सक्ती/ट्रैक सीजी/अवधेश टंडन
पूर्व कांग्रेस सरकार ने आवारा पशुओं के रखरखाव एवं देखभाल के लिए हर ग्राम पंचायत में गौठान निर्माण कराया था साथ ही रोका छेका अभियान भी चलाया था लेकिन सड़कों पर आवारा पशुओं का बैठना बन्द नही हुआ और वर्तमान भाजपा सरकार ने अभी तक इन आवारा पशुओं को लेकर कोई ठोस कदम नही उठाया है जिसके कारण आये दिन दुर्घटनाएं हो रही है और लोगों के साथ पशुओं की भी जान जा रही है।ऐसे में देखा जाय तो इन आवारा पशुओं का सुध लेने वाला कोई नही है। शहर की हर सड़कों में मवेशियों का राज है तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के सड़कों का भी यही हाल है। खासकर रात को शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों के जितने भी मवेशी है चरागाह को छोड़कर पक्की सड़क में डेरा जमा लेते हैं। क्योंकि उन्हें यहां सुकून का पल मिलता है। वहीं दूसरी वजह यह भी है कि मवेशियों को उनके मालिक रात को खुले में छोड़ देते हैं। जो गायें दूध देती है उसे घर में रखते हैं जो दूध नहीं देती उसे सड़क पर छोड़ देते हैं। आवागमन के लिए सड़कों में राहगीरों को एक इंच भी जगह नहीं मिलती। जिससे हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है और आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती है।