भगवान बिरसा मुंडा की जयंती
पिथौरा ट्रैक श्री गौरव चंद्राकर
उलगुलान क्रांति के नायक जल-जंगल-जमीन के रखवाले भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सावित्रीपुर में जनजातीय गौरव दिवस मनाया गया।इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने भगवान बिरसा मुंडा और जनजातीय समुदाय से जुड़ी बातों की बारे में जाना। इस अवसर पर संस्था के प्राचार्य पी सिदार सर ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस मनाने के इस ऐतिहासिक अवसर पर यह देश विभिन्न इलाकों से संबंध रखने वाले अपने उन नेताओं और योद्धाओं को याद करता है जिन्होंने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ बहादुर से लड़ाई लड़ी,और अपने प्राणों की आहुति दी।हम सभी देश के लिए उनकी निस्वार्थ सेवा और बलिदान को सलाम करते हैं। वरिष्ठ व्याख्याता निर्मल साहू सर ने कहा कि बिरसा मुंडा का नाम हमेशा भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सभी महान विभूतियों की तरह ही सम्मान के साथ लिया जाएगा। 25 साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने जो उपलब्धियां हासिल की वैसा कर पाना साधारण आदमी के लिए असंभव था।उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आदिवासी समुदाय को लामबंद करते हुए आदिवासियों के भूमि अधिकारों की रक्षा करने वाले कानून को लागू करने के लिए अंग्रेजों को मजबूर कर दिया । ईडी हेड बीडी साहू सर ने कहा कि आज जिस खनिज संपदा ने देश के आर्थिक उन्नति तथा रोजगार में अहम भूमिका निभाई है,उस संपदा को संरक्षित रखने में जनजातीयो ने अग्रणी भूमिका निभाई है।राष्ट्र के जिन स्थानों पर खनिज संपदा मिली है ,वहां जनजाति समुदाय का निवास स्थान है।जनजातीय समुदाय का निवास जहां-जहां है,वहां वन संपदा की अधिकता है। आर्थिक विपन्नता से उबरने के लिए जनजातीयो ने कभी भी वन संपदा का व्यापार नहीं किया।वन को बचाए रखने के संकल्प ने आज जगत को बचाए रखा है।व्याख्याता सुभाष सिंह सर ने कहा कि यह समुदाय सादगी पसंद है।कच्चे मकान में रह लेता है,पहाड़ों को काटकर आवास बना लेता है,परंतु विकास के लिए पश्चिमी मानकों को नहीं अपनाना जनजातियों को विशिष्ट बनाता है।अपनी संततियों को अपनी भाषा,संस्कृति व अपने रोजगार का ज्ञान देकर आत्मनिर्भर बनने का गुण विकसित करने की विशेषता के कारण यह समुदाय किसी की अधीनता स्वीकार नहीं करता तथा समानता एवं स्वतंत्रता के साथ जीना पसंद करता है। श्रीमती सविता जलछत्री मैम ने कहा की जनजातीय संस्कृतियों में गहरी आध्यात्मिकता छुपी हुई है।यह समाज हमें जीने की कला सिखाता है ।जनजातीय समाज में सामाजिक बुराइयों जैसे कि दहेज प्रथा का कोई स्थान नहीं है और बाकी समाज के लिए एक प्रेरणा है।व्याख्याता डी के भारती सर ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने शोषण मुक्त समाज का सपना देखा था और आज उनके उनके शौर्य से हमें हमेशा जीवन में साहस की प्रेरणा मिलती है। मिडिल स्कूल हेडमास्टर एस एल पटेल सर ने कहा कि आज पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन के गंभीर संकट से गुजर रही है,और ऐसे में जनजातीय समाज ने हमें प्रकृति के संरक्षण का सही मार्ग दिखाया है।जनजातीय समाज में प्रकृति की पूजा की जाती है,और उनके द्वारा मनाए जाने वाले त्योहार जैसे सरहुल प्रकृति के प्रति उनकी गहरी आस्था को दर्शाते हैं ।प्राइमरी स्कूल प्रधान पाठक महेंद्र तांडी सर ने जनजातीय समाज के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा यह गर्व की बात है कि छत्तीसगढ़ में कई स्वतंत्रता सेनानी जनजातीय समाज से उत्पन्न हुए हैं, जैसे शहीद वीर नारायण सिंह, गैंदसिंह और गुंडाधुर आदि।जनजातीय समाज में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष की परंपरा प्रारंभ से रही है ।संकुल समन्वयक पी एल चौधरी ने कहा कि जनजातीय लोग कभी दिखावा नहीं करते,उनकी सरलता सहजता मन मोह लेती है।जनजातीय समाज की खान-पान की शैली बीपी शुगर जैसी लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों से दूर रखती है।नरेंद्र जलछत्री सर ने कहा कि बिरसा मुंडा के आदर्श न केवल जनजातीय बल्कि देश के सभी समुदायों के युवाओं के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है।स्वतंत्रता,न्याय,पहचान और सम्मान के लिए बिरसा मुंडा की आकांक्षाएं देश के हर युवा की आकांक्षाएं हैं। प्रवीण साहू सर ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा हमारे नक्षत्र मंडल के सबसे चमकते सितारों में से एक थे,जिनका प्रकाश राष्ट्र के मार्ग को आलोकित करता है। शेषनारायण ध्रुव सर ने कहा कि जनजातीय समुदाय ने अपनी कला शिल्प और कठिन परिश्रम से राष्ट्र के जीवन को समृद्ध किया है। उनकी जीवन शैली विश्व समुदाय को प्रकृति के संवर्धन की शिक्षा प्रदान करती है। श्रीमती जयंती सागर मैम ने कहा कि जनजातीय समुदायों ने स्वाधीनता संग्राम में महान योगदान दिया है।मैं सभी ज्ञात अज्ञात जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों,वीरों और वीरांगनाओं को नमन करती हूं।आजादी के बाद से देश की विकास यात्रा में जनजातीय लोगों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है।उनके विकास और समृद्धि के लिए मेरी शुभकामनाएं। मंच का संचालन पी आर कल्ला सर और उत्तम भोई सर द्वारा किया गया।।