सामुदायिक रेडियो: ग्रामीण विकास और सूचना सशक्तिकरण का साधन
महासमुंद ट्रैक सीजी गौरव चंद्राकर
भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय एवं राष्ट्रमंडल शैक्षिक मीडिया केंद्र एशिया (CEMCA) की भारत इकाई द्वारा सामुदायिक रेडियो जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में देशभर के महाविद्यालयों, गैर-सरकारी संगठनों और सामुदायिक रेडियो संचालित करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस पहल का उद्देश्य सामुदायिक रेडियो के माध्यम से स्थानीय समुदायों की भागीदारी को बढ़ावा देना और उन्हें सशक्त बनाना था।
कार्यक्रम में विशेष रूप से विकासशील राज्य छत्तीसगढ़ के उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जहां अभी तक कोई सामुदायिक रेडियो स्टेशन स्थापित नहीं हुआ है। राज्य में संचालित मौजूदा सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के संचालकों और महाविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने रेडियो स्थापना से लेकर संचालन प्रक्रिया तक की जानकारी साझा की।
विशिष्ट अतिथियों ने साझा किए अपने विचार
इस कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रमंडल शैक्षिक मीडिया केंद्र एशिया (CEMCA) नई दिल्ली इकाई के निदेशक डॉ. बी. शाद्रच, झारखंड राज्य ओपन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. त्रिबेनी नाथ साहू, रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजीत कुमार सिन्हा, रेडियो कांची के संस्थापक-संचालक डॉ. आनंद कुमार ठाकुर, तकनीकी विशेषज्ञ महीपाल सिंह रावत, सामुदायिक रेडियो विशेषज्ञ डॉ. श्रीधर रामामूर्ति, तथा भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी विभाग, नई दिल्ली की कृषि वैज्ञानिक डॉ. उज्जवला तृप्ति तिर्की की उपस्थिति में हुआ।
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विशेषज्ञों ने सरकार की योजनाओं और सामुदायिक रेडियो के क्षेत्र में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सामुदायिक रेडियो स्थानीय भाषा और संस्कृति के अनुरूप होते हैं, जिससे लोगों को सरकारी योजनाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और अन्य आवश्यक जानकारी सहज रूप से प्राप्त हो सकती है।
छत्तीसगढ़ से प्रतिनिधित्व और सहभागिता
इस कार्यशाला में महासमुंद, राजनांदगांव, बिलासपुर, मुंगेली, दुर्ग और रायपुर के महाविद्यालयों और स्वैच्छिक संगठनों के कार्यकर्ता उपस्थित रहे। कार्यशाला के दौरान, सामुदायिक रेडियो की स्थापना और संचालन की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया गया।
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. सुरेश शुक्ला, श्री योगेंद्र राजपूत, डॉ. आकाश तिवारी, अरपा रेडियो से संज्ञा टंडन, तथा डॉ. सी. वी. रमन महाविद्यालय से श्वेता पांडेय ने अपने विचार और अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि सामुदायिक रेडियो किस प्रकार से समाज को सशक्त कर सकता है और सूचनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लोगों तक पहुंचा सकता है।
सामुदायिक रेडियो: सूचना सशक्तिकरण का माध्यम
कार्यक्रम के दौरान, सामुदायिक रेडियो को शिक्षा, ग्रामीण विकास, कृषि, महिला सशक्तिकरण और स्वास्थ्य जागरूकता के लिए एक प्रभावी माध्यम के रूप में विकसित करने पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने बताया कि रेडियो के माध्यम से स्थानीय समुदायों को सरकार की योजनाओं और विभिन्न अवसरों की जानकारी आसानी से मिल सकती है।
भारत सरकार और CEMCA के इस संयुक्त प्रयास से छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में सामुदायिक रेडियो की भूमिका को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इस कार्यक्रम से प्राप्त जानकारियां भविष्य में नए सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की स्थापना और संचालन में सहायक साबित होंगी।
उपरोक्त प्रशिक्षण मे समस्त प्रतिभागियों का व महासमुन्द जिले से उपस्थित डॉ. सुरेश शुक्ला का प्रामाणिकरण किया गया I
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