हालांकि, अब साल भर शादियां हो रही है। इसके बावजूद गर्मी का समय आम छत्तीसगढ़ियों के लिए वैवाहिक सरगर्मी का मौसम होता है। इस बार भी विवाह के लिए लड़की लड़का देखने का सिलसिला तेज हो गया है। विवाह का क्रेज हर जमाने में कायम रहा। यह समाज का बेहद खर्चीला आयोजन होता है। दुर्ग के समाजविद एवम पशु चिकित्सा अधिकारी डाक्टर प्रेम गुप्ता कहते हैं, सिर्फ बायोडाटा देखकर रिश्ते नहीं बनते, बल्कि यह संवाद शुरू करने का जरिया है। इसलिए, बायोडाटा देखने के बाद कॉल करने में देर न लगाएं। किसी के फोन की राह न देखें। बल्कि आगे बढ़ कर अपनी संतति के लिए खुद पहल करें। डॉ गुप्ता मानते हैं, मंगल कभी अमंगल नहीं होता। विवाह एक शुभ कार्य है। आपकी कन्या स्टार है, तो उनका पुत्र भी सुपर स्टार है। सो ज्यादा इंतजार न करें।इस संबंध में राय पूछे जाने पर सेवानिवृत्त प्राचार्य नरेश गौतम का कथन है कि 90 % लोग हमारे जैसे ही हैं। सर्व गुण संपन्न कोई नहीं होता। विवाह योग्य उम्र में ही विवाह तय करें। समय थमता नहीं। उम्र बढना तय है, जो दोनों पक्ष के लिए ठीक नहीं।बेटर, और बेटर के चक्कर में न उलझे। हमें बच्चों का विवाह करना है, कोई गॅजेट नहीं खरीदना है। लिहाजा जो सूट करें, उन्हीं से संपर्क करें। जिनकी उम्मीद अधिक हो, उनके लिये अपना समय खराब न करें। अगर उनकी उम्मीदों पर आप खरे उतरते हों, तो वे स्वयं ही आपसे संपर्क करेंगे। रंग, रूप, से अधिक गुणों पर ध्यान दें। प्रत्येक व्यक्ति में खामियां होती हैं। यह मोबाइल का जमाना है। आपके नंबर पर कोई काल करता है तो उन सज्जनों का आदर करें। यदि आपको रिश्ता पसंद न हो तो योग्य कारण देकर मना करें।यह सोचें कि आप जिस रिश्ते की तलाश में हो, शायद वह उनके किसी संबंधी में से हो सकता है।अब वे दिन नहीं, जब लडकी वाले ही रिश्ता ढूंढने लडके वालों के पास जाया करते थे। अगर आप लडके वाले हो, और किसी कन्या का बायोडेटा आपको अनुरूप लगे, तो खुद आगे बढें, संपर्क करें, कॉल करें। आप जानते हैं, अमिताभ से जया की ऊंचाई 12 इंच कम है। सचिन से अंजली तीन साल से बडी है। ऐश्वर्या मांगलिक थी, अभिषेक नॅान-मांगलिक था। दुनियां में कोई भी मिस्टर/मिस परफेक्ट नहीं होता। दूसरों के दोष ढुंढने से अच्छा है, अपनी खामियां परखें। *आयुर्वेदाचार्य डॉ नितेश चौहान* का इस संबंध मे मानना है कि सकारात्मक रहना जरूरी है। समय निकल जाने के बाद पश्चाताप का फायदा नहीं। मात्र सोच में परिवर्तन के साथ, समाज में भी परिवर्तन लाया जा सकता है। आम जन कठिनाई को इस तरह भी आसान बनाया जा सकता है। *दूसरा पहलू भी* इसके बावजूद समाज के कई युवा ऐसे भी हैं, जो विवाह को आवश्यक नहीं मानते। देश के डिफेंस सेक्टर से रिटायर एक युवक ने नाम न छापने की शर्त पर प्रतिक्रिया दी,कि पहले भी बहुत सारे लोग विवाह नही करते थे। जो लोग विवाह नहीं करते या नहीं करना चाहते, वे यदि जन सेवा में जाते हैं तो बेहतर कार्य करते है। मोदी और योगी इसके उदाहरण हैं।इसके बावजूद विवाह की महत्ता से इंकार नहीं कर सकते। समाज की बहुसंख्य आबादी गृहस्थ जीवन जीती है। समाज की यह सबसे बड़ी व्यवस्था तथा विधान हैं। गौतम बुद्ध ने जंगलों में 12 साल तक रहकर सत्य की प्राप्ति की थी। अब तो अधिकांश जंगल कट गए है। छत्तीसगढ़ के जिन 45% भूभाग में जंगल है, वे भी एकांत नही रहे अब। अब के लोगो को इसी समाजिक व राजनैतिक व्यवस्था के बीच व्यक्ति को अपना सच ढूंढना पड़ेगा… सतीश पारख 7869093377…
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