बागबाहरा ट्रैक सीजी गौरव चंद्राकर
सखी सईंया तो खूब ही कमात हे,महंगाई डायन खाये जात हे। फिल्म पीपली लाइव का यह गाना वर्तमान के परिदृश्य में एकदम ठीक बैठता है। जहां भोजन में उपयोग होने वाले रोजमर्रा के खाद्य पदार्थ चौगुने महंगे हो गए हैं। जिस पर केंद्र तथा राज्य सरकार अंकुश ना लगाते हुए गरीब की कमर तोड़ने के लिए आमदा है। वही इस डबल इंजन की सरकार के राज्य में नकली बीजों के वितरण से किसान हताश नजर आ रहे हैं।
उक्त विचार छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व संसदीय सचिव और वर्तमान खल्लारी विधानसभा विधायक द्वारकाधीश यादव ने बढ़ती महंगाई के ऊपर व्यक्त किए हैं।
श्री यादव ने बताया कि वर्तमान में महंगाई का ऐसा कहर है कि दूसरी सब्जियों की बात छोड़िए गरीब की थाली में जो आलू आए दिन दिख जाया करता था उसके भाव तो आसमान छूने लगे हैं। जिसके चलते गरीब तबके से लेकर मध्यम वर्ग भी बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है और आम लोगों के जीवनचर्या में बहुत बुरा असर डाल रहा है।
श्री यादव ने कहा कि शहर से लेकर गांव तक भोजन में उपयोग होने वाले पदार्थ की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है इसके चलते आम जनता के द्वारा रोजमर्रा की उपयोग की वस्तुओं को खरीदने की जो व्यवस्था है वह बुरी तरह से प्रभावित हुई है।
जिसका पूरा-पूरा जिम्मेदार केंद्र और राज्य की सरकार है जो गरीब और निचले मध्यम वर्ग के परिवारों को महंगाई की चक्की में पीसने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।श्री यादव ने बताया कि हर खाद्य सामग्री का एक निश्चित सीजन होता है जिसमें वह उत्पादित होकर बाजार तक पहुंचती है उस दौरान उस सामग्री की कीमतें कम होती है लेकिन जनवरी से लेकर जून पर्यंत तक यदि हम खाद्य पदार्थों के सीजनली मूल्य को देखें तो उसमें कोई कमी नहीं आई है। श्री यादव ने कहा कि सामान्य तौर पर एक फसल से दूसरी फसल आने के बीच में महंगाई बढ़ती है लेकिन जैसे ही नई फसल आती है तो वह भोज्य पदार्थ सस्ता हो जाता है लेकिन इस बार तो उल्टा ही हुआ नई फसल आने के बाद भी उक्त फसलों के कीमत में कोई अंतर नहीं आया। बात करते हैं सब्जी की तो मार्च से अप्रैल के बीच गर्मी के मौसम से जुड़ी हुई सब्जियां बाजार में आना शुरू हो जाती है और उनकी कीमतों में कमी हो जाती है भले ही बारिश के चलते कीमतों में थोड़ी वृद्धि देखने को मिल जाती है। लेकिन इस बार तो उल्टा ही हुआ बारिश के पहले ही सब्जियों फलों की कीमतों में इतनी बढ़ोतरी हुई की मत पूछिए। मैं यह बात यूं ही नहीं कह रहा हूं इसका प्रमाण तो उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक दे रहा है और जिसके आकलन से इतना बड़ा खुलासा हुआ है कि खाद्य पदार्थों के मूल्य में चार गुना वृद्धि हुई है।अब मोदी जी भी महंगाई के चार गुना बढ़ने की बात को छुपा नहीं सकते।आम जनता महंगाई बढ़ाने में व्यापारियों को दोष देता है कि इस बार बहुत महंगा सामान बेच रहे हो। लेकिन इसके पीछे डबल इंजन सरकार की करगुजारियों को जनता समझ नहीं पा रही है।
मोदी जी का तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दावा – किसानों से छलावा
हाल ही में मोदी जी अपने भाषणों में देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का दंभ भरते हुए नजर आए। लेकिन हमारे देश को दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के दौरान इन्होंने किसान का हित साधने के लिए क्या किया। उन्होंने किस को केवल लॉलीपॉप पकड़ा और कुछ नहीं। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि दिन ब दिन किसानों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। वही इस डबल इंजन की सरकार के राज में नकली बीजों के वितरण के चलते अन्नदाता किसान हताश और परेशान नजर आ रही है।
आज यह केंद्र और राज्य की सरकार बड़े-बड़े रोड, फ्लाईओवर, बड़े-बड़े बिल्डिंग बनाने का दावा करती है ।लेकिन इसने क्या कभी किसानों के विषय में सोचा है, खाद बीज और कृषि इतनी महंगी हो चुकी है कि लोग कृषि की ओर से विमुख होकर अन्य कार्यों में लगने की सोच रहे हैं। इस प्रकार की महंगाई की मार के साथ अमृत महोत्सव मानना छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ सरासर छलावा है।
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