बिलासपुर। 2023 के चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस प्रत्याशी शैलेष पान्डेय को भाजपा के अमर अग्रवाल ने 25 हजार से अधिक मतों से चुनाव में हराया वह आश्चर्य करने वाला था।अब बिलासपुर के बदलते समीकरण मे कोई नया प्रयोग राजनीति में हो जाता है तो इसमें कोई आश्चर्य नही होगा। क्योंकि 2018 के चुनाव में जिस प्रकार भाजपा कुशासन से मुक्ति पाने जनता ने अमर अग्रवाल के मोह माया से निकल कर शैलेष पान्डेय को सत्ता की चाबी 15 साल के वनवास के बाद दिया था( कांग्रेस) को अब राजनीति में एक चर्चा बड़ी खबर बन रही है की अब 2023 तो चला गया और पूर्व विधायक की आलोचना करने वाले उन नेताओं को राहत मिल रही है शैलेष पान्डेय को लेकर की चलो पांच साल का ही राजयोग रहा और शहर की राजनीति में कांग्रेस के दिग्गज खिलाड़ी ईश्वर का धन्यवाद दे रहे लेकिन उन्हें यह नहीं पता था प्रदेश की सरकार ही चलीं जायगी। शैलेष पान्डेय के लिए यह संजीवन बूटी बना। खैर बात करते हैं उस बडी खबर की जो कानाफूसी से बाहर निकल रही है अब राजनीति में 2028 कांग्रेस का चेहरा कौन है। आगे चलकर यदि शहर के उद्योग पति और रेल द्वारा मनोनीत सदस्य रहे तथा बिलासपुर छठ पूजा के छठ घाट समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं उन पर अब राजनीति का नया प्रयोग हो और कांग्रेस उन्हें समर्थन करने आगे आये या फिर स्वयं प्रवीण झा कांग्रेस का दामन थाम लेते हैं तो यह 2028 के लिए दिलचस्प चुनाव होगा खबर में कीतनी सच्चाई हैं प्रवीण झा ही बताने आगे आयेगें क्योंकि अभी पूरे5साल कांग्रेस का वनवास रहेगा।। और कांग्रेस को ही तय किया जाना है की2028फतह करना है या फिर वनवास की अवधारणा खत्म करने कोशिश करनी चाहिए क्योंकि कांग्रेस के 2023 के पराजित प्रत्याशी शैलेष पान्डेय को कांग्रेस पुनः आजायेगी हजम नहीं हो रहा वरिष्ठ कांग्रेसियों के राजनीतिक सूञो के कण्धारो को।।
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