ट्रैक सीजी ब्यूरो बीजापुर जरखान
आज दिनांक 11/07/2024 को उसूर ब्लाक के ग्राम नडपल्ली,गलगम, गूंजे परती के जल जंगल जमीन परंपरा बोली भाषा पेंन व्यवस्था को जीवित रखने वाले आदिवासियों से सर्व आदिवासी समाज बीजापुर जिलाध्यक्ष अशोक कुमार तलांडी के नेतृत्व में प्रदेश उपाध्यक्ष नरेंद्र बुरका, दशरथ कश्यप, ककेम नारायण,अनिल बुरका,पेंटा पोंदी, महिला प्रभाग जिलाध्यक्ष जमुना सकनी,काका नारायण, जनपद सदस्य कटटम सरोजिनी, पूर्व सरपंच गटपली सुरैया, लक्ष्मी कोरम , शांति मडकम, चिल्का मोडियम, तेंलगा समाज प्रमुख रोटेल, सुशीला बुरका, विजय बुरका मनोज यालम, युवा प्रभाग चंद्रशेखर अगंमपली एवं गोंड, दोरला,परधान, मुरिया,बत्रा, हल्बा,तेंलगा समाज प्रमुख एवं ग्राम नडपल्ली, गलगम, गूंजे परती के लोगों से रूबरू होकर आप बीती सुनी वहां के ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि हम लोग पुरखों से यहां के जल जंगल जमीन परंपरा भाषा बोली को बरकरार रखते हुए जीविकापार्जन के लिए पैतृक जमीन में खरीफ फसल के बाद महुआ, टोरा, तेंदूपत्ता संग्रहण करते हैं को नक्सलियों के नाम से हमें हमेशा कभी तेलंगाना पुलिस व हमारे मूलनिवासी राज्य छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के अंतर्गत उसूर पुलिस प्रताड़ना करती है।
जिसके संदर्भ में सर्व आदिवासी समाज ने संज्ञान लेते हुए सर्व आदिवासी समाज जिलाध्यक्ष अशोक कुमार तलांडी ने कहा कि हकीकत में यहां के आदिवासी लोगों को चाहे कोई भी सरकार रहें गेंहू के साथ धुन पिसाने के कहावत को चरितार्थ करता है कि पर्यावरण को दृष्टिगत रखा जाए तो रायपुर, दिल्ली में या बड़े महानगरों में जंगल नहीं है जंगल है तो सब है।पांचवी अनुसूची क्षेत्र आदिवासी बीजापुर या अन्य क्षेत्रों में जंगल है। जिससे यहां के मूल निवासियों के साथ देश आजाद 1947 के बाद 1950 को संविधान लागू हुआ कोई भी व्यक्ति देश के कोई भी कोने में गुजर बसर करने का अधिकार है पर आक्सीजन ,हरित क्रांति, पर्यावरण को आदिवासी बहुल क्षेत्रों में संजोए हुए है कि आदिवासियों की परंपरागत संस्कृति, सभ्यता, बोली, भाषा नेंग रीति रिवाज टोटेम व्यवस्था के आधार पर प्राकृतिक में पेड पौधे,जीव जंतु को भी स्मरण करते हैं कि आदिवासी लोग विभिन्न पेड़,पौधे,जीव जंतु को अपना गौत्र व्यवस्था के हिसाब से पेड़ पौधे जीव जंतु को कुल देवता के में मानते हैं। और यहां वर्तमान में जो संकट है उससे भी दूर रहते हैं चुंकि आदिवासी लोग जितना पंडुम मनाते हैं शायद कोई नहीं पर हमारे आदिवासी नक्सली नहीं हो सकते सरकारों की नाकामी के वजह से अपना खेती खलिहानों,महूआ,टोरा, तेंदूपत्ता के बाद मजबूरी में अन्यत्र राज्यों में जीविकापार्जन के साधन के लिए मजदूरी करने पलायन होते हैं जिसका जिम्मेदार सरकार की है बेवजह हमारे आदिवासियों को नक्सलियों के नाम से प्रताड़ना नहीं करें यह मांग माननीय मुख्यमंत्री जी से करते हैं और आगे तलांडी ने कहा कि कोई भी सरकारें रही है आदिवासियों के नाम से वोट बटोर कर शासन करती है। आदिवासी लोग ईमानदार होते हैं बावजूद केवल आदिवासियों को बेवजह नक्सलियों के नाम प्रताड़ना करना, फर्जी मुठभेड़ कर गोलियो भून डालना,जेल भेजना यह कतई बर्दाश्त नहीं है।
आदिवासी लोग बोले बाले, ईमानदार, स्वाभिमान की जिंदगी जीते हैं और नक्सलियों को किसी प्रकार का मदद नहीं करते हैं चुकिं स्वाभिमान की जिंदगी जीने के लिए निरंतर तत्पर है यानी कि स्वयं को जीने का हमेशा चिंतित रहते हैं तो दुसरो को आर्थिक सहयोग कहां कर पायेंगे हमने हमेशा स्पष्ट कहते हैं कि हमारे आदिवासी पुरखों का जल जंगल जमीन परंपरा बोली भाषा संस्कृति के साथ अपना जीवन यापन करते हैं। कूद को नहीं दुसरो को कहां से सहयोग करेंगे इसलिए बेवजह आदिवासियो को नक्सलियों के नाम से बेवजह परेशान न करें सर्व आदिवासी समाज की सोच है ग्रामीण विकास की परिकल्पना को मध्य नजर रखते हुए समाज , शासन,प्रशासन समन्वय स्थापित कर मानवीय मर्यादाओं का पालन करेंगे पर माननीय मुख्यमंत्री जी ने करबद्ध प्रार्थना करते हैं कि आदिवासियों को नक्सलियों के नाम से बेवजह प्रताड़ना , मारपीट,जेल भेजना बंद करें और और आदिवासियों को शासन के योजनाओं से सरीक कर लाभान्वित करें और तलांडी ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के आदिवासी मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि बीजापुर जिले के उसूर तहसील अंतर्गत नडपल्ली , गलगम गूंजे परती के ह्रदय स्थल में बहुत सारे जनहित में पर्यटन स्थल है उनको सृदढ करें और निःसंदेह नडपल्ली,गलगम, गूंजे परती व बीजापुर जिले के अंतर्गत समस्त ग्रामीणों को नक्सलियों के नाम से फर्जी प्रकरण बनाकर जेल में डाले उनको निर्सत रिहा किया जाए और अनूसूचित क्षेत्र बीजापुर जिले के अंतर्गत विभिन्न स्कूल, आश्रम, छात्रावासों,पोटा केबिनों में भारतीय संविधान व जनसंख्या के अनुपात में अधीक्षक/अधिक्षाओं को पदस्थ करते हुए जर्जर स्कूल, आश्रम, छात्रावासों, पोटा केबिनो का नवीन भवन, विशेष मरामत्त किया जाए हाल में तेंदूपत्ता संग्राहकों को नगद भुगतान की घोषणा किया गया पर अधिकांश पडो के संग्रहको नगद भुगतान नहीं किया गया। और लघु सीमांत,सीमांत ,कृषक के हैसियत से इस जिले में शत् प्रतिशत किसान है जिनकों समय पर खाद्य बीज के सी सी लोन उपलब्ध कराया जाए। तथा नडपल्ली, गूंजे परती, के गमीणों के पास शासन द्वारा प्रदत्त बैंक पास बुक,ईपिक कार्ड, आधार कार्ड उपलब्ध है यदि यह सही नहीं है तो सूक्ष्म परीक्षण किया जाकर समाज को अवगत करायें यह आवश्यक दस्तावेज किसने बनाया है।बहुत जल्द समस्त वहां के ग्रामीणों से श्रीमान जिला कलेक्टर, श्रीमान पुलिस अधीक्षक महोदय से निश्चित तिथि निर्धारित कर रुबरु होकर आपबीती सुनाइंगे, इसके उपरांत अनिल बुरका सर्व आदिवासी समाज प्रदेश उपाध्यक्ष नरेंद्र बुरका,बी एस नागेश, सर्व आदिवासी महिला प्रभाग जिलाध्यक्ष जमुना सकनी, शेखर अंगमपल्ली ने संबोधन किया।*