एड्स बचाव ही जानकारी है – डॉ. विकास चंद्राकर
परियोजना कार्य में मैदान निर्माण, तालाब एवं शीतला मंदिर में स्वच्छता अभियान चलाया गया
महासमुंद ट्रैक सीजी गौरव चंद्राकर
शासकीय महाप्रभु वल्लभाचार्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय महासमुंद की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई का रासेयो सात दिवसीय विशेष शिविर ग्राम भलेसर में चतुर्थ दिवस दिनांक 01 दिसंबर को शिविर दिनचर्या में परियोजना कार्य में मैदान निर्माण एवं भाटापारा तालाब व शीतला मंदिर में स्वच्छता अभियान चलाया गया । बौद्धिक सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. अनिरुद्ध कसार एड्स नियंत्रण समिति नोडल अधिकारी जिला महासमुंद एवं डॉ. विकास चंद्राकर खंड चिकित्सा अधिकारी उप स्वास्थ्य केंद्र तुमगांव, श्री अजय कुमार राजा व श्रीमती राजेश्वरी सोनी कार्यक्रम अधिकारी रासेयो, श्री प्रकाशमणि साहू सहायक कार्यक्रम अधिकारी ,श्री अविनाश चौहान जनभागीदारी व्याख्याता वाणिज्य मंचस्थ रहे । बौद्धिक सत्र में स्वागत उद्बोधन में श्री प्रकाशमणि साहू ने एड्स के बारे में बताया कि विश्व एड्स दिवस हमें एचआईवी/एड्स के बारे में जागरूकता फैलाने, एचआईवी संक्रमित लोगों के प्रति सहानुभूति दिखाने और इस बीमारी से लड़ने के लिए एक साथ आने का मौका देता है। इस दिन अलग-अलग कार्यक्रमों, सेमिनारों और जागरूकता अभियानों का आयोजन किया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत 1 दिसंबर 1988 में हुई थी । डॉ. अनिरुद्ध कसार द्वारा एड्स बचाव ही जानकारी विषय पर एचआईवी एक ऐसा वायरस है, जो शरीर की इम्युनिटी को कमजोर कर देता है। एड्स एचआईवी संक्रमण का अंतिम चरण है। जब एचआईवी शरीर में प्रवेश करता है, तो यह टी-सेल्स को नष्ट करना शुरू कर देता है। टी-सेल्स शरीर के इम्युन सिस्टम का एक जरूरी हिस्सा हैं। जब टी-सेल्स की संख्या बहुत कम हो जाती है, तो शरीर किसी मामूली इन्फेक्शन से भी लड़ने में असमर्थ हो जाता है। जिसके कारण व्यक्ति की उस बीमारी की वजह से मौत हो जाती है। जब एचआईवी इन्फेक्शन एड्स के स्टेज में पहुंच जाता है, तो ऐसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं- लगातार बुखार, अकारण वजन कम होना, लगातार थकान, लगातार खांसी, दस्त, रात में पसीना आना, त्वचा पर चकत्ते, मुंह में छाले, देखने में तकलीफ जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द लिम्फ नॉड्स में सूजन इत्यादि कारण हो सकते है । फैलने के भी कुछ निम्न कारण हो सकते है जैसे कि असुरक्षित सेक्शुअल एक्टिविटीज, एक ही इन्जेक्शन का बार-बार इस्तेमाल, संक्रमित मां से उसके बच्चे में गर्भावस्था के दौरान, प्रसव के समय या स्तनपान के जरिए, ब्लड ट्रांसफर के माध्यम से एड्स बीमारी फैल सकता है । डॉ. विकास चंद्राकर द्वारा शिवरार्थियों के विभिन्न प्रकार के एड्स से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दिए जिसमें इम्युनिटी सिस्टम, एड्स बीमारी के समयावधि और कहा कि एड्स एक ऐसी जानलेवा बीमारी है जो मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (एचआईवी) संक्रमण के बाद होती है। एचआईवी संक्रमण के पश्चात मानवीय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है। एड्स का पूर्ण रूप से उपचार अभी तक संभव नहीं हो सका है। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति में एड्स की पहचान संभावित लक्षणों के दिखने के पश्चात ही हो पाती है। रोग रोकथाम एवं निवारण केंद्र द्वारा एड्स के संभावित लक्षण बताये गए हैं। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति, जो किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित नहीं है, में एड्स के लक्षणों की जाँच विशेष रक्त जाँच के आधार पर की जा सकती है । एचआईवी संक्रमण का अर्थ यह नहीं है कि वह व्यक्ति एड्स से भी पीड़ित हो। एड्स के लक्षण दिखने में 8 से 10 वर्ष तक का समय लग सकता है। एड्स की पुष्टि चिकित्सकों द्वारा जाँच के पश्चात ही की जा सकती है। एचआईवी संक्रमण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को इस हद तक कम कर देता है कि इसके बाद शरीर अन्य संक्रमणों से लड़ पाने में अक्षम हो जाता है। इस प्रकार के संक्रमण को “अवसरवादी” संक्रमण कहा जाता है क्योंकि ये अवसर पाकर कमजोर हो रहे प्रतिरक्षा प्रणाली पर हावी हो जाते हैं जो बाद में एक बीमारी का रूप ग्रहण कर लेती है। एड्स प्रभावित लोगों में हुए कई संक्रमण, जो गंभीर समस्या पैदा कर सकते हैं या जानलेवा हो सकते हैं, को शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नियंत्रित करती है। एड्स शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को इतना दुष्प्रभावित कर देता है कि इस गंभीर बीमारी की रोकथाम या इसका उपचार करना आवश्यक हो जाता है । संध्याकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम भी शिवरार्थियों द्वारा छग की संस्कृति पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किया गया । कार्यक्रम में वरिष्ठ स्वयंसेवक सहित सभी शिवरार्थी उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन श्री अविनाश चौहान द्वारा किया गया । संचालन दल क्रमांक 03 उपदल नायक लिलेश्वरी दिवान द्वारा किया गया ।
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