जिला जांजगीर-चांपा कुदारी बैराज करोड़ों की पुल धीरे-धीरे बड़े-बड़े गड्ढे छड़ सीमेंट वाहनों के चलने से उखाड़ने लगी है जिससे पुल की उम्र दिनों दिन कम होती नजर आ रहीं हैं करोड़ों की पुल की देखरेख के भाव में बड़े-बड़े गड्ढे वाहनों के चलने से पुल को रोजाना क्षति पहुंच रही हैं। कुदारी बैराज चाँम्पा जांजगीर दोनों को जोड़ने वाली बैराज पुल आज धीरे-धीरे दम तोड़ती नजर आ रही हैं। पुल के ऊपर बड़े-बड़े गड्डो में छड़ सरिया सीमेंट निकलने से राहगीरों को किसी बड़ी दुर्घटना सामना करना पड़ सकता हैं। बैराज पुल से रोजाना राहगीर हजारों की संख्या में आवागमन होती रहती हैं। बैराज पुल में बड़े गड्ढे बड़े वाहनों के आवागमन होने से कई जगहों पर दरारे उत्पन्न होने लगी हैं। पुल के ऊपर बड़े गड्डों में बारिश के दिनों में पानी की रिसाव को देखा जा सकता हैं पुल के किनारों में मिट्टी रेत घास फूस उगाने लगे हैं। पुल के ऊपर चारों तरफ डिस्पोजल कांच के टुकड़े और अन्य कचरो का ढेर देखा जा सकता हैं। जिससे लोहे में जंग लगने की अधिक संभावनाएं हो जाती हैं। लेकिन चाँम्पा संभाग कार्यपालन अभियंता करोड़ों की बैराज पुल के गड्ढे को मरम्मत करने के लिए सरकारी फंड में राशि नहीं होने से मगरमच्छ की आंसू बहाने से पीछे नहीं हैं। कार्यपालन अभियंता की जवाबदारी बनती है कि पुल की निरीक्षण एवं गड्डों की मरम्मत किया जा सकें। लेकिन जनाब ( ऐ,सी )कमरे में बैठने का जो सुकून है वह कहीं नहीं हैं। कार्यपालन अभियंता की मनमानी इस बात से लगाई जा सकती हैं कि बैराज पुल की गड्डों की मरम्मत के नाम से पसीने छूटने लगते हैं। करोड़ों बैराज पुल में उद्योग कारखाने की हसदेव नदी की पानी की सप्लाई की जाती हैं। ताकि मजदूरों को स्वच्छ पानी मिल सकें और कारखाने में पानी की सप्लाई हो सकें। कार्यपालन अभियंता के पास शासकीय कार्यों को करने में व्यस्त रहते हैं।जिससे बैराज पुल के निरीक्षण करने का समय नहीं होता हैं। यही वजह है कि पुल में बड़े-बड़े गड्ढे मरम्मत नहीं होने से पुल को रोजाना क्षति पहुंचाने में राहगीरों ने कोई कमी नहीं छोड़ी है अब देखना यह होगा कि कार्यपालन अभियंता जल संसाधन के द्वारा पुल की गड्डों की मरम्मत करने के लिए सरकारी फंड से राशि का उपयोग करते हैं कि नहीं ।।
कुदारी बैराज डैम में बड़े-बड़े गड्ढे राहगीरों हो सकती हैं बड़ी दुर्घटनाआखिर किस अधिकारी की है जवाबदारी करोड़ों की पुल को हो रही है लगातार क्षतिग्रस्त कार्यपालन अभियंता आखिर मौन क्यों ?
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