लखनपुर विकास खंड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम तीरकेला- पटकुरा मार्ग पर तीरकेला नाला पुलिया का निर्माण 9 करोड़ 74 लाख रुपए का कराया गया है, नाला की लंबाई 472 मीटर तक बनाया गया है, जब पुलिया नही बना था तब तक नदी में अच्छा खासा पानी बहता था पर जब से पुलिया का निर्माण कार्य पूरा हुआ उसके बाद पुलिया के नीचे नदी में अतिक्रमणों के द्वारा खेत बनाकर अवैध रूप से कब्जा कर धान की खेती की जा रही है जहां देखने में यह पता चलता है कि नदी के जगह में अवैध रूप से एक और का पूरा भाग खेत बनाया गया है, वह नदी का पता ही नहीं चल रहा है, विदित हो की ग्रामीण क्षेत्रों में और भी कई ऐसे नाला पुलिया है जहां अतिक्रमणों के द्वारा खेत बनाकर अवैध कब्जा किया जा रहा है, लेकिन इसकी शुद्ध लेने वाला कोई नहीं है। संबंधित अधिकारियों के द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिसके कारण जगह-जगह पुलिया के नीचे नदी के जगह पर अवैध रूप से कब्जा कर खेती लायक जमीन तैयार कर फसल ली जा रही है, अगर यही हालत रही तो पुलिया और नाला का नामो निशान कुछ सालों में मिट जाएगा, शासन के द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करके नदी नालो पर पुलिया का निर्माण कराया तो जाता है, लेकिन इसका उपयोग नदी से पानी के लिए नहीं लोगों की खेत व फसल के लिए उपयोग में नदियों को लाया जा रहा है। यहां तक की पशुओं व जानवरों को पानी पीने के लिए नहीं मिल पा रहा है क्योंकि जहां धान की खेती की जा रही है वहां जानवरों को घुसने तक नहीं दिया जा रहा है, जब नदी ही बंद हो जाएगा तो मवेशी पानी कहां पायेंगे अब स्थिति ये हो गाई है की पशुओं को पानी के लिए दर बदर भटकना होगा प्रस्थिति की बिडम्ना यह है की शासन प्रशासन इस मामले में बेखबर है अब देखना होगा की शासन प्रशासन इस ओर कब तक ध्यान देती है, जिससे नदी नालों का अस्तित्व को बचाया जा सके।तीरकेला के सचिव रामगोपाल साहू से बात करने पर उनके द्वारा बताया गया, कि उस नदी में दो नाला है, एक कुरमन नाला और एक कुदर नाला जो कि इसमें कुछ शासकीय जमीन है, और कुछ पेट की जमीन है जो की अतिक्रमणों के द्वारा कब्जा में ले कर खेती कर रहे हैं, मेरा अपील है कि जो नाला का जमीन है उसे राजस्व विभाग के द्वारा खाली कराया जाए, ताकि नदी नालों का अस्तित्व बचाया जा सके और नदी का पानी अच्छे से निकल सके और नदी के पानी का सही उपयोग किया जा सके, जिससे ग्रामीण और पशु पक्षियों को परेशानी ना हो।एसडीएम भागीरथी खंडे से फोन के माध्यम से संपर्क करने पर उनके द्वारा बताया गया, कि अगर ऐसी बात है, तो खेत से धान की जपती कर अवैध अतिक्रमण मुक्त कराने की कार्रवाई की जाएगी।
दस करोड़ का पुलिया बनते ही नदी से पानी गायब, नदी की जमीन बना खेत।
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