आंगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय, पानी से लेकर बिजली तक की व्यवस्था नहीं है। जिससे वहां आने वाले बच्चों को जहां परेशानी का सामना करना पड़ता है वहीं अभिभावक भी केंद्रों पर बच्चों को भेजने से कतराते हैं।
पखांजूर:- शिशु एवं मातृ मृत्यु दर रोकने के लिए सरकार की ओर से तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं। अति कुपोषित व कुपोषित बच्चों और धात्रियों को पोषणयुक्त सामग्री देने के लिए बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से हर गांव में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। केंद्रों पर पोषाहार, दवाएं देने के साथ ही खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाया भी जाता है। करीब एक से डेढ़ दशक पूर्व से चल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों पर सुविधाओं के नाम पर हर साल लाखों रुपये खर्च होते हैं, इनमें से अधिकांश पर मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं। विभागीय आंकड़ों पर नजर डालें तो आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यकर्ता और सहायिकाएं तैनात हैं।
आंगनबाड़ी केंद्रों की बदहाली का आलम यह है कि शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को हवा पानी तक के लिए तरसना पड़ रहा है।