राकेश नायक ,ट्रैक सीजी न्यूज, विशेष संवाददाता ,गुजरात
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गुजरात राज्य के साबरकांठा जिले के
ईडर-वडाली से भाजपा विधायक रमन वोरा एक फर्जी किसान हैं।
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आम चर्चा है कि अगर सत्ताधारी दल के नेता ही ऐसे गलत काम करेंगे तो जनता का विश्वास खो देंगे
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गुजरात में क्या दृढ़ माने जाने वाले मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल की सरकार ऐसे फर्जी किसान नेता पर कोई कार्रवाई करेगी?
सरकारी लाभ पाने के लिए फर्जी किसान बन गया बीजेपी नेता!
साबरकांठा जिले के वडाली के एक जागरूक नागरिक के आर. टी.आई.से खुले भेद।
एक तरफ जहां भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की खूब बातें हो रही हैं, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी नेता खुद ही भ्रष्टाचार की राह पर चल रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा विधायक रमन वोरा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और एक से अधिक बार मंत्री रह चुके रमन वोरा पर पालेज में किसान के तौर पर कृषि भूमि खरीदने का आरोप लगा है झूठे दस्तावेजों के आधार पर जमीन खरीदी है ऐसा घोटाला सामने आया है.
सरकारी लाभ पाने के लिए बीजेपी नेता रमनवोरा ने अपने भाई के नाम पर भी फर्जीवाड़ा कर किसान प्रमाणपत्र हासिल कर लिया है.
रमनलाल वोरा के भाई का नाम अलग है।
वडाली तालुका के जेतपुर गांव के निवासी राजूभाई पटेल ने कई प्रमुख खुलासों के जवाब में एक आरटीआई दायर की, जैसे कि पालेज में रमन वोरा द्वारा खरीदी गई कृषि भूमि, सर्वेक्षण संख्या 719-3 इस भूमि के लिए रमन वोरा द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य और ओंगनज गांव की खाता संख्या 347 रकबा 0-79-81 रमनभाई ईश्वरभाई के नाम पर दर्शाया गया है, अब बात यह है कि रमन वोरा के किसान प्रमाणपत्र में नरसिंहभाई ईश्वरभाई,
नटवरभाई ईश्वरभाई,
नरोत्तमभाई ईश्वरभाई को विधायक का भाई दर्शाया गया है। दरअसल, विधायक के भाई का नाम कुछ अलग है।
दूसरा मुद्दा यह है कि रमन वोरा के भाई का नाम डाह्याभाई ईश्वरभाई, हीराभाई ईश्वरभाई, मोतीभाई ईश्वरभाई है, इसके अलावा पूरे किसान के प्रमाणपत्र में केवल उपनाम ‘वोरा’ गायब है
क्या है पूरा मामला
यह पूरा मामला रमन वोरा द्वारा खरीदी गई जमीन से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने गांधीनगर जिले के ग्राम पालेज में सर्वे नंबर 261 में जमीन खरीदी थी, उन्होंने अपने हलफनामे में स्पष्ट किया है कि यह जमीन उन्हें विरासत में नहीं मिली है और सूत्रों से मिली जानकारी में इडर के दावड के पास भी जमीन खरीदी थी उसमें रमनलाल के पीछे वोरा कहासे लगा जबकि प्रमाणपत्र में वोरा था ही नहीं।
लोग तो ये भी कहते है कि उनको भड़क मिलते ही यह जमीन औरों को बेच दी है।
अब चर्चा है कि रमन वोरा अपने घोटालों का खुलासा होते ही राजनीतिक शरण पाने की कोशिश में जुट गए हैं, इसी वजह से विधायक रमन वोरा के लिए बड़ा सिरदर्द यह भी है कि बीजेपी नेता उनके खिलाफ उतर आए हैं और इस मामले में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को तैयार हैं. कमलम से शिकायत की गई है, लेकिन विधायक के नियमों को ताक पर रखकर किसान बनने में उन्हें अगले कुछ दिनों में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. देखने वाली बात यह है कि इस मामले में क्या सच्चाई है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा लेकिन यह चर्चा आम लोगों में देखने को मिल रही है कि क्या रमनलाल वोरा के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी या इस चर्चा को दबा दिया जाएगा.