दुर्ग शहर विधानसभा में इंफ्रा स्ट्रक्चर की जरूरी कड़ी पूर्ण करने में दुर्ग विधायक अरुण वोरा पीछे रह गए। चुनाव को दो महीना बाकी है और शहर में जगह-जगह निर्माण कार्य हो रहे हैं। कायदे से इन कार्यों को अब तक पूर्ण हो जाना था। 5 साल की उपलब्धि के रूप में जनता के सामने बतौर दुर्ग विधायक इन कार्यों को रखना था। मगर यह हो ना सका, अब यह आलम है कि शहर अस्त व्यक्त है। शहर की जनता इसके लिए नगर विधायक व नगर निगम प्रशासन को जिम्मेदार मान रहा है।वस्तुतः देखा जाए तो यह दूरदर्शी पूर्ण नजरिया की कमी है । 5 साल कम नहीं होते। उसके 5 साल पहले भी दुर्ग शहर में अरुण वोरा विधायक थे । 3 दशकों से भी अधिक समय से दुर्ग शहर की राजनीति में सक्रिय विधायक अरुण वोरा को शहर की जरूरी विकास एवं मूलभूत नागरिक आवश्यकताओं को समझ लेना था एवं उन्हें केंद्र में रखकर कार्य करना था। ऐसा नहीं है कि अरुण वोरा शहर के विकास के बारे में सोचते नहीं है। वह जरुर सोचते हैं, मगर विलंब से।इस दिशा में आमजनों से भी सुझाव मांगे जानी चाहिए। आमजनों से संवाद जरूरी है। सिर्फ राजनीतिक सिपहसलारो के बदौलत समग्र विकास के आयाम स्थापित नहीं किया जा सकते। एक जनप्रतिनिधि होने के नाते कई साल आगे की जरूरत को आज देख लेने की दरकार होती है । शहर का अगुवा बनने के लिए इन गुणों का होना जरूरी है। सिर्फ अपनी सियासी अस्तित्व बचाए रखने के बहुतेरे प्रयास किसी राजनेता को पूर्ण नहीं बनाता । वोटो की राजनीति से ऊपर उठकर जन विकास के मायने तलाशने पड़ते हैं।जिस तरह से भिलाई नगर सीट पर संयोजित विकास के पैमाने रखे गए, उसके बरक्स दुर्ग में ऐसे प्रयास नहीं दिखे। जबकि दुर्ग शहर को जिला बने हुए ही 113 साल हो गए हैं। दुर्ग में छत्तीसगढ़ का एक मुख्य संभाग मुख्यालय भी है। बड़े-बड़े राजनेता इस दुर्ग शहर ने दिए हैं। इसके बावजूद दुर्ग शहर छत्तीसगढ़ के अन्य शहरों की अपेक्षा विकास की दौड़ में पिछड़ गया है तो इसके जिम्मेदार यहां की जनप्रतिनिधि ही है।जिला मुख्यालय ही नही अपितु संभाग मुख्यालय होने के बाद भी भिलाई विधानसभा से विकास के मामले मे बीते पांच सालों के ही ट्रेक रिकार्ड पर नजर डालें तो दुर्ग शहर काफी पिछड़ा हुआ है ।आखिर इन सबके पीछे प्रदेश सरकार का दोष माना जाय या दुर्ग शहर के नेतृत्व कर्ता अरुण वोरा का जो वीआईपी जिले के जिला मुख्यालय के विधायक होते हुवे भी सरकार में मंत्री का दर्जा होते हुवे भी जिले से ही पूरी सरकार का हृदय जिला होने के बाद भी जो समुचित विकास दिखना चाहिए था वो दिखाई नही देता।
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