दुर्ग (ट्रेक सीजी न्यूज छत्तीसगढ़/हो.स./सतीश पारख)
कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ के प्रभारी सचिन पायलट भाजपा में शामिल होने का मंसूबा तो बना चुके हैं, पर ये इसमें उनका ससुराल पक्ष आड़े आ रहा है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला कभी ऐसा नहीं चाहेंगे कि उनके दामाद भाजपा का दामन थाम ले। लिहाजा भाजपा प्रवेश पर सचिन पायलेट के सम्मुख पहला अवरोध उनके घर परिवार ससुराल पक्ष से ही निकल कर आता है। यद्यपि कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला चाहते हैं कि उनका दामाद सचिन पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री बन तो जाए, मगर वह भाजपा में जाकर नही, बल्कि कांग्रेस में ही रहकर सीएम की कुर्सी संभाले। इस कड़ी में फारुख अब्दुला अपने दामाद सचिन पायलट की राह के सबसे बड़े रोड़ा बने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अनेक बार नसीहत भी देते रहे हैं,किंतु इंडी गठबंधन का हिस्सा होने के बाद भी राजस्थान के मामले में अशोक गहलोत उनकी बातों को कभी तवज्जो नहीं देते । कांग्रेस नेता और प्रदेश के प्रभारी सचिन पायलट के ससुर फारुख अब्दुला तीन बार कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे है उनके पिता और पुत्र भी जम्मू कश्मीर में मुख्यमंत्री रह चुके है।और उनके रहते जम्मू कश्मीर के हालातों से पूरी दुनिया वाकिफ है उन पर अलगाव वादी नेताओं को प्रश्रय देने के आरोप भी लगते रहे है ।अब फारुख अब्दुल्ला की दिली मंशा है की जीते जी बेटे को तो कश्मीर का मुख्यमंत्री बनवा लिया अब दामाद सचिन पायलट को भी राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में देख लें। हालांकि बीच में फारुख अब्दुला ने राजस्थान में कांग्रेस के इतर नेशनल फ्रंट खड़ा कर सचिन की राह बनाने की कोशिश की थी ।मगर राजस्थान की सियासी तासीर ऐसी नही कि किसी अलगाववादी तत्व को अपनी जमीन पर पनाह दे सके। भले ही सचिन पायलेट पर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने का अटकल लगते रहता है, मगर उनके लिए यह इतना आसान भी नहीं क्योंकि उनके भाजपा प्रवेश में सबसे बड़ा रोड़ा उनके ही ससुराल पक्ष है जो कभी नही चाहेंगे की उनके दामाद उस पार्टी में जाए जिनका सदैव ही वो विरोध करते आए हैं और शायद इसलिए चाहकर भी सचिन पायलट दमदारी से फैसला नहीं ले पा रहे है और अपनी इच्छा मन में दबाकर हमेशा ही पार्टी नेतृत्व द्वारा उनके साथ दोयम दर्जे के व्यवहार के बाद भी उनके हक पर लगातार पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा डाके के बाद भी कांग्रेस में ही रहने को मजबूर हैं । हालाकि मधयप्रदेश के वरिष्ठ नेता और सचिन पायलट के अभिन्न मित्र उनके हमजोली ज्योतिरादित्य सिंधिया भी चाहते हैं की सचिन पायलट भी भाजपा में आ जाए किंतु ना जाने ऐसी क्या मजबूरी है की सचिन पायलट इस विषय पर चाह कर भी निर्णय पर नही पहुंच पा रहे हैं ..*बुरा ना मानो होली है हैप्पी होली