तनुज सरकार । पखांजूर किसी एक क्षेत्र वासियों के बातों पे भले यकीन करना मुश्किल हो एक कहावत इन दिनों हकीकत का रूप लेते नजर आ रहा है कि एक व्यक्ति किसी पे आरोप लगाए तो झूठी हो सकती ही मगर जब बाते एक से हजारों में हो तो कही न कही उसे झूठ समझना मूर्खता है या कोई बड़ी साजिश ट्रैक सीजी की टीम लगातार कई महीनों से नकली खाद के खबरों को सामने ला रही ही यह तक की शासन प्रशासन के माप दंड में खरे उतरे कविता बायो फर्टिलाइजर के सैंपल की खुद दुकान से खरीद कर उसकी जांच नागपुर लैब में कराई जिसमें दूध का दूध पानी का पानी हो गया सभी का ध्यान में एक ओर आकर्षित करना चाहूंगा कि कविता बायो फर्टिलाइजर और इस जैसे कंपनी की जांच रिपोर्ट का सही पाया जाना इसलिए संभव है क्योंकि जांच केवल उन्हें जो चाहिए उसकी होती है अब तक न ही कृषि अधिकारियों ने सैंपल में नमक की मात्रा अर्थात एन ए सी एल की कभी जांच की मांग की मगर मेरे द्वारा स्वयं कविता बायो फर्टिलाइजर के दोनों पोटाश को नागपुर ले जाकर लैब में जी एस टी बिल के साथ दोनों सैंपलों की जांच की गई जिसमें एक सैंपल में जो कि ऑर्गेनिक पोटाश के नाम से बाजार में उपलब्ध है उसमें 92% नमक पाया गया पानी में घुलनशील पोटाश 20% की जगह न के बराबर पाया गया। वहीं दूसरी ओर आई पी एल 555 में नमक की 88% और पोटाश न के बराबर पाया गया सवाल ये ही कि जब क्षेत्र में इतने बार नमक में रंग लगाकर पोटाश बेचा जा रहा है कि बाते अधिकारियों के कानों तक आती है तो जांच में इसकी पुष्टि क्यों नहीं की जाती है
एक और नकली पोटाश से लोगों को अब तक राहत नहीं मिल रही वही अन्नदाता, कविता बायो फर्टिलाइजर और ग्रोवर बायो फर्टिलाइजर द्वारा राखड़ खाद जो भिलाई स्टील प्लांट से निकलने वाला डस्ट है जिसमें कुछ उपकारी तत्व मौजूद होते है जिसे बाजार में राजा सलफेट के नाम से बेचा जाता है कई जगहों में प्रतिबंधित है उसे सिंगल सुपर फास्फेट के नाम से बाजार में खुलेआम महंगे दामों में बेचा जा रहा है सूत्रों के मुताबिक जब से बायो फर्टिलाइजर की डिमांड बढ़ रही है तब से फ्लाईएस की मांग लगातार बढ़ी है।
आखिर किसके आदेश और शह पर ऑर्गेनिक मेन्यूयर पाउडर ओर दानेदार की बोरी में सुपर पाउडर लिख के बेचा जा रहा है जबकि उक्त बोरियो में ऑर्गेनिक मेन्यूर पावडर लिखना चाहिए न कि सुपर पाउडर ऐसा लिख के किसानों को गुमराह किया जा रहा है किसानो को ये सिंगल सुपर फास्फेट बोलकर ठगी का शिकार बना रहे है आखिर समय पे जिला अधिकारी द्वारा सैंपल की सही जांच होती तो हजारों किसान ठगी के शिकार होने से बच जाते।
नकली खाद के काला बाजारियों के लिए शासन प्रशासन ने दे रखी खुली छूट।
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