बलौदाबाजार (ट्रेक सीजी न्यूज/सतीश पारख)
जिला मुख्यालय से महज 8 कि मी की दूरी पर बलौदाबाजार बिलासपुर मुख्य मार्ग पर पड़ने वाले ग्राम खजूरी में अनिमेष पॉवर प्लांट द्वारा लगाए जा रहे स्पंज आयरन प्लांट के विरुद्ध दायर जन हित याचिका में सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा एवं रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा की बिना जगह देखे अनुमति कैसे दी गई।
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के साथ ही पर्यावरण विभाग और स्पंज आयरन प्लांट को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई13 अगस्त को होगी।
विदित हो की ग्राम खजूरी में विगत कई वर्षों से अनिमेष पॉवर प्लांट का संचालन किया जा रहा है उसी स्थान पर और जमीन खरीदकर स्पंज आयरन प्लांट स्थापित किया जा रहा है जिसका ग्रामीणों द्वारा 6-7 वर्षों से लगातार विरोध किया जा रहा था प्लांट द्वारा नियमों को ताकपर रखकर प्लांट का संचालन हो रहा है जिसकी शिकायत ग्रामीणों द्वारा की जाती रही है स्पंज आयरन प्लांट स्थापना को लेकर ग्रामीणों ने शासन प्रशासन पर आरोप लगाया था की बिना जनसुनवाई और ग्राम पंचायत से अनुमति केबिना ही प्लांट की स्थापना की जा रही है पूरा क्षेत्र कृषियोग्य भूमि जहां प्लांट के समीप ही 4-5 गांवों के लोग निवासरत हैं शिवनाथ नदी एवं सोनबरसा जंगल से लगा पूरा इलाका स्पंज आयरन प्लांट से बर्बाद हो जाएगा।प्लांट के विरोध में ग्रामीणों द्वारा सरकार एवं उच्च अधिकारियों की अनदेखी से नाराज होकर लोकसभा2024 चुनाव का बहिष्कार भी किया गया था तब राजस्व अनुविभागीय अधिकारी द्वारा प्लांट में चल रहे निर्माण कार्य पर तत्काल रोक लगाकर जांच कराने की बात कही गई थी लेकिन पुनः प्लांट द्वारा निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया स्थिति को देखते हुए ग्रामीणों ने 10 जून को चक्काजाम एवं धरना प्रदर्शन भी किया लेकिन बलौदाबाजार में आगजनी की घटना को देखते हुए ग्रामीणों ने अपना प्रदर्शन वापस ले लिया था फिर भी सरकार एवं प्रशासन द्वारा कोई ध्यान न देने पर दिलीप कुमार पांडेय एवं अन्य ग्रामीणों के द्वारा जनहित याचिका वकील के माध्यम से लगाई गई थी जिसकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा एवं रविन्द्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने की। वकील ने दलील देते हुए कहा की नदी नाले जंगल एवं रिहायशी इलाकों के समीप इस तरह के किसी भी उद्योग को लगाने की अनुमति कैसे दी जा सकती है जिससे पर्यावरण के साथ जल आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित होगा।मुख्य न्यायाधीश ने अनुविभागीय अधिकारी के वकील से पूछा की बिना जगह का मुआयना किये उक्त भूमि का औद्योगिक डायवर्शन किस आधार पर किया गया कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा की बिना जनसुनवाई बिना जगह देखे ग्रामीणों के इतने विरोध के बावजूद प्लांट लगाने की अनुमति कैसे दी गई मुख्य न्यायाधीश ने नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य शासन पर्यावरण बोर्ड और प्रशासन से इसके संबंध में जवाब मांगा है।
ज्ञात हो की अभी कुछ दिनों पूर्व ही शिवनाथ नदी में फैक्टरियों का प्रदूषित पानी छोड़ने से हजारों की संख्या में मछलियों एवं पशुधन को मृत पाया गया था वन क्षेत्रों नदी नालों के किनारों रिहायशी इलाकों तथा कृषियोग्य भूमि के समीप ऐसे प्लांट लगाने से मनुष्यों के साथ जीव जंतुओं पशु पक्षियों नदियों के जल जंगल वनों पेड़ पौधों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।