छेरछेरा पर्व पर संस्कृति और परंपरा से जुड़ने का अनोखा अनुभव
महासमुंद ट्रैक सीजी गौरव चंद्राकर
मित्रों के साथ संस्कृति और परंपरा से जुड़ने का अनोखा अनुभव का पर्व है। अपनी संस्कृति एवं परंपरा का हिस्सा बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। छत्तीसगढ़ के इस प्रसिद्ध छेरछेरा पर्व ने न केवल हमें आपस में जोड़ता है बल्कि हमारी सांस्कृतिक जड़ों को भी और मजबूत किया।छेरछेरा पर्व, जो सामूहिकता, दान और भाईचारे का प्रतीक है, हमें अपने मूल्यों की याद दिलाता है। इस पावन अवसर पर “छेरछेरा, कोठी के धान ला हेरहेरा” की आवाज ने पूरे माहौल को उल्लास और उमंग से भर दिया। यह पर्व सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि हमारी परंपराओं और ग्रामीण जीवन से गहरा संबंध भी है।मित्रों और परिवार के साथ इस आयोजन में भाग लेना और अपनी सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत देखना, वाकई भावनात्मक और आनंददायक अनुभव था। इस पर्व ने हमें फिर से यह एहसास कराया कि अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़ना कितना आवश्यक है।
आइए, हम सभी छेरछेरा जैसे पर्वों के माध्यम से अपनी संस्कृति और परंपरा को जीवित रखें और नई पीढ़ी को इनसे जोड़ने का प्रयास करें। शिक्षक जितेंद्र कुमार साहू, भोज राम साहू,लोकनाथ साहू, पवन साहू, प्रीतम कुमार साहू, ठाकुर राम साहू, शिवराम साहू, रूपलाल साहू ,राजेश साहू,भावेश साहू,चंदू साहू बड़ी संख्या में छेरछेरा के महापर्व में सम्मिलित हुए।
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