बागबाहरा ट्रैक सीजी गौरव चंद्राकर
आम बजट का प्रावधान मध्यम वर्ग की कमर तोड़ने को आमादा
बागबाहरा।अभी हाल ही में केंद्र सरकार ने देश का आम बजट प्रस्तुत किया है ।जिसमें वे मध्यम वर्ग की कमर तोड़ने में अमादा नजर आते हैं ।मालूम नहीं केंद्र की मोदी सरकार मध्यम वर्ग के साथ कौन सी पुरानी दुश्मनी निकालने में लगी है जो उन्हेंमध्यम वर्ग की तरक्की से परेशानी हो रही है और उन पर टैक्स का बोझ लादने में तुली हुई है ।छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व संसदीय सचिव व वर्तमान विधायक द्वारिकाधीश याद ने बताया कि , ये वही मध्यम वर्ग है जिसे अपना भरपूर समर्थन देकर भाजपा को तीन-तीन बार सत्ता सौंपी और कोरोना काल के दौरान प्रधानमंत्री जी के इशारे पर थालियां भी बजाई थी और लाईटें भी जलाई ।लेकिन भाजपा मध्यम वर्ग के इन उपकारों को भूलकर कृतघन हो गई है । 4 जून को तो शेयर मार्केट में इन मध्यवर्गीय आम निवेशकों के लगभग 30 लाख करोड़ ही डूब गए लेकिन इसके बाद भी केंद्र सरकार का मन नहीं भरा और इन पर यह ज्यादा करों का बोझ लादने में लग गई ।यह कहां का न्याय है की पुरानी संपत्ति बेचने पर ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा ?यह कहां का न्याय है , कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन करने पर 12.5%कर देना पड़ेगा ? और यही नहीं इन्होंने तो इंडेक्सेशनकी सुविधा भी खत्म कर दी है ।
और तो और यह सरकार , सरकारी कंपनियों के निजीकरण करते हुए मध्यम वर्ग के जो लोग सरकारी नौकरियों में हैं उनके मुंह से भी निवाला छीनने के लिए आए दिन तैयार बैठी रहती है ।
अब तो यह केंद्र की सरकार की ये नीतियाँ मध्यम वर्ग को एक गीत गाने के लिए मजबूर करती हुई नजर आ रही है कि -गैरों पे करम – अपनो पे सितम । ऐ जाने वफा ये जुल्म न कर” ।और मुझे विश्वास है कि मध्यम वर्ग आने वाले समय मेंभाजपा को इसका प्रति उत्तर जरूर देगी।
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