शशी रंजन सिंह
सूरजपुर (ट्रैक सी.जी. जिला ब्यूरो चीफ) :– बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है। इसकी रोकथाम के लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा, तभी समाज इस बीमारी से मुक्त हो सकेगा। बाल विवाह रोकने के लिए सभी विभागों के साथ-साथ आमजन को सजगता से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा। इसके लिए वार्ड स्तर पर टीमें गठित करनी चाहिए। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 को एक नवम्बर 2007 से लागू किया गया। इसमें बाल विवाह करना या करवाना संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है। जो माता-पिता अपने पुत्र पुत्रियों का बाल विवाह करवाते है तो उन्हें 2 वर्ष का कारावास व 1 लाख रुपयों का दंड देने का प्रावधान है। बाल विवाह कानूनी जुर्म और अपराध है। लड़का और लड़की की सही उम्र होने के बाद ही शादी करें अगर कोई भी व्यक्ति बाल विवाह में सहयोग करते हैं या प्रोत्साहन देता है तो उसे कठोर से कठोर सजा दी जा सकती है। बाल विवाह से परिवार में बहुत सारी हानियां भी होती है, जिसमें कम उम्र में बच्ची का मां बनना, शारीरिक और मानसिक विकास का न होना, छोटी-छोटी बातों पर घर में लड़ाई-झगड़े होना आदि परेशानियों का सामना करना पड़ता है।