दुर्ग, (ट्रेक सीजी न्यूज/सतीश पारख) असामान्य वर्षा, भू-जल के अत्याधिक दोहन के कारण घटते भू-जल स्तर, सिंचाई स्रोतों के निरंतरता, वर्षा जल को बचाने एवं संरक्षित करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा जलशक्ति अभियान ’’कैच द रेन’’ विषय पर राष्ट्रव्यापि अभियान चलाया जा रहा है। इसी अनुक्रम में कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी के मार्ग दर्शन एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत दुर्ग श्री अश्वनी देवांगन की अध्यक्षता में जिला पंचायत सभागृह में जिले के कृषकों एवं कृषि विभाग के मैदानी अधिकारियों में जागरुकता तथा तकनीकी मार्गदर्शन हेतु नलकूप जल पुनर्भरण विषय पर कार्यशाला का आयोजन 03 अक्टूबर 2024 को किया गया।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य जिले में सिंचाई के लिए घटते भू-जल स्तर को वर्षा जल के संरक्षण के माध्यम से बाढ़ एवं मिट्टी के कटाव की संभावनाओं को कम करना एवं फसल की विभिन्न अवस्थाओं मे जल आपूर्ति संभव कर फसल उत्पादन में वृद्धि, त्रिफसलीय कृषि के अवसर को बढ़ाना है। कार्यशाला में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत ने जल संकट का जिले का परिदृश्य बताया कि 92 ग्राम पंचायत जल संकट से तीव्र रुप से जूझ रहे है एवं 166 ग्राम पंचायत में निकट में जल संकट की विकट स्थिति उत्पन्न हो सकती है। आगे उन्होंने बताया कि किस प्रकार उक्त स्थिति से नलकूप जल पुनर्भरण के माध्यम से निजात पा सकते है साथ ही उन्होंने उपस्थित कृषकों से आग्रह किया कि वे स्व-प्रेरणा से अपने खेतों में नलकूप जल पुनर्भरण की संरचनाएं बनाएं जिसके लिए तकनीकी मार्गदर्शन मनरेगा के तकनीकी विशेषज्ञों एवं कृषि विभाग के मैदानी अधिकारियों द्वारा दिया जाएगा। कार्यशाला के तकनीकी बिंदुओं की जानकारी ए.पी.ओ. मनरेगा द्वारा दी गई साथ ही कृषकों के विभिन्न प्रश्नों/समस्याओं का निराकरण किया गया।
अंत में उप संचालक कृषि द्वारा कृषकों को अवगत कराया गया कि नलकूप जल पुनर्भरण से नलकूप के भू-जल स्तर को बढ़ाया जाना आज की नितांत आवश्यकता है। इन नलकूप पुनर्भरण संरचनाओं जो कि कम लागत में बनकर तैयार होते हैं, भू-जल स्तर को बढ़ाने के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं, जिसका अनुभव कृषक संरचना निर्माण के दो साल के भीतर ही कर सकते है। आगे उन्होंने कहा कि आज का समय बाजार के हिसाब से कम जल मांग वाली फसलों को एवं टिकाऊ खेती करने में है। साथ ही उन्होंने कृषकों को ग्रीष्मकालीन धान के बदले अन्य नगदी एवं दलहन,तिलहन फसल लगाने तथा फसल विविधिकरण हेतु प्रेरित किया। ग्राम बटरेल विकासखण्ड पाटन से आए कृषक श्री पुराणिक साहू ने अपना अनुभव साझा करते हुए नलकूप जल पुनर्भरण संरचनाओं के उपयोग से विगत 6 वर्षों से उन्नत खेती यथा गेहूँ एवं सरसों का रोपा द्वारा बम्फर उत्पादन लेने के विषय में बताया। साथ ही उन्होंने नलकूप जल पुनर्भरण संरचना का निर्माण की विधि का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। उक्त कार्यशाला कृषकों के लिए बहुत ही लाभदायक एवं उपयोगी रही, जिसके परिणाम स्वरुप कृषकों द्वारा शपथ लिया गया कि वे आने वाले समय में अपने-अपने खेतों एवं नलकूपांे में जल पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण अवश्यक करेंगे। जिसमें धमधा विकासखंड से श्री भूपेन्द अकोला, श्री विनय पटेल हरदी, श्री डामनलाल साहू बिरोदा, श्री रामखिलावन साहू माटरा, श्री सुरेन्द्र साहू बिरोदा, श्री संतोष साहू हरदी, श्री दयाशंकर मोहरेंगा, श्री टुमन रामधर साहू बिरोदा, विकासखंड दुर्ग से श्री उत्तम चंद्राकर बोरई, श्री माधो प्रसाद निकुम, श्री नंदकिशोर पाउवारा, श्री मनीष बेलचंदन झोला, श्री कमल नारायण साहू भानपुरी, श्री अजय कुमार देशमुख चंगोरी, श्री चोवारा साहू कोटनी, श्री गनपत देवांगन मोहलई। विकासखण्ड पाटन से श्री केदारनाथ रुही, श्री गिरधर ओदरागहन, श्री अनूप महकाखुर्द, श्री शेखर पौहा, श्री विमला बाई सिकोला, श्री गणेश पतोरा, श्री महेन्द चंगोरी कृषकों ने स्व-प्रेरणा से अपने अपने-अपने खेतों एवं नलकूपांे में जल पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर करने की बात कही है जो कि निकट भविष्य में जिलों के सभी कृषकों के लिए प्रेरणा के एक स्रोत बनेंगे। आयोजित की गई कार्यशाला में जिला पंचायत दुर्ग के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अश्वनी देवांगन, उप संचालक कृषि श्री संदीप कुमार भोई, सहायक संचालक कृषि श्री विकास साहू, ए.पी.ओ. मनरेगा श्री अरदीप दीधी, जिले के कृषि विभाग के मैदानी अधिकारी एवं विकासखंडों के 60 कृषक उपस्थित थे।
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