पिथौरा ट्रैक सीजी गौरव चंद्राकर
10 दिसंबर को शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सावित्रीपुर में 1857 स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह के बलिदान दिवस पर कार्यक्रम रखा गया।जिसमें छत्तीसगढ़ के अमर सपूत वीर नारायण सिंह के जीवन तथा साहसिक कार्यों पर प्रकाश डाला गया।साथ ही 10 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के उपलक्ष्य में मानव अधिकारों के बारे में जानकारी दी गई।संस्था के प्राचार्य पी सिदार सर ने वीर नारायण सिंह के मातृभूमि के लिए योगदान को याद करते हुए कहा कि स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन न्योछावर कर देने वाले आदिवासी जननायक वीर नारायण सिंह छत्तीसगढ़ी महतारी के सच्चे सपूत थे ।उन्होंने सन 1856 के भीषण अकाल के दौरान गरीबों को भूख से बचाने के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कठिन संघर्ष किया।वरिष्ठ व्याख्याता निर्मल साहू सर ने कहा कि उन्होंने सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में छत्तीसगढ़ की जनता में देशभक्ति का संचार किया।राज्य सरकार ने उनकी स्मृति में आदिवासियों एवं पिछड़ा वर्ग में उत्थान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान स्थापित किया है।मिडिल स्कूल हेडमास्टर एसएल पटेल सर ने कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह के अन्याय के खिलाफ संघर्ष,मातृभूमि के प्रति समर्पण और बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा।ध्रुव सर ने कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह ने अंग्रेजों से लंबी लड़ाई लड़ी और आजीवन झुके नहीं उनका जीवन संघर्ष और वीरता सदैव हमें प्रेरित करता रहेगा। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के उपलक्ष्य में मानव अधिकारों के बारे में छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए ईडी हेड बीडी साहू सर ने कहा की मानव अधिकार के व्यापक अर्थ है।इसकी छतरी के नीचे गरिमापूर्ण जीवन की तमाम ज़रूरतें आ जाती हैं। इसका हनन हो तो कोई भी मानव अधिकार आयोग का दरवाजा खटखटा सकता है ।यहां शिकायत करने के लिए ना तो कोई शुल्क लगता है ना ही वकील की जरूरत होती है। व्याख्याता सुभाष सिंह सर ने कहा कि किसी व्यक्ति के साथ किसी भी कीमत पर कोई भेदभाव ना हो,समस्या ना हो, सब शांति से खुशी-खुशी अपना जीवन जी सके,इसलिए मानव अधिकारों का निर्माण हुआ है। इसे सभी को समझना और उपयोग करना जरूरी है।एनके जलछत्री सर ने कहा कि भारत में नागरिकों को मूल अधिकार दिए गए हैं। इसमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार,शोषण के विरुद्ध अधिकार धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार,संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार ,संवैधानिक अधिकार शामिल है ।सभी को इसका प्रयोग करना चाहिए ।व्याख्याता डी के भारती सर ने कहा कि भारत के संविधान में मानव अधिकार की गारंटी दी गई है भारत में शिक्षा का अधिकार इसी गारंटी के तहत है ।हमारे देश में 28 सितंबर 1993 से मानव अधिकार कानून अमल में आया और सरकार ने 12 अक्टूबर 1993को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया। संकुल समन्वयक पी एल चौधरी सर ने कहा कि मानव अधिकार वे मूलभूत अधिकार है जिसे मनुष्य को नस्ल, जाति,राष्ट्रीयता,धर्म लिंग आदि के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता ।मानव अधिकार दिवस मनाने का मकसद लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है।मानव अधिकार में स्वास्थ्य,आर्थिक सामाजिक और शिक्षा का अधिकार शामिल है। मानव अधिकार इंसान को जन्म से प्राप्त है इन्हें पाने में जाति,लिंग,धर्म,भाषा,रंग,राष्ट्रीयता आड़े नहीं आते। श्रीमती सविता जलछत्री मैडम ने कहा कि संवेदनशीलता और सहानुभूति विकसित करना मानव अधिकारों को बढ़ावा देने का सूत्र है।वास्तव में यह कल्पना शक्ति के अभ्यास पर काम करता है।यदि हम उन लोगों के स्थान पर स्वयं की कल्पना करें, जिन्हें मनुष्य से कम समझ जाता है तो हमारी आंखें खुली रह जाएगी और हम अवश्य ही कुछ करने को बाध्य होंगे।एक तथाकथित गोल्डन रूल है,जो कहता है दूसरे के साथ ऐसा व्यवहार करें जैसा आप अपने साथ चाहते हैं।यह मानव अधिकार को खूबसूरती से अभिव्यक्त करता है। प्रवीण साहू सर ने कहा कि मानव अधिकार का मतलब मनुष्यों को वह सभी अधिकार देना है जो व्यक्ति के जीवन,स्वतंत्रता,समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं।यह सभी अधिकार भारतीय संविधान के भाग 3 में मूलभूत अधिकारों के नाम से मौजूद है और इन अधिकारों का उल्लंघन करने वालों को अदालत द्वारा सजा दी जाती है। उत्तम भोई सर ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भारत में राजनीतिक,आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्षेत्र में काम करता है और मजदूरों,एचआईवी एड्स, हेल्थ,बाल विवाह,महिला अधिकार,स्वास्थ्य,हिरासत और मुठभेड़ में होने वाली मौतों जैसे विषयों पर सक्रियता दिखाता है।
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