तहसीलदार के आदेश का उलंघन और कलेक्टर के जनदर्शन में न्याय नहीं मिलने से नाराज बहेराडीहवासियों ने राष्ट्रपति को भेजा शिकायत
बहेराडीह। रिहायशी इलाके में नियम विरुद्ध सालों से संचालित इंडस्ट्रीज के पदूषण और सिलिकोसिस बीमारी से दर्जनभर मजदूरों की मौत के बाद भी इंडस्ट्रीज को अब तक बंद नही होने का मामला राष्ट्रपति भवन दिल्ली तक पहुँच गई हैं।वहीं दूसरी तरफ प्रदूषण से परेशान ग्रामीण शीघ्र ही हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी जनहित याचिका दायर करने की तैयारी करने लगे हैं।मामला जिला मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर स्थित चांपा शहर से लगा बहेराडीह गांव का है। जहाँ सालों पहले से एक इंडस्ट्रीज स्थापित कर कोयला, रेत, पत्थर, बिजली उपकरण में इस्तेमाल होने वाले टूटे फूटे चिनी पत्थरों का केमिकल डालकर बड़े पैमाने पर पिसाई करने तथा लकड़ी जलाकर उसे ईंट बनाकर पकाने का काम हो रहा है।इससे निकलने वाली प्रदूषण से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। वहीं दूसरी तरफ प्रदूषण में विद्यमान सिलिकोसिस बीमारी रामकुमार यादव, संतोषी यादव, बजरंग यादव, कृष्णा यादव, समेत दर्जनभर मजदूरों की अकाल मौत होने के बाद भी फैक्ट्री का नियमित विरुद्ध संचालन की लगातार शिकायत करने के बाद भी कार्यवाही नहीं होने से नाराज बहेराडीहवासियों में लिखित रूप में 11 विन्दुओं पर शिकायत राष्ट्रीय दिल्ली समेत प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, और कमिश्नर बिलासपुर को रजिस्टर्ड डॉक के माध्यम से भेजा है।शिकायतकर्ता उपसरपंच चन्दा सरवन कश्यप, वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल के संचालक दीनदयाल यादव, ग्रामीण रामबाई यादव, मेमबाई चौहान, पूरन सिंह गोंड़ व अन्य ग्रामीणों ने बताया कि गांव के मुख्यमार्ग पर फैक्ट्री का एक ट्रांसफार्मर विद्युत विभाग ने लगाया।जिसका ग्रामीणों ने बहुत ही विरोध किया।उसके बाद भी विभाग ने एक और ट्रांसफार्मर लगा दिया।इससे नाराज ग्रामीणों ने जनसमस्या निवारण शिविर में कलेक्टर से मुलाकात कर शिकायत किया।मगर कार्यवाही नहीं होने पर विद्युत विभाग ने तीसरा ट्रांसफार्मर लगा दिया। इस दौरान जब किसानों की मवेशी करेंट की चपेट में आने से मौत होने पर आक्रोशित ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव बहिष्कार करने का निर्णय लिया।सूचना मिलते ही सारागांव तहसील के तहसीलदार अपने टीम के साथ गांव पहुँचे और गांव के मुख्यमार्ग से तीनों ट्रांसफार्मर को हटाने विभाग के अधिकारियों को बुलाकर निर्देश जारी किया। लेकिन तीन महीने बाद भी तहसीलदार के आदेश का पालन नहीं होने पर गांव के सैकड़ों लोगों ने मिलकर कलेक्टर से मुलाकात कर फैक्ट्री के विरुद्ध 11 विंदुओं पर शिकायत दर्ज कराया।जिस पर 23 दिसंबर को चांपा एसडीएम के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम फैक्ट्री पहुंच कर जांच शुरू किया।उसके बाद फैक्ट्री प्रबंधन ने ग्रामीणों को डराने धमकाने की कोशिश किया और फैक्ट्री से बड़े पैमाने पर प्रदूषण फैलाने लगे, सड़क किनारे राखड़ फेंकने लगे।इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को इस मामले की जानकारी दी।मौके पर पुलिस की टीम ने पहुँच कर ग्रामीणों का बयान लिया। उसके बाद भी कार्यवाही नही होने पर ग्रामीणों ने कलेक्टर के जनदर्शन में लगातार शिकायत करते रहे।मगर कार्यवाही नहीं होने, प्रदूषण से मुक्ति नहीं मिलने, सिवनी सुखरीकला मार्ग पर भारी वाहन पर प्रतिबंध नही लगने और गांव के मुख्यमार्ग से तीनों ट्रांसफार्मर को तहसीलदार के आदेश दिए जाने के बाद भी नही हटाने से नाराज बहेराडीहवासियों ने कलेक्टर जनदर्शन में प्राप्त आवेदनों की पावती के साथ 13 पन्नों की फाइल राष्ट्रपति समेत प्रधानमंत्री, राज्यपाल,मुख्यमंत्री,और कमिश्नर बिलासपुर को कार्यवाही हेतू अवगत कराया गया है।*बॉक्स अंडरलाइन करना हैं*मुख्यमार्ग से ट्रांसफार्मर को हटाने के बजाय कराई गई घेराबंदी।गांव में नियम विरुद्ध फैक्ट्री का संचालन पर कार्यवाही करने के बजाय अधिकारी कर्मचारी उल्टा ग्रामीणों को समझाने में लगे हैं और तहसीलदार के आदेश पर मुख्यमार्ग से तीनों ट्रांसफार्मर को हटाने के बजाय आज विभाग तार से घेराबंदी का काम पूर्ण कराई।इससे नाराज ग्रामीणों ने न सिर्फ राष्ट्रपति को जिला प्रशासन द्वारा फैक्ट्री को अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षण देने के मामले से अवगत कराया है। बल्कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी जनहित याचिका दायर करने की तैयारी में हैं।*बॉक्स अंडरलाइन करना है*पट्टे की कृषि भूमि पर संचालित है फैक्ट्री।चांपा तहसील क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत सिवनी के भद्रा मोहल्ला में एक किसान स्व घासीराम बरेठ को पट्टे पर शासकीय भूमि को खेती करने के प्रयोजन से शासन द्वारा प्रदान किया गया था लेकिन फैक्टी के मालिक ने गोपनीय तरीके से औने पौने दाम पर पट्टे की जमीन को खरीद कर चांपा तहसील में रजिस्ट्री कर रहा था।इसकी भनक लगते ही ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने तत्काल आपत्ति दर्ज किया।आपत्ति दर्ज होते ही फैक्ट्री मालिक ने जांजगीर के तहसील से रजिस्ट्री करा लिया।जबकि सिवनी का तहसील चांपा है।इसी तरह यहाँ पर कुछ ट्रांसफार्मर फैक्ट्री के अंदर रखा गया है तो तीन ट्रांसफार्मर बहेराडीह गांव के मुख्यमार्ग पर स्थित है।लोगों का कहना है कि या तो सभी ट्रांसफार्मर फैक्ट्री के अंदर होना चाहिये था या फिर फैक्ट्री के बाहर। यहाँ पर फैक्ट्री के गेट के सामने कोई बोर्ड भी नहीं लगाई गई है।वहीं लोगों की शिकायत पर जब भी अधिकारी फैक्ट्री पर पहुँचते हैं तो इसकी जानकारी फैक्ट्री प्रबंधन को पहले से ही दे दी जाती है। लोगों का कहना है कि फैक्ट्री के प्रदूषण से हम ग्रामीण कितना परेशान हैं और प्रदूषण में सिलिकोसिस नामक बीमारी से हुई मजदूरों की मौत की पुष्टि एक ओर जहां शासन ने किया है।वही दूसरी तरफ यहाँ के आसपास के पेड़ पौधे, तालाब, घर की छत, कमरा, आंगन, में धूल की परत तथा लोगों के स्वास्थ्य पर हो रही विपरीत प्रभाव असली गवाह हैं जो शासन प्रशासन के जांच टीम को उनके आँख में बिना चश्मा के ही दिखाई पड़ेगी।