आदिवासियों का महाकुंभ मेडाराम समक्का सरक्का जात्रा जो भोपाल पटनम से मात्र 120 किलो मीटर दूर मुलगू जिला के तड़वाया मंडल के मेड़ारम गांव में समक्का-सरलम्मा जातरा मेला दक्षिण भारत में आदिवासियों का सबसे बड़ा धार्मिक और सामाजिक महोत्सव है। यह एक तरह से कुंभ मेले के समान है। तेलंगाना में मुलगु जिला के पास मेड़ारम एक छोटा सा गांव है। इस ग्राम में समक्का-सरलम्मा देवी का देवस्थान है। हर दो साल में यहां पर समक्का सारक्का देवी के सम्मान में विशाल जातरा का आयोजन होता है। यह जातरा मेला आदिवासियों का सबसे बड़ा आयोजन है और यह प्रथा सदियों से दो औरतों के सम्मान में चली आ रही है। छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के लोगो के लिए यह मेला किसी महाकुंभ की तरह महत्व रखता है।हर दो वर्ष में एक बार होने वाली इस जातरा में लाखों लोग सम्मिलित होते हैं। छत्तीसगढ़ के बीजापुर दंतेवाड़ा सुकुमा से हजारों लोग इस जातरे में शामिल होते हैं।भोपाल पटनम से कई भक्त लोग ट्रैक्टर एवम अन्य वाहनों में जाकर वही डेरा लगाकर तीन दिन का उत्सव में शामिल होते है,कुंभ के बाद मेड़ारम जातरा ही इतना बड़ा धार्मिक उत्सव है जिसमे बड़ी तादाद में लोग सम्मिलित होते है मन्न्त पूरी होने पर लगाते हैं गुड़ का प्रसाद बकरा और मुर्गा भी देते है जातरा में देवी को गुड़ अर्पित किया जाता है। इस साल 21फरवरी से 24 फरवरी तक मेड़ारम जातरा आयोजित है। यहां मन्नात पूरी होने पर गुड़ को अपने वजन के बराबर सोने के तौर पर चढ़ाया जाता है। लोगो का मानना है भोपाल पटनम ब्लॉक से दस हजार से अधिक लोग जाते है और क्षेत्र के लोग एक जगह रहते है जिसे पटनम वाडा के नाम से जाना जाता है जो मेडाराम जतरा से लगा हुआ जांपनवागु से लगा हुआ है भक्त इस नदी में स्नान करके माता का दर्शन करने जाते है,भोपाल पटनम पेट्रोल पंप में दो दिन से गाड़ियों की लाइन लगी है जतरा का विशेष बुधवार और गुरुवार को महत्वपूर्ण माना जाता है बुधवार के समक्का और गुरुवार सरक्का का पूजा होता है
आदिवासियों का महाकुंभ मेडाराम समक्का सरक्का जात्रा जो भोपाल पटनम से मात्र 120 किलो मीटर दूर मुलगू जिला के तड़वाया मंडल के मेड़ारम गांव में समक्का-सरलम्मा जातरा मेला दक्षिण भारत में आदिवासियों का सबसे बड़ा धार्मिक और सामाजिक महोत्सव है।
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