राजनांदगांव (ट्रेक सीजी न्यूज/सतीश पारख)
छत्तीसगढ़ के 11 लोकसभा सीटों में कोरबा और छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी कहलाने वाले राजनांदगांव लोकसभा हाई प्रोफाइल सीट है। किंतु अब लोग पूछने लगे हैं कि राजनांदगांव और कोरबा दोनों लोकसभा सीटों में से ज्यादा महत्वपूर्ण कौन सी सीट है ?
इस मामले में सियासी विश्लेषकों में दो राय है। कोई राजनांदगांव को ज्यादा अहम बताता है तो किसी का कहना है, कोरबा लोकसभा सीट राष्ट्रीय राजनीति के परिपेक्ष में ज्यादा महत्वपूर्ण है।
विधानसभा चुनाव के बाद यह दूसरी बार है, जब छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जनाधार एवं लोकप्रियता कसौटी पर है, तो भाजपा के संतोष पांडे को अपना घर बचाने की चुनौती है। भूपेश बघेल ठेठ छत्तीसगढ़िया अंदाज में मतदाताओं को लुभा रहे हैं।
राजनांदगांव लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उम्मीदवारी ने मुकाबले को रोचक बना दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में तमाम संभावनाओं के बावजूद बघेल सरकार की विदाई हुई थी। यद्यपि भूपेश बघेल पाटन से अपना सीट बचाने में मुकम्मल रहे, मगर सरकार नहीं बचा पाए । आज भी लोकप्रियता और जनाधार की दृष्टि से भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के बड़े मास लीडर है। इसके बावजूद नांदगांव सीट पर उनकी क्रेडिबिलिटी पर सभी की निगाहें है।
राजनांदगांव तीन बार के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का विधानसभा क्षेत्र भी है। भाजपा प्रत्याशी संतोष पांडे के पक्ष में डॉ रमन सिंह की शाख भी लगी हुई है।
बताते चले, राज्य निर्माण के बाद 2007 के राजनांदगांव लोकसभा उपचुनाव देवव्रत के रूप में कांग्रेस विजयी हुआ था। 2004 में भाजपा के प्रदीप गांधी चुनाव जीते थे। 2009 में भाजपा के मधुसूदन यादव, 2014 में भाजपा के अभिषेक सिंह और पिछले 2019 में भाजपा से वर्तमान प्रत्याशी संतोष पांडे सांसद निर्वाचित हुए थे ।
राजनांदगांव लोकसभा के तहत आने वाले आठ विधानसभा क्षेत्र में अभी 5 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है । खैरागढ़, खुज्जी, डोंगरगांव डोंगरगढ़,मोहला–मानपुर सीट कांग्रेस के कब्जे में है। जबकि पंडरिया, कवर्धा और राजनांदगांव भाजपा ने जीता था । राजनांदगांव लोकसभा में कांग्रेस की विधायकों की संख्या 5 है। कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल के पक्ष में यह बड़ा फैक्टर है।
आगामी 26 अप्रैल में दूसरे चरण में राजनांदगांव में मतदान होने हैं ।
संस्कारधानी में भूपेश की लोकप्रियता और संतोष की साख का सवाल
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