गौरव चंद्राकर महासमुंद
पेड़ का दर्द
बैचैन है बेचैनी भी
तेरे दिये दर्द से ।
जख्म भी जख्मी है
तेरे किये चोंट से ।
कई कहर ढाये मुझपे
किये कुल्हाड़ी वार से ।
मैंने तो दी जिंदगी तुम्हें
तुमने तो छीनी हम से ।
खड़े थे मानव के लिये
धड़ से काट डाले कर से ।
पड़ा ठूंठ कराह रहा
ना काटो कह रहे तुम से ।
संतोष गुप्ता साहित्यकार
पिथौरा
जिला – महासमुंद ( छत्तीसगढ़ )