ट्रैक सीजी ब्यूरो बीजापुर जरखान
बीजापुर : जिले के भोपालपटनम ब्लाक के धनगोल गांव के ग्रामीणों ने एक प्रेरणादायक मिसाल पेश की है। लगातार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से पुलिया की मांग करते हुए थक चुके ग्रामीणों ने आखिरकार अपनी मेहनत और सहयोग से खुद ही पुलिया का निर्माण शुरू कर दिया है।
- प्रशासन से मिली निराशा
पांच साल पहले ढही हुई पुलिया के कारण गांव के 50 परिवारों को बारिश के मौसम में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। उफनते नाले के कारण गांव का जिला मुख्यालय से संपर्क लगभग टूट जाता था, जिससे एंबुलेंस और अन्य वाहनों का पहुंचना नामुमकिन हो जाता था। ग्रामीणों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगाई, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ।
- सामूहिक प्रयास
आखिरकार, ग्रामीणों ने अपनी परेशानी का हल खुद निकालने का निर्णय लिया। उन्होंने 100-100 रुपये का चंदा जमा करके खुदाई के लिए मशीनरी का इंतजाम किया और ताड़ के तनों का उपयोग करके पुलिया बनाने की शुरुआत की। ग्रामीणों का दावा है कि यह वैकल्पिक पुलिया तीन दिनों में तैयार हो जाएगी, जिससे पैदल यात्री और दोपहिया वाहन आसानी से गुजर सकेंगे।
- जुगाड़ की तकनीक
ग्रामीणों ने इको-फ्रेंडली तकनीक का उपयोग करते हुए ताड़ के तनों से पुलिया का निर्माण किया है। हालांकि, यह पुलिया अधिक टिकाऊ नहीं होगी और इस पर से ट्रैक्टर या चार पहिया वाहन नहीं गुजर पाएंगे, लेकिन यह गांव वालों की आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम होगी।
- सिस्टम को चुनौती
धनगोल गांव के सरपंच नागैया समेत सभी ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन और नेताओं से उम्मीद छोड़कर उन्होंने खुद अपनी समस्या का समाधान ढूंढा है। उनका यह सामूहिक प्रयास सिस्टम की खामियों को उजागर करता है और यह दर्शाता है कि अगर लोग ठान लें तो किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।
धनगोल गांव के ग्रामीणों की यह पहल न केवल प्रेरणादायक है बल्कि प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को भी सोचने पर मजबूर कर रही है कि आखिर कब तक जनता की अनदेखी होती रहेगी।