शासकीय माता कर्मा कन्या महाविद्यालय महासमुंद में अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज के संबंध में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस अवसर पर कार्यक्रम की कार्यक्रम की संयोजक डॉ श्वेता लाना नागल ने कहा कि भारत सरकार के प्रस्ताव को वर्ष 2018 में (FAO) द्वारा अनुमोदित किया गया था तथा संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया इसके प्रमुख उद्देश्य खाद्य सुरक्षा और पोषण में पोषक अनाज/बाजरा/मोटे अनाज के योगदान के बारे में जागरूकता का प्रसार करना।दूसरा पोषक अनाज के टिकाऊ उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार के लिये हितधारकों को प्रेरित करना। तीसरा उपर्युक्त दो उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये अनुसंधान और विकास एवं विस्तार सेवाओं में निवेश बढ़ाने पर ध्यान देना शामिल है।इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में शासकीय महाप्रभु वल्लभाचार्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय महासमुंद के वनस्पति विज्ञान के विभागाध्यक्ष श्री ई पी चेलक ने महाविद्यालय की छात्राओं को विभिन्न पोषक अनाज जैसे ज्वार बाजरा कोदो कुटकी के संबंध में जानकारी प्रदान की। डॉक्टर चेलक ने अपने व्याख्यान में कहा कि पोषक अनाज एक सामूहिक शब्द है जो कई छोटे-बीज वाले फसलों को संदर्भित करता है, जिसकी खेती खाद्य फसल के रूप में मुख्य रूप से समशीतोष्ण, उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों व शुष्क क्षेत्रों में सीमांत भूमि पर की जाती है। भारत में उपलब्ध कुछ सामान्य फसलों में बाजरा रागी (फिंगर मिलेट), ज्वार (सोरघम), समा (छोटा बाजरा), बाजरा (मोती बाजरा) और वरिगा (प्रोसो मिलेट) शामिल हैंइन अनाजों के प्रमाण सबसे पहले सिंधु सभ्यता में पाए गए और ये भोजन के लिये उगाए गए पहले पौधों में से थे।लगभग 131 देशों में इसकी खेती की जाती है, यह एशिया और अफ्रीका में लगभग 60 करोड़ लोगों के लिये पारंपरिक भोजन है।भारत दुनिया में बाजरा का सबसे बड़ा उत्पादक है।मोटे अनाज उच्च प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और लौह तत्त्व से भरपूर एवं इनका उत्पादन कम खर्चीला है।बाजरा रागी कैल्शियम और मैग्नीशियम से भी भरपूर होता है। बाजरा में उपस्थित उच्च लौह तत्त्व भारत में महिलाओं की प्रजनन अवस्था के दौरान तथा शिशुओं में एनीमिया के उच्च प्रसार को रोकने में सक्षम हैं। ये अनाज मोटापा और मधुमेह जैसी स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में मदद करता है क्योंकि वे ग्लूटेन मुक्त होते हैं और उनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है मोटे अनाज पानी की कम खपत तथा सूखे की स्थिति में असिंचित परिस्थितियों में बहुत कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी बढ़ने में सक्षम होता है। ऐसे में जलवायु परिवर्तन एवं फसल हानि से खाद्य सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।सरकार ने बाजरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की है, इसके अलावा उपज के लिये स्थिर बाज़ार प्रदान करने हेतु सरकार इसे सार्वजनिक वितरण मे शामिल करने का प्रयास भी कर रही है ताकि आने वाले समय में मोटे अनाज हर परिवार के दैनिक भोजन का हिस्सा बन सके। इस अवसर पर विज्ञान संकाय के सहायक प्राध्यापक श्री खगेश्वर प्रसाद सुश्री वंदना यादव सुश्री कविता गहिर सुश्री सुशील तेसर साहू और सुश्री प्रेरणा कापसे महाविद्यालय उपस्थित रहे। महाविद्यालय की छात्रा कुमारी सौम्या तिर्की ने रागी से बना हुआ केक प्रस्तुत किया एवं उसके महत्व बताए। कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय की वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डॉ सरस्वती वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ एस पी कुमार ने छात्राओं के प्रयास एवं श्री एप चेलक के व्याख्यान की सराहना की।