रायपुर (ट्रेक सीजी न्यूज/सतीश पारख ) छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार की सुर्खियों में रहे अनिल टुटेजा इन दिनों जेल की हवा खा रहे है। जबकि उनके कुनबे एक नौजवान की मौत को लेकर कोहराम मचा हुआ है। सिद्धार्थ जैन को आखिर किसने उतारा मौत के घाट ? उसकी हत्या हुई या फिर सिद्धार्थ जैन ने खुद आत्मघाती कदम उठाया था। इस मामले को लेकर राजनैतिक और प्रशासनिक हल्को में गहमागहमी है। लगभग 40 वर्षीय सिद्धार्थ जैन की दुर्ग स्थित शिवनाथ नदी में लाश मिली थी। वो पढ़ाई लिखाई और कारोबार के मामले में भी होनहार थे।
बताया जाता है कि अपने जीजा यश टुटेजा के साथ मिलकर सिद्धार्थ जैन विभिन्न कारोबार में अक्सर व्यस्त रहते थे। सिद्धार्थ जैन की लाश तीन दिन पहले अंजोरा स्थित शिवनाथ नदी के एनीकट में मिली थी। उनकी मौत की गुत्थी उलझी हुई है। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद लाश परिजनों को सौंप दी है। अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
सिद्धार्थ जैन ने वाकई आत्महत्या की है, या फिर उसके साथ कोई अनहोनी हुई है, इसे लेकर पुलिस की विवेचना गौरतलब बताई जा रही है। मृतक सिद्धार्थ जैन का मृत्यु पूर्व बयान या सुसाइड नोट सामने नहीं आने से उसकी मौत की गुत्थी उलझी बताई जाती है। यह भी बताया जा रहा है कि आत्महत्या को जायज ठहराने के लिए संदेहियों का एक समूह दावा कर रहा है कि मृतक नशे का आदी था। यही नहीं देवादा के किसी अस्पताल में इलाज के बाद वे हाल ही में पखवाड़े भर पहले ही अपने घर लौटे थे। उनके परिजन नशे से दूर रहने की अक्सर उन्हें सलाह देते। बताते है कि सिद्धार्थ जैन के अचानक घर से गायब होने की खबर लगते ही उनकी खोज परख पर जोर देने के बजाय फ़ौरन स्थानीय थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई गई थी।
सूत्रों के मुताबिक सिद्धार्थ जैन के पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफ़ी पर भी जोर नहीं दिया गया है। मामला संदेहस्पद और हाईप्रोफ़ाइल होने के बावजूद मेडिकल बोर्ड के समक्ष पोस्टमार्टम कराये जाने के मामले में भी पहरेज बरता गया है। बताते है कि विशेषज्ञों के बजाय सामान्य ड्यूटी डॉक्टरों ने ही आनन फानन में पोस्टमार्टम कर लाश परिजनों को सौंप दी थी।
छत्तीसगढ़ के सुपर सीएम अनिल टुटेजा का कारोबार छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों में भी अपनी जड़े जमा रहा था। बताते है कि भूपे राज के मात्र 5 सालों के भीतर टुटेजा एंड कंपनी की सालाना आय कई करोड़ो में थी। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग समेत कई जिलों में टुटेजा एंड कंपनी की नामी बेनामी संपत्ति अरबो में आंकी जा रही है।
बिलासपुर में तो सत्ता के प्रभाव के चलते कई गरीबों की जमीनों का सौदा खुद के नाम कर टुटेजा एंड कंपनी ने बाजार में अपने झंडे गाढ़े है। प्रदेश की गिनी चुनी यह एक मात्र डी कंपनी बताई जाती है, जिसने छत्तीसगढ़ शासन को अरबो का चूना लगा कर, सरकारी तिजोरी पर दिन-दहाड़े हाथ साफ़ किया है।
2200 करोड़ के शराब घोटाला, 600 करोड़ के कोल खनन परिवहन घोटाले, 36 हज़ार करोड़ के नान घोटाले में अनिल टुटेजा का नाम ईडी और EOW की फेहरिस्त में अव्वल नंबर पर है। यह भी बताया जाता है कि ब्लैक एंड वाइट और वन टू का फोर और फोर टू का वन करने के मामले में टुटेजा एंड कंपनी हाल ही के वर्षों में देश -प्रदेश में चर्चित रही है।
बिलासपुर में तो डिफेन्स इंड्रस्ट्री कागजों में खड़ी कर दी गई थी, इस कंपनी ने छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय में लगभग 13 करोड़ के घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट की सप्लाई कर सबको चौंका दिया था। बताते है कि पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा की कार्यप्रणाली भूपे राज में अंजाम दिए गए तमाम घोटालों के केंद्र बिंन्दु के रूप में आंकी जाती है। सूत्रों द्वारा दावा किया जा रहा है कि बेनामी संपत्ति को ठिकाने लगाने की जबावदारी निभाने के चक्कर में सिद्धार्थ जैन को मौत ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। हालांकि अभी तक उनकी मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। पुलिस जांच में जुटी है, उसने हर एंगल से अपनी तहकीकात शुरू कर दी है।