भिलाई (ट्रेक सीजी न्यूज/सतीश पारख)
औद्योगीकरण किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास का प्रमुख कारक होने के साथ-साथ औद्योगिक अपशिष्ट का प्रमुख उत्पादक भी है। मुख्य समाधान यह है कि कचरे को रीसाइकल किया जाए, रियूज़ किया जाए या उद्योग के अंदर ही उसका उपयोग किया जाए। इस्पात उद्योग किसी भी देश की आर्थिक वृद्धि के प्रमुख चालकों में से एक है। इस्पात के उच्च उत्पादन मात्रा से, इस्पात उद्योगों में अपशिष्ट उत्पादन की मात्रा भी बहुत अधिक है।
लिंज़ डोनाविट्ज स्लैग, जिसे सामान्यतः एलडी स्लैग के नाम से जाना जाता है, एकीकृत इस्पात उद्योग में प्राथमिक अपशिष्टों में से एक है। इसके निपटान के लिए सामान्य तरीकों के रूप में खुले में डंपिंग और लैंडफिल प्रथाओं के परिणामस्वरूप धूल और रिसाव के रूप में पर्यावरण प्रदूषण होता है, तथा इसके कारण भारी आर्थिक नुकसान भी होता है।
एलडी स्लैग के लाभकारी उपयोग पर काफी शोध के बाद, सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र की औद्योगिक उप-उत्पाद प्रबंधन टीम ने मुख्य महाप्रबंधक प्रभारी (लौह) श्री तापस दासगुप्ता के नेतृत्व में, संयंत्र के एलडी स्लैग से पेवर ब्लॉक के निर्माण की एक अनूठी पहल की। इस हरित पर्यावरण पहल के तहत और सीओ2 उत्सर्जन को कम करने के साथ-साथ 100% ठोस अपशिष्ट उपयोग के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में, ‘सेल ग्रीन टाइल्स प्लांट’ में ईंधन-मुक्त प्रक्रिया द्वारा बीओएफ स्लैग और अन्य इन-हाउस संसाधनों से इंटरलॉकिंग कांक्रीट पेविंग ब्लॉक का निर्माण किया जा रहा है। निदेशक प्रभारी (सेल-बीएसपी) श्री अनिर्बान दासगुप्ता ने 24 जून 2024 को रिफ्रैक्टरी मैटेरियल प्लांट-1 के एलडीसीपी में ‘सेल ग्रीन टाइल्स प्लांट’ का उद्घाटन किया।
इन पेवर ब्लॉक्स के नमूनों पर विधिवत परीक्षण किए गए, जिसमें घटक सामग्रियों की भौतिक विशेषता, क्म्प्रेसिव स्ट्रेंथ और कठोर एच-आकार के इंटरलॉकिंग पेवर्स की विभाजित टेंसाईल स्ट्रेंथ शामिल थी। परिणामों से पता चला कि क्म्प्रेसिव स्ट्रेंथ में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जबकि टेंसाईल स्ट्रेंथ में भी काफी वृद्धि प्राप्त हुई। परिणामों ने यूएन सतत विकास लक्ष्यों और 100% ठोस अपशिष्ट उपयोग के सीआरईपी दिशानिर्देशों के अनुपालन के अनुरूप, पर्यावरण अनुकूल और सस्टेनेबल फुटपाथ जैसे बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए, इंटरलॉकिंग पेवर्स के उत्पादन हेतु अपशिष्ट फर्नेस स्लैग का उपयोग करने की संभावना को परिलक्षित किया।
पेवर ब्लॉकों की पहली खेप जिसका कुल वजन 8.8 मैट्रिक टन था, 08 नवंबर 2023 को ‘सेल ग्रीन टाइल्स प्लांट’ से बीएसपी के टाउन सर्विसेज डिपार्टमेंट को भेजी गई थी। उल्लेखनीय है कि कमीशनिंग से पहले, बीएसपी की एक अंतर-विभागीय टीम ने (5-12 मिमी) बीओएफ स्लैग से पेवर ब्लॉक बनाने की पायलट परियोजना का अध्ययन करने के लिए सेल के अनुसन्धान केंद्र आरडीसीआईएस रांची का दौरा किया था।
‘सेल ग्रीन टाइल्स प्लांट’ में निर्मित पेवर ब्लॉकों की क्म्प्रेसिव स्ट्रेंथ IS 15658: 2006 के अनुसार M-40 (स्पेसिफाइड क्म्प्रेसिव स्ट्रेंथ 40 N/mm2) है। इन पेवर ब्लॉकों का उपयोग कई प्रकार के बुनियादी ढांचे सम्बंधित उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। जिनमें पैदल यात्री के लिए पेवमेंट प्लाजा, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, रैम्प, कार पार्किंग, कार्यालय ड्राइववे, आवासीय कॉलोनियां, कार्यालय परिसर, कम यातायात वाली ग्रामीण सड़कें, फार्महाउस, समुद्र तट स्थल, पर्यटक रिसॉर्ट, स्थानीय प्राधिकरण फुटपाथ, आवासीय सड़कें आदि शामिल हैं।
सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र को एलडी स्लैग-पेवर ब्लॉक विनिर्माण पहल के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। जिसमें असम में ‘प्रदूषण नियंत्रण, अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण पर ग्रीनटेक शिखर सम्मेलन’ में सर्वश्रेष्ठ इस्पात अपशिष्ट उपयोग के लिए ‘पीसीडब्ल्यूआर पुरस्कार 2024’, हैदराबाद में सीआईआई-गोदरेज ग्रीन बिजनेस सेंटर द्वारा आयोजित ऊर्जा प्रबंधन में उत्कृष्टता के लिए 24वें राष्ट्रीय पुरस्कार में ऊर्जा संरक्षण और नवाचार में अनुकरणीय प्रयासों के लिए ‘सीआईआई-उत्कृष्ट ऊर्जा कुशल इकाई’ पुरस्कार और ‘सबसे नवीन परियोजना’ पुरस्कार शामिल हैं। साथ ही कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलनों में पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। जिसमें राउरकेला में धातु उद्योग में स्थिरता पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन, नई दिल्ली में स्टील स्लैग रोड पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन तथा सेल-बोकारो स्टील प्लांट में एलईओ कार्यशाला आदि शामिल है।
बीएसपी की ग्रीन टाइल्स परियोजना, नॉन-रिन्यूएबल संसाधनों के संरक्षण की वैश्विक आवश्यकता को पूरा करने हेतु, पैदल यात्रियों तथा गैर-यातायात अनुप्रयोगों के लिए, उत्पादित कांक्रीट इंटरलॉकिंग फ़र्श ब्लॉक इकाइयों में प्राकृतिक रेत के प्रतिस्थापन के रूप में तथा क्रश्ड अपशिष्ट फर्नेस स्टील स्लैग के लाभकारी उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
एलडी स्लैग स्टील बनाने की प्रक्रिया का एक औद्योगिक उप-उत्पाद है। यह बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस (बीओएफ) का उपयोग करके लौह अयस्क से स्टील उत्पादन के दौरान भारी मात्रा में बनता है। एलडी-स्लैग में कई नुकसानदायक धातु ऑक्साइड शामिल होते हैं और इसलिए, इस तरह के कचरे को डंप करने से पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं। प्रति वर्ष 47 मिलियन टन के अनुमानित वैश्विक उत्पादन के साथ, भारतीय इस्पात उद्योग में प्रति टन कच्चे इस्पात के लिए लगभग 150 से 180 किलोग्राम एलडी स्लैग का उत्पादन होता है। परिणामस्वरूप, एलडी-स्लैग के व्यापक उपयोग हेतु पर्याप्त कारण मौजूद है, जैसे इसे उपयोगी सामग्री में रूपान्तरित करके या प्रक्रिया सामग्री के रूप में इसका पुनर्चक्रण करके इसका सार्थक उपयोग करना आदि।
अपनी उच्च गुणवत्ता, उत्कृष्ट यांत्रिक और यौगिक सुदृढ़ता, हायर लाइफ एक्स्पेक्टेंशी, सरल सफाई आदि के कारण, एलडी-स्लैग पेविंग ब्लॉक वर्तमान समय में हैज़र्डस स्लैग के विवेकपूर्ण निपटान के लिए सबसे व्यवहारिक विकल्पों में से एक है।
एलडी स्लैग को अत्यधिक उपयोगी पर्यावरण-अनुकूल इंटरलॉकिंग कांक्रीट फ़र्श ब्लॉक में परिवर्तित करके इसके उपयोग की आवश्यकता को देखते हुए, सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र ने सतत अवसंरचना विकास के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में योगदान दिया है। इस पहल ने न केवल भिलाई इस्पात संयंत्र के एलडी स्लैग से मूल्य प्राप्त करने के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार का लाभ उठाया है, बल्कि यह हरित कल का मार्ग प्रशस्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।