सरगुजा.उदयपुर दैनिक ट्रैक सीजी न्यूज जिला ब्यूरो चीफ..
उदयपुर सरगुजा जिले के उदयपुर मुख्यालय में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा ग्रामोद्योग विभाग कोसा बीज केंद्र उदयपुर सरगुजा से किसान और उद्यमी दोनों लाभ कमा रहे हैं।
रेशम कीट पालन क्षेत्र से कोसा बीच पालन कर केंद्र से किसानों तक विभाग के लोगों द्वारा पहुंचाया जाता है उदयपुर में रेशम का उत्पादन कोसा किसने और उद्यमियों तक पहुंच कर दिया जाता है।
रेशम कीट पालन प्रक्षेत्र उदयपुर में चार नर्सरी तैयार किया हुआ है जहां पर कार्य करने वाले मजदूर होते हैं जो पौधों का देखरेख कर करते हैं समय-समय पर उन्हें खुदाई जड़ों में मिट्टी चढ़ाया जाता है और पौधों का छटाई किया जाता है। ताकि पौधे ज्यादा बड़े न हो ।
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उदयपुर के कोष बीज पालन केंद्र संचालनालय ऑफिस से ही फूटे हुए अंडे को तितलियों को केंद्र में बने शेड में चराया जाता है। जब अंडे देना शुरू हो जाता है। तब कीड़ों को रेशम कीट उत्पादन के लिए डांडगांव केदमा क्षेत्र के जंगल में और लक्ष्मणगढ़ सानी बर्रा, और कोसा बाड़ी में देखरेख करने वाले मजदूरों और उद्यमियों को दिया जाता है जहां से उत्पादन कर किसान भाइयों के द्वारा संचालनालय वापस लाया जाता है जो गुठली नुमा तसर को तीन भागों में बांटा जाता है एक नंबर जो तितली निकल कर अंडे दे उन तसर को रस्सी में टांग दिया जाता है जो ठंडे रहे दूसरा जिसका धागा निकलना है उसे अलग और तीसरा जिसे बाहर भेजकर रुपया कमाकर किसान तक पहुंचता है।
जिसका जीता जागता उदाहरण ग्रामोद्योग विभाग कोसा बीच पालन केंद्र उदयपुर रेस्ट हाउस के पीछे बने भवन में देखने को मिल जाएगा।
ग्रामोद्योग विभाग के अधिकारी लोचन प्रसाद बारिया ने बताया की उदयपुर के कोष बीच केंद्र से काफी किसान और मजदूर लाभान्वित हो रहे हैं चार रेशम कीट पालन पर क्षेत्र हेतु नर्सरी है जिस्म भी देखरेख के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है जहां पर वे अपना मजदूर रखकर कार्य कराया जाता है तथा उन्हें मजदूरी देकर लाभ कराया जाता है वही समय-समय पर पौधों को कीड़ों से बचने के लिए पेड़ों की पुताई की जाती है। उन्होंने बताया कि किसानों के द्वारा भी रेशम कीट पालन के लिए शहतूत की खेती करने के लिए किसानों को एक घर समेत उन्हें पौध तैयार करने के लिए राशि आवंटित की जाती है जहां से उन्हें रेशम के लिए टसर उत्पादन कराया जाता है उससे भी किसानों को काफी लाभ हो रहा है। ग्रामीणों को ज्यादा से ज्यादा लाभ हो जिसके लिए उन्हें समय-समय पर प्रोत्साहित किया जाता है ताकि वे अधिक उत्पादन कर ज्यादा रुपया कमा सकें कई किसान उदयपुर मुख्यालय के रेशम कीट पालन कर रहे हैं जो लाखों रुपए तक लाभ कमा रहे हैं उन्होंने यह भी बताया की तीन तरह से तसर को विभक्त करने के बावजूद भी रेशम तसर का कीमत बराबर होता है।