मध्य भारत में अनेक संतों ने जन्म लिया जिसमें संत गुरु घासीदास बाबा जी थे जो आजीवन मानव के जीवनस्तर को सुधारने के लिए साथ 7 सिद्धांत और 42 अमृतवाणी दी जोसार्थक जीवन मूल मंत्र है समाज सेवक दिनेश जोशी कहते हैं कि गुरु घासीदास की शिक्षा संविधान में निहित जो यह सिद्ध करता है कि संत शिरोमणी परम पूज्य गुरु घासीदास बाबा जी ने मानव समाज के उद्धार के लिए पहले ही प्रयत्न करते हुए 7 वाणी और 42 वचन समावेश उल्लेखित है। जिससे हमारे संविधन निर्मात महापुरुषों ने विचार और संदेशों पढ़कर जानकर मानव उत्थान में सारगर्भित बातों को उल्लेख किया है। श्री जोशी जी द्वारा कई वर्षों से लगातार उनकी शिक्षा को सामने लाने के लिए पोस्टर बैनर,लेख, के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जा रहा है लोगों से अपील एवं उनका कहना है कि गुरु की शिक्षा का उल्लेख गांव से लेकर गुरु घासीदास की जन्मस्थली गिरोधपुरी समेत सभी गुरु से संबंधित धर्म स्थलों पर किया जाना चाहिए इस संबंध में जल्द ही गीत भी आने वाला है इसकी जानकारी दी हैगुरु की शिक्षा में प्रमुख सत्य मार्ग में चलने, नशा पान से दूर रहने, स्त्रियों का सम्मान करना, जाति पाती के प्रपंच में ना आना, चोरी और जुए से दूर पशुवध और मांस न खाने ,जो आज कुछ अभाव के कारण कार्य नही करते पर संत होकर भी खेत जोत है और उनको कोडिहा बैला दिया था उनसे कृषि कार्य किया जो कि मानव समाज को सन्देश देने के लिए खेती कार्य किया। जब जंगल में ध्यान लगा रहें थे तो विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों के समावेश संतुलन बनाए थे उनका प्रेम की भाव प्रगट होता है,आदि प्रमुख है इन शिक्षाओं को गुरु घासीदास ने रावटी के माध्यम से पूरे छत्तीसगढ़ में फैलाए थेजो आम जनमानस के जीवन को पर्यावरण के समतुल्य ऊंचा करता है कई वर्षों से सतनाम युवा संदेश उतई द्वारा 16 दिसंबर को महारैली के माध्यम से उनकी शिक्षाओं का प्रचार किया जाता है।और जोशी जी मानव समाज में शिक्षा को महत्व देते हुए आरटीई के माध्यम से बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करता है।
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