कार्यवाही न होने से बिना पंजीयन के पैथोलैब और झोला छाप डॉक्टरों का हौसला बुलंद
सक्ति/ट्रैक सीजी/अवधेश टंडन। जैजैपुर खण्ड चिकित्सा अधिकारी की निष्क्रियता और बेफरवाह कार्यप्रणाली को देख कर ऐसा लग रहा है की क्षेत्र भर के अवैध उपचार करने वालों और बिना नार्शिग होम एक्ट पंजीयन के बेखौफ पैथोलैब चलाने वालें को खुली छूट दिया गया हो। या यू भी कहना ना गवारना नहीं होगा की कमीशन के बल बूते पैथोलैब के संचालकों को खुला छूट मिल रहा होगा। जिले में स्वास्थ्य विभाग की उदासीन रवैया और लापरवाही के कारण जिले में आज भी लगभग 10 से 20 पैथोलैब बिना नर्सिंग होम लाइसेंस का संचालन किया जा रहा है। स्वास्थ्य संचालनालय द्वारा जारी निर्देश का असर सक्ति जिले में नहीं दिख रहा है। जिले में 20 से अधिक अस्पताल, क्लीनिक, लैब नर्सिंग होम एक्ट के तहत बिना पंजीयन के ही संचालित बड़े आसानी से मिलीभगत कर हो रहा है।
अवैध पैथोलॉजी संचालकों ने सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों से कमीशन तय कर रखा है। जहां डाक्टर ही जांच के लिए मरीज भेजते हैं। निजी पैथोलाजिस्ट के संचालकों ने सरकारी अस्पतालों को मकडे़ जैसे जाल में कमीशन के दम पर जकड़ रखा है। हसौद-जैजैपुर में मरीजों की जांच के नाम पर लूट मची हुई है। सूत्रों के बुताबिक नर्सिंग होम एक्ट के तहत स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा जांच के दौरान सही नहीं पाए जाने पर भी उन्हें ब्लैक लिस्ट करने के बजाए कमीशन लेकर सह देने का काम किया जाता है और बावजूद इसके विभाग निजी क्लीनिकों पर मेहरबान भी रहते है। विभागीय उदासीनता के चलते जैजैपुर विकासखण्ड में निजी अस्पाताल संचालक सहित लैब संचालक नर्सिंग होम एक्ट के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग द्वारा निजी अस्पताल संचालाकों और बिना पंजीयन के लैब चलाने वालों पर कार्रवाई के नाम पर यहां सिर्फ औपचारिकता निभाई जाती है।
उल्लेखनीय हुआ की बीते 4 मार्च 2024 को सक्ति कलेक्टर से हसौद में हो रहे बिना पंजीयन नार्शिंग होम एक्ट के संचालित मां गायत्री पैथोलैब को लेकर शिकायत किया गया था। जिसके जांच के लिए सक्ति जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी सूरज सिंग राठौर द्वारा 25/04/2024 को खण्ड चिकित्सा अधिकारी द्वारा मामले की जांच के लिए टीम गठित कर बिना अनुमति के संचालन हो रहे पैथोलैब के ऊपर कार्यवाही का आदेश जारी किया गया है। डेढ़ महने बीत जाने के बाद भी अभी तक बिना नार्शिग होम एक्ट संचालन करने वाले मां गायत्री पैथोलैब के विरुद्ध कार्यवाही के लिए ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है जिससे स्पष्ट अंदाजा लगाया जा सकता है की खण्ड चिकित्सा अधिकारी का मानों बल किस कदर तब बड़ा हुआ है। खण्ड चिकित्सा अधिकारी का मुखदर्शक की भूमिका का नतीजा आज हसौद जैजैपुर विकासखण्ड अंतर्गत ऐसे दर्जनों क्लीनिक, पैथोलैब बिना अनुमति के बेखौफ संचालित होकर मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते मिल जायेंगे। ताजुब की बात ये भी है की अपने उच्चा अधिकारियों की आदेश का खुला अवहेलना कर न ठेंगा दिखा जा रहा है। जिससे जिला मुख्य स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी का भी उदासीनता दिखाने को मिल रहा है। अब देखना यह बात मीडिया में आने के बाद जिला अधिकारी के आदेश को ठेंगा दिखाने वाले अपने विभाग के अधीनस्थ कर्मचारी खण्ड चिकित्सा अधिकारी के विरुद्ध किया कार्यवाही किया जायेगा।
एक्ट के मापदण्डों के अनुसार एलोपैथिक, आयुष, फिजियोथैरेपी डिग्रीधारी अपने-अपने विधा में उपचार कर सकते हैं। वहीं निर्धारित शर्तो के अधीन लैब व डायग्नोस्टिक सेंटर का संचालन हो सकता है। बावजूद इसके एक और दो साल का लैब टेक्नीशियन का डिप्लोमा करने वाले भी पैथोलैब चला रहे हैं, वहीं कई लोग पैरामेडिकल कोर्स कर ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से क्लीनिकों का संचालन भी कर रहे हैं, जबकि इसके लिए वे अधिकृत नहीं हैं। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग द्वारा अवैध रूप से संचालित लैब, क्लीनिक पर कार्रवाई नहीं की जाती। ऐसे में जिले में झोलाछाप डॉक्टर बेखौफ क्लीनिक व लैब का संचालन कर रहे हैं।
इनका कहना:-
पुनः आदेश करदेते है और अवहेलना का नोटिस भी जारी कर देते है।
सूरज सिंग राठौर
जिला मुख्य स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी सक्ति