ट्रैक सीजी ब्यूरो बीजापुर
बिना मापदण्ड के चले नल जल योजना के कार्य , दो साल बाद भी नलों से नही आया पानी
विभागीय कारनामो का अब खामियाजा भुगत रहे ग्रामीण , बूंद बूंद पानी को तरसे
ईश्वर सोनी बीजापुर
बीजापुर जिले में केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजन जल जीवन मिशन में विभाग के अधिकारी -इंजीनियर के साथ ठेकेदारों ने सिंडिकेट की तर्ज पर काम कर जमकर किया भरस्टाचार जिसके चलते दो साल बाद भी ग्रामीणों को पानी नहीं मिल पाया
◆ 563 गांव के लिए 361 करोड़ की राशि फिर भी पानी को तरस गए ग्रामीण
केंद्र सरकार ने बीजापुर जिले के 563 गांवों में जल जीवन मिशन के तहत हर घर मे शुद्ध पानी मिले इसके लिए 361 करोड़ की राशि जारी की लेकिन विभागीय अनदेखी एंव कमिशन खोरी की भेंट चढ़ी इस योजना को धरातल पर उतरने से पहले ही कागजो में पूर्ण कर लिया जबकि हकीकत में दो साल बाद भी कंही टूटे नल लगे तो कंही आधे अधूरे पाइप तो कंही टँकी तक नही लगी लेकिन उसके बाद भी कागजो में पूर्ण बता दिया गया
◆ कागजी खेल इस कदर चला कि औपचरिकता पूरी करने सालों से खाली पड़े सरकारी खण्डर नुमा मकानों के सामने लगा दिए 6 नल
जल जीवन मिशन में ठेकेदारों में 25% तक कमीशन चलने की बात मिडिया के सामने आई जिसके चलते योजना को कागजो में जमलीनामा पहनाते हुए धराशायी किया गया
ऐसा ही नजारा भोपालपटनम ब्लाक के नेशनल हाइवे पर लगे सँगमपल्ली में देखने को मिला जंहा ठेकेदार और विभाग ने ओपचारिकता निभाते हुए सालों से बन्द पड़े सरकारी खण्डर नुमा मकानों के सामने 6 नल लगा दिए , वँहा खड़े ग्रामीण संतोष ने बताया कि ये सरकारी मकान बीस साल पहले बने थे लेकिन इसमे कभी कोई नही रहा है और अब ये खण्डर बन चुके है इसमे गायों ओर मवेशियों का जमावड़ा रहता है फिर भी विभाग ने यंहा नल लगा दिए है लेकिन सिर्फ नल लगाए गए है इसमे दो साल से कभी पानी नही आया है
इससे साफ नजर आता है कि किंस तरह नल जल योजना को कागजो में पूर्ण करते हुए तय मापदंड को दरकिनार करते हुए बड़े भरस्टाचार को अंजाम दिया गया है
◆ आधे -अधूरे बिना मापदंड के कार्य को पूर्ण बता जनप्रतिनिधियों से करवा रहे उद्धघाटन , अधिकारी लूट रहे वाह वाही
ग्रामीण क्षेत्रो में नलों से घर मे पानी आने के पहले ही योजना के सरकारी पैसे को पानी की तरह बहाया जा रहा है।जनता तक पानी पंहुचे या ना पंहुचे लेकिन इस भ्रस्टाचार का पैसा ठेकेदार से लेकर अधिकारी तक जरूर पंहुच रहा है , घटिया कार्य कराकर सरकारी नुमाइंदे अपनी पीठ खुद ही थप थपा लेंगे , ठेकेदार द्वारा सरकार द्वारा तय मापदंडों को किनारे कर मन मर्ज़ी से कार्य करना अधिकारियों के साथ मिलीभगत की और इशारा करता है।गुणवत्ताविहिन सामग्रियों का प्रयोग होना अधिकारियों का हिस्सा उजागर करता है क्यों कि भ्रस्टाचार के पैसे से अपनी जेब भरकर यही अधिकारी गुणवत्ता विहीन सामग्री और निर्माण कार्यो को गुणवत्तापूर्ण बता कर मूल्यांकन करेंगे और जनप्रतिनिधियों से उद्दघाटन कराकर वाह वाही लूटने का काम भी करेंगे , लेकिन इस तरह हो रहे भ्रस्टाचार पर कार्यवाही भी होगी या फिर सरकारी खजाने की लूट खसोट यूँही अपनी रफ्तार से चलती रहेगी
◆ अधिकारियों मीडिया के सामने आने से लगे कतराने , बना रहे दूरी
जल जीवन मिशन में गड़बड़ी की लगातार खबरे प्रकाशित होने के बाद पत्रकारो को देख अधिकारी – इंजीनियर छिपने लगे कोई भी जवाबदार मामले को लेकर कुछ भी बोलने को तैयार नही है वन्ही एक नवनियुक्त अधिकारी ने मिडिया के सामने दबी जुबान कहा कि मै तो नया आया हु लेकिन फील्ड में जाने से पता चल रहा है कि जमकर गड़बड़ी हुई है अब इसको सुधारने में ही 3 से 4 साल लग जाएंगे जबकि केंद्र सरकार का इसी साल जल जीवन मिशन को पूर्ण करने का लक्ष्य था
◆ लगातार खबरों के बाद भी विभाग सोया अब उठ रहे सवाल👇👇👇
◆ क्या अब विभाग जांच कर कार्यवाही कर पायेगा???
◆क्या दबंग ठेकेदारों से अधूरे काम का पूरा पेमेंट देने के बाद वापस विभाग रिवसुली कर पायेगा???
◆क्या ऐसे ठेकदार को विभाग ब्लैकलिस्ट कर पायेगा????
◆क्या अधूरे जल जीवन मिशन में लिप्त दोषी भर्स्ट इंजीनियर – अधिकारी पर कार्यवाही होगी????
◆क्या जांच टीम खबरों की हकीकत पता करने धरातल पर पँहुच पायेगी ओर निष्पक्ष जांच होगी ????