बंदोबस्त बाद शासकीय जमीनों को भी आबादी कर देने का खूब लाभ उठाया लोगों ने और शासकीय जमीनों की फर्जी रजिस्ट्रीयां करवा हजारों करोड़ की चपत लगाई शासन को
दुर्ग (ट्रेक सीजी न्यूज/सतीश पारख ) जिला मुख्यालय के धनोरा , खम्हरिया, हनोदा,नगपुरा,उतई, पाटन भिलाई–दुर्ग में अवैध प्लॉटिंग का खेल दलालों एवं भू-माफियाओं के सांठगांठ में खेला जा रहा है। इसका बड़ा उदाहरण फिलहाल कोहका-कुरुद क्षेत्र का उदाहरण सामने है। रास्ते की किनारों की भूमि में बेजा कब्जा कर लिया गया है। लगभग 20 साल पुरानी रास्ते की बचत की भूमि की बिक्री कर प्रमाणीकरण एवं कब्जा दिलाने की गारंटी पर विक्रेताओं को रजिस्ट्री करवा दिया गया है। रजिस्ट्री के एवज में भूमि क्रेताओं द्वारा लगभग 1 करोड़ की राशि खर्च की गई है। भूमि के इस बंदरबांट के खेल के पीछे शासन-प्रशासन की उदासीनता बड़ी वजह है। उक्त रास्ते की बचत की भूमि आज तक खसरे में दर्ज नहीं है, जो फर्जी रजिस्ट्री का प्रमाण है । इस वजह से खरीदार खुले लूट का शिकार हो रहा है। लेकिन दलालों और भू-माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही नहीं हो रहा है।
सुत्रों के मुताबिक कोहका-कुरुद क्षेत्र में रोड रास्ते की बचत की भूमि पर बड़ा खेला हो रहा है। यहां खसरा नं 8131/1 की बचत रोड रास्ते की भूमि है। जिसमें से कई टुकड़ों में भूमि 2007 से बिक्री की जा रही है। बताया गया है 14 जुलाई 2010 को खसरा नं 8131/1 में से सिंधु भवन बाबा दीपसिंह नगर भिलाई में 3600 वर्गफीट भूमि की विक्रय की गई थी, जिसका कब्जा आज तक क्रेता को नहीं मिल पाया है। भूमि क्रेता एक महिला है। इस वजह से विक्रेता न तो भूमि का कब्जा दे रहा है और न ही रकम वापस लौटाने को लेकर गंभीर है। पता चला है कि इसी वर्ष 16 मई 2024 को इसी खसरा नं. 8131/1 में से 10 हजार वर्गफीट भूमि दुर्ग के चांवल विक्रेताओं को बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर ब्रिकी कर प्रमाणीकरण एवं कब्जा दिलवाने की गारंटी पर क्रेताओं के साथ अपने एक भागीदार का नाम भी क्रेताओं के सूची के साथ संलग्न कर दिया गया है। क्षेत्र में 2010 से 2024 के मध्य भिन्न-भिन्न टुकड़ों में 0.30 हेक्टेयर भूमि अलग-अलग स्थानों पर बेची गई है। बेची गई जमीनों में 1 कि.मी. का अंतर है। यह सब फर्जीवाड़ा प्रशासन की उदासीनता के कारण हो रहा है। जिससे लोग परेशान है। समय रहते ऐसे दलालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर उन पर नकेल कसने की आवश्यकता है।
यही स्थिति बहुतायत स्थानों पर देखने को मिलेगी जहां किसानों के ऐसे खेतों पर जमीन दलालों की नजर होती है जहां शासकीय जमीन का भी एक बड़ा खेप उन्हे मुफ्त में मिल जाए और खरीदी जमीन के साथ उसे भी प्लाटिंग करके बेच सके।ऐसे मामलों में राजस्व विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की भी मिलीभगत होती है और सारे लोग मिलकर यह खेला करते है ।
बंदोबस्त के बाद निजी के साथ शासकीय जमीनों का आबादी होने से भी लोगों ने बड़ा खेल खेला है इसमें अपनी पुरानी लगानी रजिस्ट्री शुदा जमीनों से लगी जमीनों को लोगों ने कब्जा कर लिया और बाद विभागीय नियमों के अनुसार इसका नजरी नक्शा पटवारी कार्यालय से बनवाकर आपस में पारिवारिक जनों ने रजिस्ट्री करवा ली या अन्य को बेच दी और इस तरह से सरकार की जिले में हजारों करोड़ की जमीनों को हड़प लिया गया इसका यदि पुराना रिकार्ड अनुसार बारीकी से अध्ययन व जांच की जाय तो प्रदेश भर में शासन की लाखों करोड़ की जमीन खाली करवाकर या कब्जाधारी को ही बेचकर हजारों लाखो करोड़ का राजस्व सरकार प्राप्त कर सकती है ।