पिथौरा ट्रैक सीजी गौरव चंद्राकर
स्थानीय गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा में गुरु अर्जन देव जी के शहादत दिवस को याद करते हुए सिख समाज ने ठंडे शरबत छबील एवं चना प्रसाद का वितरण किया। इसके अलावा भी समाज जनो ने अन्य स्थानों में भी छबील लगाया
सिखों के पांचवे गुरु श्री गुरु अर्जन देव जी महाराज का शहादत दिवस के अवसर पर स्त्री सत्संग द्वारा गुरुद्वारा साहिब में रोजाना सुखमनी साहिब का पाठ किया गया ज्ञात हो कि गुरुद्वारा श्री गुरु सिंग सभा पिथौरा के सामने हर वर्ष की भांति सिक्ख धर्म के पांचवे गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी के मीठी शहादत को समर्पित छबील आज दिनांक 10 जून 2024 को वितरण किया गया !! गुरु जी को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थ तिथि संवत 1663 में गर्म तवे में बैठाकर उनके ऊपर गर्म रेत व तेल डाला गया तब गुरु जी ने तमाम यातनाएं सहने के बाद भी हंसते हुए कहा तेरा किया मीठा लागे हर नाम पदारथ नानक मांगे और इसी के साथ अपनी शहादत को गुरु जी ने स्वीकार किया।
सिखों के पांचवे गुरु अर्जुन देव जी महाराज को मुगल बादशाह जहांगीर ने धर्म परिवर्तन करने तरह तरह की यातनाएं दी लेकिन गुरु नही डोले। 1606 को लाहौर में सिख पंथ के गुरु श्री अर्जन देव जी को शहीद कर दिया गया था। शहीदी के समय मिंया मीर ने गुरु अर्जुन देव जी से पूछा कि आपके शरीर पर छाले पड़ रहे हैं। इसके बावजूद आप शांत हैं। तब गुरु अर्जुन देव ने कहा था कि जितने जिस्म पर पड़ेंगे छाले, उतने सिख होंगे सिदक वाले। यानि मेरे शरीर में जितने छाले पड़ेंगे, उतरे हजारो-करोड़ों सदके वाले सिखों का जन्म होगा। गुरु जी को गर्म तवे पर बैठाकर उन पर गर्म रेत डाली जा रही थी। इसके बावजूद वे शांत रहे। उनका शरीर तप रहा था लेकिन उनका मन अकाल पुरख से जुड़ा हुआ था। उनकी शहाद हमें सीख देती है कि हमें भी उनकी तरह ही अडोल रहना चाहिए। उनकी शहादत को लासानी (अनोखी) शहादत कहा जाता है। उनकी याद में ही छबील लगाई जाती है। जो जून की गर्मी में मानवता के नाते लोगों को शीतलता प्रदान करने की एक पहल है।
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