मोदी जी की गारेंटी मे छत्तीसगढ़ी भाषा को सविंधान कि अष्टम सूचि शामिल करने कि गारेंटी भी शामिल हो ,इसके लिए ईमानदार पहल करे प्रदेश के सभी सांसद
(ट्रेक सीजी न्यूज छत्तीसगढ/सतीश पारख)
मातृ भाषा किसी भी व्यक्ति कि विकास की कुंजी है l मातृभाषा मे पढ़ाई लिखाई की वकालत सभी शिक्षाविद व बुद्ध जीवियों ने किया है l भारत के अधिकांश राज्यों मे शिक्षा वहाँ के क्षेत्रीय भाषा मे होता है l अभी नई शिक्षानीति मे भी त्रिभाषिय पाठ्यक्रम की बात किया गया है जिसके अनुसार प्रथम भाषा क्षेत्र विशेष की सम्पर्क भाषा, दूसरा देश की संपर्क भाषा व तीसरा विश्व की संपर्क भाषा का उपयोग शिक्षा के लिए किया जाना है l इससे बच्चों का भाषा एवं ज्ञान का पकड़ विश्वस्तर का हो जायेगा जो उसके व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक है l परन्तु छत्तीसगढ़ी के साथ बहुत बड़ी विडंबना ये है की छत्तीसगढ़ी सवा दो करोड़ लोगो की भाषा होने के बावजूद इसे सविंधान की अष्टम सूचि मे शामिल नहीं किया गया है l जिसके कारण NCRT द्वारा इसे पाठ्यक्रम मे शामिल नहीं किया जा रहा है l यह बात यहाँ के जनप्रतिनिधियों के लिए एक चुनौती है l क्या उन्हें अपने भाषा के प्रति प्रेम नहीं है? यदि है तो इसे अपनी पार्टी के एजेंडे शामिल क्यों नहीं करवा सकते? छत्तीसगढ़ की जनता केंद्र मे 99% सीट बीजेपी को देती आई है l क्या उनके इस विश्वास को मंजिल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उनके सांसदों की नहीं है l कुछ सांसद निजी विधेयक पेश करके अपनी जिम्मेदारी निभाने की बात करते है पर यह मुद्दा इतना बड़ा है की सिर्फ इतने से काम नहीं चलेगा इसके लिए यहाँ के सांसदों को माननीय प्रधानमंत्री जी व राष्ट्रपति जी से मिलकर इसके गंभीरता को बताना चाहिए ताकि प्रधानमंत्री जी इसे सर्वप्रथम अपने कैबिनेट मे इस विषय को शामिल कर सके l छत्तीसगढ़ के सभी सांसदों से मेरा कर बद्ध निवेदन है वे छत्तीसगढ़ियों के हित मे छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान के अष्टम सूचि मे शामिल करने की मांग को पहला नंबर पर रखे क्योंकि भाषा संस्कृति की माता है, भाषा खत्म अर्थात संस्कृति खत्म और सांस्कृतिक उत्थान के बिना विकास का कोई अर्थ नहीं है l
घनश्याम गजपाल
सरपंच ग्राम पंचायत करगाडीह
ब्लॉक व जिला दुर्ग छत्तीसगढ़ 491107