिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को कम से कम प्रति माह 21000/- और सहायिका बहनों को 18000/-स्वीकृत किया जावे।
११) सामाजिक सुरक्षा के रूप मे प्रोविडेंट फंड (भविष्य निधि), ग्रेच्युटी व चिकित्सा खर्च आदि लागू किया जाए।
१२) सभी को जीने लायक पेंशन न्यूनतम ₹10000 प्रति प्रतिमाह लागू किया जाए।
१३) कार्यकर्ता को बिना किसी बाधा के शत प्रतिशत सुपरवाइजर पदों पर पदोन्नति दी जाए एवं सहायिका को शत प्रतिशत कार्यकर्ता के पद पर पदोन्नति दी जाए।
१४) कार्यकर्ता व सहायिका की आकस्मिक मृत्यु होने पर परिवार को 10 लाख रुपए व एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान किया जाए।
१५) सेवानिवृत्ति होने पर कार्यकर्ता को ₹10 लाख व सहायिका को ₹8 लाख दिए जाएं। १६) कार्यकर्ता एवं सहायिका को स्वयं तथा परिवार के लिए चिकित्सा खर्च एवं सवैतनिक अवकाश दिया जाए। विभाग के शासकीय कर्मचारियों को जो अवकाश मिलते हैं उन्हें लागू किया जाए।
आज ज्ञापन सौंपने वालों में सुधा रात्रे प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ सक्षम आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ द्रोपदी साहू जिला अध्यक्छ छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ दमयंती शर्मा लता रेणु निराला छत्तीसगढ़ सक्षम आंगनबाड़ीसे जिला अध्यक्छ सुलेखा शर्मा छाया हिरवानी हेमलता मधुकर अंजू प्रजापति धनमती बघेल अहिल्या मरकाम संरक्षक अशोक गिरी गोस्वामी दिलीप तिवारी हाजरा निशा खान अहिल्या मरकाम सुल्तानाखान लल्ली आर्य जानकी आर्य रागिनी चंद्राकर सरिता बागडे रूपा भारती अंजू चंद्राकर त्रिवेणी रामदुलारी मानकी धूरे सुरजा छाया हिरवानी चंद्राकर चंद्रकला वर्मा अन्नपूर्णा चंद्राकर सुकृति ध्रुव योजना यादव संध्या चंद्राकर विमला सोना आभा साहू अंजुला चौरसिया किरण साहू उपस्थित थे।
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