रायपुर (ट्रेक सीजी न्यूज छत्तीसगढ) प्रदेश के चार लाख सरकारी कर्मचारी व डेढ़ लाख पेंशनधारी केंद्र में मोदी सरकार आने की स्थिति में अपने हितों को लेकर ज्यादा आशान्वित नही है। इनकी पहली चिंता आठवें वेतन आयोग, और दूसरी ओल्ड पेंशन स्कीम की है। केंद्र सरकार कई बार संकेत दे चुकी है कि भविष्य में अब कोई वेतन आयोग नही बैठेगा। छत्तीसगढ़ राज्य के चार लाख कर्मचारियों को अहसास है कि भाजपा सरकारी महकमे के लोगो की ज्यादा चिंता नहीं करती है।
राज्य कर्मचारियों को यह भी लगता है कि लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा की विष्णुदेव सरकार महंगाई भत्ता, गृह भाड़ा आदि सुविधाओ को विलंबित कर सकती है। पूर्ववर्ती भूपेश सरकार ने इस परिपाटी की शुरुआत अपने कार्यकाल में की थी। कई कई महीनो तक भूपेश सरकार कर्मचारियों की महंगाई भत्ता लटका कर पैसे बचाती थी।
इसी तरह सब को मालूम है कि भाजपा की अटल सरकार ने 2005 के बाद से पुरानी पेंशन योजना बंद कर दी थी। इससे सरकारी कर्मचारियों में तडफन के हालात बन गए थे, जो आज भी छंटे नही है। भूपेश सरकार ने अपने कार्यकाल में ops की घोषणा जरूर कर दी, पर उसमें भी कई पेंच हैं।
राज्य केबिनेट मंत्री ओपी चौधरी इस विषय पर गोलमोल जवाब दे गए। उधर
केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन का इंतजार कर रहे कर्मचारियों को झटका दिया है। आठवें वेतन आयोग पर राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है।
मालूम होएक बार विधायक या सांसद बनने पर नेताओं को जीवन भर पेंशन मिल सकता है तो अपना सारा जीवन खपा देने वाले कर्मियो को बुढ़ापे में असहाय छोड़ देना कितना वाजिब है।
2016 में कर्मचारियों के लिए 7 वें वेतन आयोग के बाद सरकार पर सालाना 1.15 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ बढ़ा था। लेकिन, असलियत देखा जाए तो 140 करोड़ की आबादी वाले भारत में सरकारी कर्मियों की भारी कमी है।
यदि आमजन सरकारी कामकाज ठीक नही होने की शिकायत करते हैं तो उसके पीछे मेन पावर की कमी भी एक वजह है।
मालूम हो कि छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में करीब दो करोड़ लोग विभिन्न सरकारी महकमों में काम करते हैं। इनमें 34 लाख केंद्रीय कर्मचारी हैं।
आंकड़ों पर नजर डालें तो अमेरिका के मुकाबले देश में प्रति नागरिक सरकारी कर्मचारियों की संख्या काफी कम है। देश में 1 लाख लोगों पर सिर्फ 139 सरकारी कर्मचारी हैं। जबकि अमेरिका में 1 लाख नागरिकों पर 668 सरकारी कर्मचारी हैं। देश में सबसे ज्यादा कर्मचारी रेलवे और डाक विभाग के पास हैं। देश में शिक्षको की संख्या भी कम नहीं। मगर वेतन अन्य देशों की तुलना में एक चौथाई भी नही। फिर भी भारत के आमजनो को लगता है कि सरकारी कर्मियों को जरूरत से ज्यादा वेतन मिलता है। पर सच्चाई कुछ और है। दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में सरकारें इन्हे कम ही वेतन देती है । कोई भी क्लर्क या चपरासी की सैलरी 30–35 हज़ार से ज्यादा नहीं होती । दूसरे देशो से तुलना करें , तो पता चलता है, भारत में सरकारी क्षेत्र के लोगो को औसतन सिर्फ 45 रुपया प्रति घंटा मिलता है । जबकि चीन में यह 395 रुपया है। अमेरिका में यह राशि 500 रु प्रति घंटा से भी अधिक है।
उल्लेख करना लाजिमी होगा,
भारत सरकार से भी कम वेतन राज्य सरकार की नौकरी में मिलता है । छत्तीसगढ़ जैसे पिछड़े राज्यों में तो वेतन और भी मंद गति से बढ़ता है। फिर भी आमजनो को लगता है कि सरकारी नौकरी मे बहुत पैसा है ।
फिर भी सच्चाई जानने योग्य है। जितना कोई सरकारी नौकरी में 15 साल में कमाता है, मल्टीनेशनल कंपनी में उतना पांच साल में ही कमा लेता है। इससे भी कई ज्यादा अपना व्यापर करके कमा लेता है।
हमारे समाज में सरकारी नौकरी को बहुत ही बढ़ा चढ़ा कर दिखाया है , लोगो को यह गलत फहमी है की सरकारी नौकरी ही सब कुछ है।
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