पुरी की टेंडर प्रक्रिया फिर किया अनुबंध रद्द एक निलंबित बाकी जिम्मेदार क्यों बचे
शशी रंजन सिंह
सूरजपुर (ट्रैक सी.जी. जिला ब्यूरो चीफ) :– लोक निर्माण विभाग सूरजपुर के कारनामे लगातार सामने आ रहे हैं यह विभाग पिछले कई महीनो से सुर्खियां बटोर रहा है इसी क्रम में एक मामला जिले के बिहारपुर नावाटोला मुख्य मार्ग के निर्माण से जुड़ा हुआ है।
*क्या है पूरा मामला*।
सूरजपुर जिले के अंतर्गत आने वाले बिहारपुर नावाटोला मुख्य मार्ग निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग सूरजपुर के द्वारा सन् 2023-24 के तहत टेंडर निकाला गया था जिसमें उक्त निर्माण कार्य को श्री जगदंबा कंस्ट्रक्शन कंपनी रायपुर के साथ अनुबंधीत किया गया था। लेकिन बाद में पता चला कि उक्त मार्ग गुरु घासीदास अभयारण्य क्षेत्र के अंतर्गत आता है किंतु वन व्यपवर्तन के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया एवं सत् प्रतिशत भूमि बाधा रहित होने संबंधी भू अर्जन प्रमाण पत्र संलग्न कर दिया गया प्रशासकीय स्वीकृति के बाद कार्यादेश जारी करने पर वन क्षेत्र होने के कारण कार्य प्रारंभ नहीं हो सका।
विभाग की गलत क्रियाकलापों के वजह से शासन को हुई वित्तीय हानि
लोक निर्माण विभाग के गलत तरीके से पुरी की गई टेंडर प्रक्रिया के वजह से शासन को वित्तीय हानि के साथ-साथ शासन व विभाग की छवि भी धूमिल हुई है। पिछले कुछ महीनो से विभिन्न निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार की आ रही खबरों की वजह से विभाग हमेशा विवादों में बना रहता है फिर भी विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कुंभकरणीय नींद से जागने के लिए तैयार नहीं हैं। इनको जगाने के सारे प्रयास विफल हो रहे हैं। जिले के विभिन्न हिस्सों से आ रही लगातार शिकायतों के बावजूद इन पर कार्यवाही नहीं होना भी कई सवाल खड़े कर रही है।
इस मामले में अब तक क्या हुई कार्रवाही
त्रुटिपूर्ण प्राक्कलन तैयार करने एवं बाधा रहित भूमि उपलब्ध होने का गलत भू-अर्जन प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के कारण अनुबंध कार्य वन क्षेत्र होने से कार्य प्रारंभ नहीं होने के लिए प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर उपअभियंता निखिल कुमार यादव को निलंबित कर दिया गया। लेकिन इस मामले में भू अर्जन प्रमाण पत्र जारी करने वाले उपअभियंता अकेले जिम्मेदार नहीं है,अन्य उच्च अधिकारी अभी तक इस मामले से बरी कैसे है।
कार्यपालन अभियन्ता का अनुशंसा पत्र
लोक निर्माण विभाग सूरजपुर के कार्यपालन अभियंता ने उच्च अधिकारियों को पत्र के माध्यम से अवगत कराया है की उपरोक्त कार्य अनुबंध की धारा 14 में समाप्त होने के कारण निलंबित उपअभियंता के द्वारा किसी प्रकार की वित्तीय अनियमितता नहीं हुई है अतः निलंबित अभियंता के द्वारा दिए गए प्रति उत्तर के जवाब से सहमत होते हुए प्रकरण समाप्त कर नस्तीबद्ध करने की अनुशंसा की जाती है। लेकिन सवाल यह है की इतने बड़े टेंडर प्रक्रिया हो जाने के बाद भी अधिकारियों द्वारा मौका परीक्षण के लिए मौके पर जाने के बाद भी वित्तीय अनियमितता नहीं हुई यह कैसे हो सकता है। और इस मामले में एक उप अभियंता को ही बली का बकरा क्यों बनाया गया गलत भू अर्जन प्रमाण पत्र जारी करने वाले अन्य अधिकारियों के ऊपर कारवाई कब होगी।