महासमुंद ट्रैक सीजी गौरव चंद्राकर
बागबाहरा ब्लॉक के ग्राम कुलिया में एक अनोखी लौकी ने सबका ध्यान आकर्षित किया है। इसकी लंबाई 5 फीट से अधिक और मोटाई करीब 9 इंच है। इस तरह की लौकी क्षेत्र में पहली बार देखी गई है। स्थानीय किसान संजय चंद्राकर ने इसे अपनी बाड़ी में उगाया है। उन्होंने बताया कि यह लौकी देशी तकनीक से उगाई गई है और इसके उत्पादन में किसी रासायनिक खाद का उपयोग नहीं किया गया।
देशी तकनीक से तैयार की गई लौकी
किसान संजय चंद्राकर ने बताया कि लौकी की बुआई अगस्त-जुलाई महीने में की गई थी। बीज उन्होंने गांव के एक अन्य किसान से लिया था। पौधे को बिना किसी रासायनिक खाद के सहारे पाला गया। अब तक एक पेड़ से वे 20 लौकी तोड़ चुके हैं, जिनका वजन 12 से 15 किलो प्रति लौकी है। पेड़ पर अभी भी 5-7 लौकियां लटकी हुई हैं। कुल मिलाकर इस पेड़ से अब तक लगभग डेढ़ क्विंटल लौकी का उत्पादन हो चुका है।
लौकी के औषधीय और पोषण गुण
लौकी पोषण से भरपूर होती है। इसमें प्रोटीन 0.2%, वसा 0.1%, फाइबर 0.8%, शर्करा 2.5%, ऊर्जा 12 किलो कैलोरी और नमी 96.1% पाई जाती है। चिकित्सक इसे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक मानते हैं और कई रोगियों को इसे आहार में शामिल करने की सलाह देते हैं।
सब्जी से लेकर औषधि तक में उपयोग
लौकी न केवल सब्जी के रूप में बल्कि मिठाई, रायता, आचार, कोफ्ता और खीर बनाने में भी उपयोग की जाती है। इसके अलावा, इसके औषधीय गुणों के कारण इसका उपयोग कई प्रकार की औषधियां तैयार करने में भी किया जाता है।
गांव और आसपास बना चर्चा का विषय
किसान संजय चंद्राकर द्वारा उगाई गई यह लौकी इन दिनों क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। बड़ी संख्या में लोग इसे देखने के लिए उनके बाड़ी में आ रहे हैं। किसान संजय का मानना है कि यह उनकी मेहनत और देशी तकनीक का परिणाम है।
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