महापौर ने एम आई सी बदल कर दिखाया अपना पॉवर/नेता जी पार्टी सम्मान को दरकिनार कर अपना सम्मान बचाने तो नहीं कर रहे महापौर को कमजोर?
रिसाली (ट्रेक सीजी न्यूज/सतीश पारख)
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का सर्वाधिक असर दुर्ग ग्रामीण विधानसभा के रिसाली निगम में सत्ता बदलने के बाद से लगातार देखने को मिल रहा है।शुरुआती दौर में भाजपा नेताओं ने अपने पार्षदों के साथ बैठक लेकर महापौर के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने की चर्चाओं का बाजार कुछ दिन गर्म रहा किंतु सप्ताह भर में ही यह मामला ठंडे बस्ते में चले गया शायद भाजपा के पार्षदों को अहसास हो गया की प्रदेश में सत्ता आने की खुशी में कांग्रेसी महापौर को अस्थिर करने की तैयारी कर कही वो कोई गलती तो नहीं कर रहे क्योंकि उन्हें भान हो गया कि यदि वो कांग्रेसी महापौर को हटाने में सफल भी हो जाते है तो भाजपा महापौर के लिए किसे आगे बढ़ाएगी ,कहीं हमारे लिए एक तरफ कुंवा तो एक तरफ खाई वाली स्थिति तो नहीं बन जाएगी शायद इसी भय से भाजपा पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद रिसाली निगम में यह पहला खेला था जिसे भाजपाइयों ने खेला था जो पंक्चर हो गया।
अब दूसरा खेला कांग्रेसी ही आपस में खेल रहे है इसमें प्राप्त जानकारी अनुसार प्रदेश की सत्ता बदलने के बाद महापौर अपनी एम आई सी में परिवर्तन करना चाहती थी जिसकी जानकारी उन्होंने पूर्व मंत्री को दी किंतु उन्होंने हरि झंडी नहीं दी । प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता रहते हुए भी शायद महापौर शशि सिन्हा अपने आप को असहाय सा महसूस कर रही थी क्योंकि महापौर रहते हुए भी उन्हें अपने अधिकारों का उपयोग करने का अधिकार नहीं था अपितु उनसे ज्यादा उनकी एम आई सी के कुछ सदस्य पूर्व मंत्री पुत्र की चापलूसी कर ज्यादा पॉवर फूल बन बैठे थे जिसके चलते अंदर ही अंदर उन्हें कष्ट तो था किंतु वो बोल नहीं पा रही थी ना कुछ कर पा रही थी ।सत्ता बदलने के बाद महापौर अपनी एम आई सी बदल औरों को मौका देना चाहती थी किंतु पूर्व मंत्री से चर्चा में उन्होंने इसकी सहमति नहीं दी ।इसी बीच कुछ एम आई सी सदस्यों ओर कांग्रेसी पार्षदों ने पूर्व मंत्री से मिलकर महापौर को हटाने की मांग की , किन्तु यह किसी राजनीतिक दल का मामला नहीं की महापौर को यूं पार्टी नेतृत्व के इशारों पर हटा दिया जाय उन्हें हटाने अविश्वास प्रस्ताव तो लाना ही पड़ता इसलिए कांग्रेसी पार्षदों की यह मंशा पूरी नहीं हुई ।फिर एक बार मामला एम आई सी बदलने का हुआ किंतु महापौर पहली बार में ही समझ चुकी थी कि पूर्व मंत्री उन्हें एम आई सी बदलने सहमति नहीं देंगे इसलिए उन्होंने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए पुराने एम आई सी मेंबरों को हटाकर कुछ नए नाम जोड़ दिए ओर विधिवत इसे मीडिया में भी सार्वजनिक कर दिया उपरांत वो इसकी जानकारी देने पूर्व मंत्री निवास गई जहां चर्चा करने पर पूर्व मंत्री ने शायद सहमति नहीं दी क्योंकि तब तक उन्हें भी शायद एम आई सी बदले जाने का आभास नही था । चुकी महापौर अपनी नवीन एम आई सी के सदस्यों के साथ वहां पहुंची थी उन्होंने बता दिया कि उन्होंने एम आई सी बदल दी है और पुरानों को हटाकर नए लोगो को अवसर दिया है ,शायद बिना उनकी अनुमति एम आई सी बदलने से पूर्व मंत्री ने अपनी नाराजगी भी व्यक्त की किन्तु अब किया भी क्या जा सकता था तीर कमान से निकल चुका था ।महापौर ने पूर्व मंत्री को जानकारी दी और महाकाल के दर्शन को रवाना हो गई जानकारी अनुसार महापौर शशि सिन्हा 20 नवंबर को वापसी करेंगी ।इसी बीच कल 16 नवंबर को एम आई सी हटाए गए ओर कुछ कांग्रेसी पार्षदों के कांग्रेस से इस्तीफे का बाजार गर्म हो गया हालांकि हम इसकी पुष्टि नहीं करते किंतु एक अन्य समाचार पत्र में 17 नवम्बर को प्रकाशित यह मामला सुर्खियों में रहा। अब यह मामला आगे किस करवट बैठेगा यह तो कहा नहीं जा सकता किंतु सत्ता में रहते मलाई खाने वालों के अचानक पार्टी छोड़ कर जाने और भाजपा में शामिल होने की खबरों ने हर व्यक्ति के जबान पर इस मामले को ला दिया है।चर्चा है कि महापौर ने बिना पूर्व मंत्री की सलाह अपने अधिकारों का उपयोग करते अपनी एम आई सी बदल दी कही इससे खिन्न होकर ,अपने आत्म सम्मान ठेस पहुंचा समझ पूर्व मंत्री तो कांग्रेसी पार्षदों को अपने इशारों पर नचा यह कोई नया खेला तो नहीं खेल रहे? मानवीय प्रवृत्ति है ठेस पहुंचना भी स्वाभाविक है कि निगम मैने बनाया निगम में सरकार बना महापौर भी मैने बनाया और प्रदेश में सत्ता क्या बदली मुझसे बिना चर्चा महापौर ने अपनी एम आई सी बदल दी यह सोच ठेस पहुंचना तो स्वाभाविक है ।किंतु क्या इस ठेस के चलते क्या नेता जी का पार्टी के प्रति समर्पण समाप्त हो गया?क्या अपने सम्मान की खातिर वो पार्टी के निर्वाचित महापौर की बलि चढ़ाने को तैयार हो जाएंगे?क्या कांग्रेस पार्षदों के इस्तीफे के पीछे नेता जी की ऐसी कोई चाल है कि जिस पार्टी ने उन्हें फर्श से अर्श तक पहुंचाया वो उस पार्टी के ही आत्म सम्मान को दांव पर लगाकर महापौर को पद से हटाने और रिसाली निगम में भाजपा की सत्ता काबिज करने में पर्दे में पीछे से अपनी भूमिका निभाएंगे यह सोचनीय विषय है ।हम इन विषयों को पूरे विश्वास के साथ सच्चाई नहीं कह सकते किंतु पर्दे के पीछे के गणित कुछ ऐसे ही संकेत दे रहे है बहरहाल ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो वक्त ही बतायेगा।