जीर्णोद्धार के नाम से ठेकेदार ने की खानापूर्ति।
बीजापुर ट्रैक सीजी न्यूज जिला ब्यूरो चीफ
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में स्कूलों का जीर्णोधार करने के लिए स्कूल जतन योजना लाया था।इस योजना के तहत प्रदेश के लगभग 30 हज़ार जर्जर स्कूल भवनों के मरम्मत के लिए हजारों करोड़ रुपए खर्च किए गए थे।ताकि स्कूल भवनों की हालत सुधर सके।लेकिन ये सुधार कार्य सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गया।क्योंकि जमीनी हकीकत तो कुछ और ही है।
ताजा मामला बीजापुर जिले के बीजापुर जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत धनोरा के प्राथमिक शाला रेंगानार का है।यहां पर योजना के तहत सिर्फ खाना पूर्ति की गई है।
शिक्षा विभाग एवं लोक निर्माण विभाग की देख-रेख में ठेकेदार ने स्कूल का मरम्मत कराया लेकिन ये काम भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।स्कूल के प्रधान पाठक ने बताया कि इस स्कूल के छत के रिपेयर के साथ कई और कार्यो को करना था,लेकिन ठेकेदार ने सिर्फ पुट्ठी पेंट कर खानापूर्ति कर लिया।स्कूल जतन योजना में ठेकेदार ने सिर्फ पुट्ठी पेंट का काम कर इंजीनियर के साथ मिल विभाग को चुना लगा दिया।
प्राथमिक शाला रेंगानार में पहली से पांचवी तक कि कक्षा लगती है।जंहा कुल 76 बच्चे पढ़ाई कर रहे है।एक बिल्डिंग में 76 बच्चे पढ़ने को मजबूर है।क्यों कि स्कूल की एक बिल्डिंग में मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत लगभग 04 लाख की लागत से जीर्णोद्धार का कार्य होना था।ठेकेदार ने कई माह पहले कार्य प्रारंभ कर दिया।काम करने के नाम से स्कूल बिल्डिंग की छत को तोड़ कर रख दिया और स्कूल प्रबंधन से 60 हज़ार का भुगतान भी ले लिया और मरम्मत का काम अधूरा छोड़ चलते बना।
अब स्कूल भवन अधूरा होने की वजह से बच्चे स्कूल बिल्डिंग के दो कमरे में 76 बच्चे दो शिक्षक के सहारे पढ़ने को मजबूर है।स्कूल की हालत देखे तो किसी खंडहर से कम नहीं लग रहा है।
बोर का लाल पानी पीने को मजबूर बच्चे,सौच के लिए जंगल जाने को मजबूर—-
इस स्कूल में बच्चो के पीने एवं खाना बनाने के लिए बोर से निकलने वाला लाल पानी का उपयोग किया जा रहा है।लाल पानी पीने की वजह से बच्चो के दांत भी पीले नज़र आने लगे है।वंही स्कूल में स्थित सौचालय की हालत भी खराब है।बच्चे सौच के लिए बाहर जंगल जाने को मजबूर है।जिससे उन्हें सांप बिछु का डर बना रहता है।कूल के शिक्षकों ने बताया कई बार शिकायत करने के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है।