अपने-अपने राज्यों में छवि बिगाड़ चुके है ये नेता//आने वाले दिनों में केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय का पार्टी के आम कार्यकर्ताओं को है इंतजार
(ट्रेक सीजी न्यूज/सतीश पारख)
लोकसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस ने पिछले दो बार के चुनाव से बेहतर प्रदर्शन किया हो लेकिन मध्यप्रदेश राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़ और दिल्ली ही नहीं कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश – उड़ीसा में उसका प्रदर्शन अत्यंत खराब रहा है। और कहा जा रहा है कि यदि इन राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन थोड़ा भी बेहतर होता तो लोकसभा चुनाव के परिणाम कुछ और होते, नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री नहीं बन पाते। ऐसे में कांग्रेस के उन नेताओं पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं जिन्होंने केन्द्रीय नेत्तृत्व को बेहतर प्रदर्शन का भरोसा दिलाया था।
सबसे बुरी स्थिति कांग्रेस की कहीं हुई है तो वह मध्यप्रदेश है जहाँ कांग्रेस कोई सीट नहीं जीत पाई। 29 सीटों वाले इस राज्य में कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष तक बदल दिया था लेकिन यहां के कद्दावर माने जाने वाले नेता कमलनाथ भी अपनी सीट नहीं बचा पाये, उनका पुत्र नकुलनाथ बुरी तरह से पराजित हुआ। गांधी परिवार के इस नायक को लेकर अब कई सवाल उठने लगे हैं , ऐसे में एक सवाल तो यह भी है कि क्या वे इडी सीबीआई की डर से भाजपा की गोद में जा बैठें हैं, ऐसे में एक सवाल तो यह भी है कि क्या अब कमलनाथ पर पार्टी शीर्ष नेतृत्व को भरोसा किया जाना चाहिए। और अब तो कांग्रेसी ख़ेमे में उनके विरोधी रहे नेता उन्हें सबसे बड़ा खलनायक भी सिद्ध करने में लगे हैं।
दूसरा नाम राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का है। अशोक गहलोत भी अपने बेटे को जोधपुर से नहीं जीता सके और राजस्थान में तो यहां तक कहा जा रहा है कि यदि समय रहते सचिन पायलट ने मोर्चा नहीं संभाला होता तो राजस्थान की स्थिति भी मध्यप्रदेश की तरह बुरी हो जाती।
इन दोनो बड़े नेताओं की स्थिति को देखें और छत्तीसगढ़ की बात ना हो तो यह विषय ही अधूरा है क्या ऐसे में
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी क्या अब नायक नहीं रह गये है और ऐसा कहना भी गलत नही होगा क्योंकि विधानसमा चुनाव में मनमर्जी चलाकर सत्ता गँवाने वाले भूपेश बघेल यदि लोकसभा का चुनाव स्वयं भी हार गये तो इसकी वजह क्या है। क्या सत्ता में बने रहने के दौरान उन पर भ्रष्टाचार का आरोप ही प्रमुख कारण है ,क्या केंद्र ईडी की कार्यवाहियों के भय से वो भाजपा के सामने कमजोर पड़ गए और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और अहंकार भी एक बड़ा कारण है जिसके चलते प्रदेश में भी 11 में 10 सीटें कांग्रेस ने गंवाई है ।
आम कार्यकताओं की नजर में भूपेश बघेल क्यों खलनायक बन चुके है क्या इसकी खबर हाईकमान को नहीं है?
तब उड़ीसा, दिल्ली, झारखंड और हिमाचल में कांग्रेस का खलनायक कौन है। चर्चा तो कई नामों की है ऐसे में कमलनाथ, भूपेश बघेल और अशोक गहलोत को लेकर जिस तरह के सवाल उठ रहे हैं, क्या केंद्रीय नेतृत्व इससे अनभिज्ञ है, या फिर इन तीनों ही नेताओं में सत्ता में बने रहने के दौरान जो पैठ दिल्ली में बनाई है। उसकी वजह से हाईकमान अंधेरे में है जो लोकसभा की हार के बाद भी उजाले में आकर सच्चाई को स्वीकार करने को तैयार नहीं है।
कहना मुश्किल है लेकिन इन तीनों ही नेताओ की अपने-अपने राज्यों में छवि बिगड़ चुकी है। ऐसे में आने वाले दिनों में केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय का पार्टी के आम कार्यकर्ताओं को इंतजार है।