दो दिन पूर्व आई.एन.सी. नई दिल्ली ने राज्य शासन को एक पत्र लिखकर नर्सिंग कॉलेजों में खलबली मचा दी है, मामला यह है कि आई.एन.सी. नई दिल्ली यह जानना चाहती है, कि आर्टिकल 13 व 14 के अनुसार नर्सिंग कॉलेजो में कितनी सीट संख्या उपलब्ध है,और कितनी खाली है…? गौरतलब है कि आई.एन.सी. नई दिल्ली के वेबसाईट के अनुसार राज्य में बी.एस.सी. नर्सिंग की मात्र 4460 सीटे उपलब्ध है, किन्तु एस.एन.आर.सी. रायपुर के बंदरबाट के कारण इस राज्य में नर्सिंग की सीटे लगभग 7700 हो गई है, अर्थात अतिरिक्त 3240 विद्यार्थियों की नर्सिंग की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अन्य राज्य में किसी भी प्रकार से शासकीय, अर्धशासकीय या निजि नौकरियों के लिये इनके मार्कशीट और डिर्गी पूर्णरूप से अवैध माने जायेंगे….. ऐसे जो भी विधार्थी लाखो रूपयें लगाकर ऐसे नर्सिंग कॉलेजो में प्रवेश लिये है , जिन्हे इंडियन नर्सिंग काउंसिल नई दिल्ली से अनुमति नहीं है, इससे विद्यार्थियों का भविष्य और पैसा दोनो खराब हो सकता है । राज्य शासन के अधिकारियों की मिली-भगत से लगभग 20 से 25 नर्सिंग महाविद्यालय ऐसे संचालित है, जिसके स्वयं का भवन नही है जबकि शासन की अनुमति की शर्त यही है कि महाविधालय भवन और पर्याप्त जमीन होना चाहिए, शासन यदि सहीं तरीके से इन महाविद्यालयों का निरीक्षण करें तो कई महाविद्यालयों में ताला लग जायेगा। गौरतलब है कि विगत चार-पांच वर्षाे में छ.ग. में नर्सिंग कॉलेज की बाढ़ सी आ गयी है, और अनेक महाविद्यालय केवल राज्य स्तर की (SNRC) से अनुमति लेकर नर्सिंग कॉलेज खोल रहे है, जहां पर न तो ठीक से हॉस्पीटल की व्यवस्था है, और न ही विद्यार्थियों के लिए अन्य जरूरी मूलभूत सुविधाऐं जैसे- लैब, लाइब्रेरी, खेल का मैदान, पार्किंग, इत्यादि । अनेक कॉलेजों में Clinical Facility हेतु पर्याप्त हॉस्पीटल बेड की व्यवस्था भी नहीं है। इतने छोटे से राज्य में नर्सिंग की 7026 सीटें होना भी यह दर्शाता है कि इस राज्य में इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मापदंडों का उचित तरीके से पालन नही हो रहा है, यदि यही स्थिति रही तो छ.ग. में भी बहुत जल्द मध्यप्रदेश की CBI जांच वाली स्थिति बन सकती है……।
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