निर्वाचन आयोग ने प्रदेश में चुनावों की घोषणा करे तीन दिन बीतने को है किंतु लगता है आचार संहिता का पालन सिर्फ शहरी और मुख्य मार्गों के लिए अनिवार्य है ग्रामीण क्षेत्र के भीतरी भागों में या तो किसी विशेष आदेश पर इसका परिपालन करवाने में जिला कलेक्टर और उनके मातहत अधिकारी इंतजार कर रहे हैं।ऐसी स्थिति में कैसे माना जाय की ये अधिकारी निष्पक्ष चुनाव करवा पाएंगे। हमने आज ऐसे ही कुछ मार्गों और कुछ गांव का निरीक्षण किया तो पाया की अधिकारीयों ने कागजी निर्देश जारी कर निर्वाचन आयोग का पालन करवाने की बात तो कही है किंतु उनके निर्देशों का जमीन पर पालन करवाने में उनके निचले अधिकारी फिसड्डी साबित हुवे है या तो वो सरकार के एजेंट के रूप में काम कर रहे है ऐसा प्रतित होता है ऐसी स्थिति में निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद करना बेमानी होगी।ऐसी ही सुगबुगाहट दुर्ग ग्रामीण के रिसाली निगम क्षेत्र की है जहां पदस्थ आयुक्त पर लगातार मंत्री और उनके पुत्र के इशारों पर नियमों को ताक पर रख काम करने के आरोप लगते रहे है और वर्तमान वो पदस्थ भी है क्या रिसाली निगम क्षेत्र में उनके रहते निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद की जा सकती है । यह सोचनीय विषय है आगे इसे निर्वाचन आयोग समझे और जाने हमारा काम है जानकारी का खुलासा करना जो हम लगातार करते रहेंगे। ऐसा ही शासकीय दफ्तरों में भी देखा जा सकता है जहां नेताओं की तस्वीरे शोभा बढ़ा रही है ।जब सड़कों बाजारों चौक चौराहों पर आचार संहिता लागू है तो क्या शासकीय कार्यालयों में आचार संहिता की छूट है ।जिला निर्वाचन को चाहिए की वो मुस्तैदी से आचार संहिता का पालन करवाए ताकि निस्पक्ष चुनाव सम्पन्न हो सके।