देवेंद्र फडणवीस, विनोद तावड़े, सुनिल बंसल, के. लक्ष्मण, अनुराग ठाकुर, ओम माथुर,नरेंद्र सिंह तोमर, बी एल संतोष,सौदान सिंह, शिवप्रकाश के भी नाम चर्चा में
महिला बनाने की स्थिति में तेलंगाना से डी. पुरुंदेश्वरी, हरियाणा से सुधा यादव, तमिलनाडु से वनीथी श्रीनिवासन,और छत्तीसगढ़ से सुश्री सरोज पांडे का नाम भी चर्चा में
(ट्रेक सीजी न्यूज छत्तीसगढ/सतीश पारख/7869093377)
भारतीय जनता पार्टी को जल्द ही उसका नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो भाजपा के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय जोशी बनेंगे। संजय जोशी भाजपा के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे यह बात हम नहीं बोल रहे हैं। दरअसल भाजपा समेत 300 से ज्यादा विंग चलने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) संजय जोशी को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना चाहता है। तमाम जानकारों का दावा है कि संजय जोशी भाजपा के अध्यक्ष पद पर (आरएसएस) की पहली पसंद है।
कौन हैं संजय जोशी
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा ) का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन बनेगा? इस सवाल का जवाब देने से पहले भाजपा के संभावित राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय जोशी को जान लेते हैं। भाजपा के दिग्गज नेता संजय जोशी को संजय भाई जोशी के नाम से भी जाना जाता है। संजय जोशी की पहचान एक सादा जीवन जीने वाले राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के कार्यकर्ता के तौर पर है। पेशे से मैकनिकल इंजीनियर, संजय जोशी पहले इंजीनियरिंग के छात्रों को पढ़ाते थे। बाद में उन्होंने अपना जीवन (आरएसएस) को समर्पित कर दिया। (आरएसएस) में संजय जोशी की पहचान एक बड़े स्वयंसेवक की है। संजय जोशी सबसे पहली बार सुर्खियों में आए 1988 में आए जब आरएसएस ने उन्हें गुजरात भाजपा ईकाई में काम करने के लिए गुजरात प्रदेश में भेजा। उसी समय आज के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गुजरात भाजपा में महासचिव नियुक्त किया गया। वहीं संजय जोशी को प्रभारी के तौर पर गुजरात में काम करने के लिए भेजा गया। दोनों की जिम्मेदारी राज्य में पार्टी इकाई को मजबूत करना था। लेकिन इस जिम्मेदारी के दौरान खटास आई शंकर सिंह वाघेला के विद्रोह के बाद जिस कारण भाजपा एक वक्त पर दो हिस्सों में बट गई। 1995 में सत्ता को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल और शंकर सिंह वाघेला बीच खींचतान शुरू हुई। सत्ता पलट के इरादे से शंकर सिंह वाघेला ने पार्टी के कई विधायकों के साथ मध्य प्रदेश के खजुराहो के एक फाइव स्टार रिसोर्ट में डेरा डाल दिया। गौरतलब है कि इस दौरान मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। बाद में वाघेला कांग्रेस में शामिल हो गए। इस पूरे घटनाक्रम के बीच केशुभाई पटेल के हाथों से मुख्यमंत्री की कुर्सी चली गई और सुरेश मेहता गुजरात के नए मुख्यमंत्री बने. हालांकि केशुभाई पटेल एक बार फिर 1998 में राज्य के मुख्यमंत्री बने। पार्टी की इस जीत का श्रेय गया संजय जोशी को। उनके संगठन कौशल की खूब तारीफ हुई। इसके साथ संजय जोशी और नरेंद्र मोदी के रिश्तों के बीच खटास बढ़ गई। मोदी को पार्टी मुख्यालय दिल्ली भेज दिया गया। 2001 में गुजरात प्राकृतिक आपदा का शिकार हुआ। भूकंप के बाद हुई तबाही के दौरान राहत कार्यों के लिए केशुभाई पटेल की नीतियों की आलोचना हुई और मौका मिला नरेंद्र मोदी को. मोदी को गुजरात का नया मुख्यमंत्री बनाया गया। इस घटनाक्रम के बाद जोशी को दिल्ली भेजा गया. वहां उन्हें पार्टी संगठन के महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई. संजय जोशी ने जल्द ही पार्टी के संगठन में छाप छोडऩे लगे। लेकिन इसके बाद 2005 में एक फर्जी सीडी कांड हुआ। जांच के बाद यह सीडी कांड प्रायोजित निकला। किन्तु तब तक देर हो चुकी थी। फर्जी सीडी कांड में फंसाए गए संजय जोशी को भाजपा से किनारे कर दिया गया। संजय जोशी 6 साल के राजनीतिक वनवास पर चल गए। मोदी बनाम जोशी की लड़ाई में दूसरा अध्याय तब आया जब पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी संजय जोशी को पार्टी में वापस लाये और उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाया और साथ ही उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मनोनीत किया। इसके विरोध में नरेंद्र मोदी पार्टी की अहम मीटिंगों से नदारद रहने लगे और यूपी चुनावों में पार्टी के लिए प्रचार भी नहीं किया। जब 2012 के मई माह में पार्टी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई तो नरेंद्र मोदी ने आने से इनकार कर दिया। उन्होंने शर्त रखी कि जब तक संजय जोशी इस्तीफा नहीं देते तब तक वे राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल नहीं होंगे। इसके बाद संजय जोशी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा देना पड़ा। जोशी के इस्तीफे के कुछ देर बाद ही नरेंद्र मोदी मुंबई भी पहुंचे। लेकिन संजय जोशी के इस्तीफे से भाजपा के तमाम नेता तथा कार्यकर्ता दु:खी हुए। विवाद बढ़ता चला गया आखिरकार संजय जोशी ने भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दे दिया। अब एक बार फिर संजय जोशी भाजपा में सक्रिय हो चुके हैं।
बात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की
अब तक आप संजय जोशी का परिचय जान गए हैं। अब बात करते हैं भाजपा के भावी राष्ट्रीय अध्यक्ष की। हाल ही में केरल में (आरएसएस) की अति महत्वपूर्ण समन्वय बैठक संपन्न हुई है। (आरएसएस) की यह समन्वय बैठक केरल के पलक्कड़ में हुई है। सबको पता है कि भाजपा (आरएसएस) का अनुवांशिक संगठन है। पिछले कुछ सालों को छोड़ दें तो (आरएसएस) ही भाजपा की नीति निर्धारण करता रहा है। एक बार फिर (आरएसएस) ने भाजपा की नीति निर्धारण का काम शुरू कर दिया है। (आरएसएस) की समन्वय बैठक में विशेष तौर पर भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को बुलाया गया था।
बैठक में मौजूद (आरएसएस) के एक सूत्र नेचेतना मंच को बताया कि समन्वय बैठक में (आरएसएस) ने स्पष्ट कर दिया है कि संजय जोशी ही भारतीय जनता पार्टी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे। जेपी नड्डा ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का नाम प्रस्तावित किया। बैठक में तय किया गया कि हरियाणा तथा जम्मू-कश्मीर के चुनाव नतीजे आने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर दी जाएगी। जेपी नडडा ने (आरएसएस) की समन्वय बैठक में दावा किया है कि अगली सरकार भाजपा की बनेगी। खबर तो यह भी है कि बैठक में जेपी नडडा ने यहंा तक बोल दिया कि हरियाणा में चुनाव के नतीजे चाहें जो कुछ भी हों किन्तु हरियाणा में सरकार तो भाजपा की ही बनेगी। (आरएसएस) ने हरियाणा चुनाव के नतीजे आने तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के फैसले को स्थगित कर दिया है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर इन नामों की भी है चर्चा
भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर आधा दर्जन से अधिक नाम की चर्चा है। किसी अनहोनी के कारण यदि (आरएसएस) संजय जोशी को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बन पाया तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए दूसरा प्रमुख नाम देवेंद्र फडणवीस का है। आपको बता दें कि देवेंद्र फडणवीस भाजपा की सेकंड लाइन में संभावनाओं से भरे नेता माने जाते हैं संघ पृष्ठिभूमि के 53 वर्षीय देवेंद्र फडणवीस। प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री दोनों रहते हुए संगठन और सरकार चलाने का कौशल है। पार्टी इन्हें लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान प्रभारी बनाती रही है। महाराष्ट्र में जिस तरह से नए समीकरण उभरे हैं, उससे इन्हें राज्य से हटाकर राष्ट्रीय राजनीति में मौका देने का प्रस्ताव है। दूसरा नाम विनोद तावड़े का है। महाराष्ट्र में जिस तरह से भाजपा के सामने मराठा राजनीति को साधने की चुनौती है, उसमें 62 वर्षीय विनोद तावड़े को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर पार्टी संदेश दे सकती है। संघ के छात्र संगठन एबीवीपी से निकले तावड़े मुंबई प्रदेश इकाई अध्यक्ष से लेकर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री तक रह चुके हैं। इस समय बतौर महासचिव दूसरे दलों के नेताओं की भर्ती से लेकर कई बड़े अभियान देख रहे। इसी कड़ी में तीसरा नाम भाजपा के महासचिव सुनील बंसल का है। राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान निवासी 54 वर्षीय सुनील बंसल की गिनती भाजपा के परफॉर्मर नेताओं में होती है। संघ पृष्ठिभूमि के बंसल के ओडिशा और तेलंगाना का प्रभारी रहते भाजपा ने दोनों राज्यों में शानदार प्रदर्शन किया। इसके पूर्व यूपी में संगठन मंत्री रहते हुए 2014, 2017, 2019 और 2022 का चुनाव जिता चुके हैं। बंसल का ट्रैक रेकॉर्ड उन्हें अध्यक्ष पद का दावेदार बनाता है। अगला नाम के. लक्ष्मण का है। तेलंगाना के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और इस समय ओबीसी मोर्चा की कमान संभाल रहे हैं। संसदीय और केंद्रीय चुनाव जैसी ताकतवर समितियों में सदस्य होने की वजह से मजबूत व्यक्ति हैं। लक्ष्मण को बनाने से भाजपा न केवल दक्षिण भारत को बल्कि ओबीसी को भी साध सकती है। तेलंगाना में भाजपा की इस बार कांग्रेस से ज्यादा लोकसभा सीटें आईं हैं। राज्य के खाते में अध्यक्ष का पद डाला जा सकता है।
इसके बाद अनुराग ठाकुर का नाम भी आ रहा है। केंद्रीय मंत्रिमंडल से अप्रत्याशित रूप से बाहर होने के बाद अनुराग ठाकुर का नाम भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चर्चा में है। अनुराग की युवाओं में अच्छी लोकप्रियता है। लोकसभा चुनाव में जिस तरह से युवाओं की नाराजगी बड़ा मुद्दा बनी, उससे उनके चेहरे को आगे कर पार्टी युवाओं को आकर्षित कर सकती है। लेकिन, नड्डा के बाद दूसरा राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हिमाचल से होगा, इस पर संशय है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए ओम माथुर और नरेंद्र सिंह तोमर के नाम भी लिए जा रहे हैं। ओम माथुर और नरेंद्र सिंह तोमर दोनों भाजपा के बेहद वरिष्ठ नेता हैं और संगठन कौशल में माहिर माने जाते हैं। माथुर यूपी, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ से लेकर कई राज्यों में पार्टी की सरकारें बनवा चुके हैं। हालांकि, राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की राह में माथुर की 72 साल की उम्र रोड़ा है। केंद्र से राज्य की राजनीति में बतौर स्पीकर भेजे गए नरेंद्र सिंह तोमर फिर से राष्ट्रीय राजनीति में आएंगे, यह बड़ा सवाल है।
इसी कड़ी में संगठन महामंत्री बीएल संतोष, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह, सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश का भी नाम चर्चा में है। लेकिन ये तीनों प्रचारक संघ के प्रतिनिधि के रूप में भाजपा में प्रतिनियुक्ति पर कार्य कर रहे हैं। संगठन महामंत्रियों को अध्यक्ष बनाने का कोई उदाहरण नहीं है। क्योंकि, रामलाल की तरह संघ आवश्यकता के अनुरूप प्रचारकों को वापस बुला लेता है। भाजपा अगर महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का निर्णय लेती है तो फिर तेलंगाना से डी पुरुंदेश्वरी, हरियाणा से सुधा यादव, तमिलनाडु से वनिथि श्रीनिवाससन, छत्तीसगढ़ की सरोज पांडेय की भी दावेदारी बनती है। साभार भाजपा न्यूज