ट्रैक सीजी न्यूज़ (मुंगेली)
पथरिया – छत्तीसगढ़ में परंपरागत तौर पर कई सारे लोक नृत्य आज भी प्रचलित हैं,जिसमें से एक सुआ नृत्य है।नृत्य में बालिकाओं की टोली एक बांस के बने टोकरी में चावल रख कर उसमें मिट्टी का बना तोता रखती हैं।
बांस की टोकरी में बालिकाओं की टोलियां घूम-घूम कर सुआ नृत्य करती हुई स्वयं ही ताली बजाकर सुआ गीत गाया जा रहा।ग्राम पंचायत बेलखुरी के यूवा,सामाजिक कार्यकर्ता,वीरांगना अवंतीबाई लोधी शासकीय महाविद्यालय पथरिया के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष सुरेश कुमार राजपूत ने बताया कि शाम होते ही घरों में सुआ नृत्य के लिए बालिकाओं में उत्साह दिख रहा हैं बालिकाओं के द्वारा सुआ लहकच हे डार मा, तोर नाम बोलत हे राम तोला बारंबार प्रणाम,नारी होय तो सवित्री जैसे पति व्रता ओ कहलाय जैसे गीत गाते लोगों के घरों में पहुंच रही है।पर्व विशेष को लेकर छोटी छोटी बालिकाएं साड़ी मे आकर्षक सज धज कर,टोकरी में माँ लक्ष्मी की मूर्ति रखकर,सुआ नूत्य करने पहुंच रही है।अनेक टोली सुबह से शाम तक प्रस्तुति दे रही है।आसपास ग्रामीण अंचल में इन दिनों सुआ नृत्य की धूम मची हुई।सुआ नृत्य छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है,जो न केवल उनके धार्मिक और सामाजिक जीवन को समृद्ध करता है,बल्कि उनके सांस्कृतिक गर्व और पहचान को भी बनाए रखता है।दीपावली के समय इसका आयोजन खासतौर पर होता हैं।