लोक निर्माण विभाग की लापरवाही आ रहा सामने
सक्ती/हसौद/ट्रैक सीजी। सरकार बच्चों को पढ़ाने के लिए बेहिसाब पैसा खर्च करती है, और तमाम तरह की योजनाएं चलाकर उन्हें इस काबिल बनाती है, जिससे बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो सके. लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिये किये जा सके प्रयास उन तक पहुंचने से पहले ही कमीशनखोरी और लापरवाही के चलते पहले ही दम तोड़ रही हैं, ऐसा ही एक मामला सक्ति जिले के विकसखंड जैजैपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत हसौद का है जहां लोक निर्माण विभाग के तहत लाखों रुपए खर्च कर बनाए जा रहे स्कूल का भवन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा हैं। स्कूल भवन निर्माण में ठेकेदार द्वारा घटिया मटेरियल का इस्तेमाल किया जा रहा है।
आपको बता दें कि हसौद पंचायत में बन रहे 88 लाख 19 हजार का स्वामी आत्मानंद माडल स्कूल भवन निर्माण में ठेकेदार द्वारा जमकर अनियमितता बरती जा रही है, ठेकेदार द्वारा मनमाने तरीके से नियम विरुद्ध कार्य करा कर तय मात्रा में मानक पदार्थों का उपयोग ना कर के घटिया मटेरियल ईंट,रेत का उपयोग भवन निर्माण में किया जा रहा है। स्कूल भवन के निर्माण में गुणवत्ताविहीन सामग्री का उपयोग कर भवन का नीव रखा गया है, स्कूल भवन में लगे खिड़की दरवाजे का लकड़ी के ढांचे भी गुणवत्ताविहीन है। वहीं ताजुब की बात यह है कि भवन निर्माण का कार्य 80 प्रतिशत पूर्ण हो जाने के बाद भी जिम्मेदार विभागीय अधिकारी सुध लेने भी नहीं आ रहे हैं। हसौद माडल स्कूल के भवन निर्माण में गुणवत्ता को दरकिनार कर मनमाने तरीके से निम्न स्तर के सामग्रियों का उपयोग कर निर्माण में भ्रष्टाचार करने वाले ठेकेदार के प्रति जिम्मेदार अधिकारी आंखों में पट्टी बांध मूकदर्शक बने बैठे है। जिसका भरपूर फायदा उठाकर ठेकेदार बेखौफ होकर निर्माण कार्य में अपने भ्रष्टाचार रवैए को अंजाम देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।
अकुशल मजदूरों के भरोसे हो रहा काम
लाखों रुपये की लागत से बन रहे स्कूल भवन निर्माण में लगे मजदूर अकुशल हैं और विभागीय जिम्मेदार भी हमेशा निर्माण स्थल से नदारद रहते हैं, जिसका फायदा उठा ठेकेदार मनमाने तरीके से मजदूरों के सहारे निर्माण में महत्वपूर्ण उपयोगी सामग्री का उपयोग ना कर के निर्माण में गुणवत्ता को दरकिनार कर शासकीय राशि को बंदरबाट करने में लगा हुआ है। भवन के बिम्ब में लगे सिमट के लेप(मेटेरियल)से सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि भवन निर्माण कितना गुणवत्ता पूर्ण कराया जा रहा है। ताजुब की बात यह भी है की भवन निर्माण का संभावित अवधी पूर्ण हो जाने के बाद भी विभाग के अधिकारी ठेकेदार पर मेहरबान है।